नोटबंदी और कैश-मुक्त भारत से सरकार ने मजदूर-किसान-छोटा व्यापारी मुक्त भारत बनायाः राहुल
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि नोटबंदी से गरीब किसान और असंगठित मजदूरों पर हमला हुआ है। उन्होंने कहा कि मोदी जी का कैश-मुक्त भारत दरअसल मजदूर-किसान-छोटा व्यापारी मुक्त भारत है।
नई दिल्ली। देश में अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज ट्विटर के ऊपर दूसरा वीडियो जारी करते हुए नोट बंदी के मुद्दे पर सरकार का फिर घेरा। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि नोटबंदी से गरीब किसान और असंगठित मजदूरों पर हमला हुआ है। उन्होंने कहा कि मोदी जी का कैश-मुक्त भारत दरअसल मजदूर-किसान-छोटा व्यापारी मुक्त भारत है।
जीडीपी विकास दर में भारी गिरावट को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सरकारी की गलत नीतियों और नोटबंदी से अर्थव्यवस्था की बर्बादी शुरू हुई थी। आज जारी बयान में राहुल गांधी ने कहा कि जो पांसा 8 नवंबर 2016 को फेंका गया था, उसका एक भयानक नतीजा 31 अगस्त 2020 को सामने आया है। उन्होंने नोटबंदी को हिंदुस्तान के गरीब, किसान, मजदूर और छोटे दुकानदार पर आक्रमण बताते हुए कहा कि नोटबंदी हिंदुस्तान के असंगठित अर्थव्यवस्था पर आक्रमण था। 8 नवंबर 8.00 बजे 2016, प्रधानमंत्री जी ने नोटबंदी का निर्णय लेते हुए 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट को बंद किया तो पूरा हिंदुस्तान बैंक के सामने जाकर खड़ा हो गया। सवाल है कि इससे काला धन मिटा? तो जवाब है नहीं।
राहुल ने कहा कि दूसरा सवाल है कि हिंदुस्तान के गरीब जनता को नोटबंदी से क्या फायदा मिला? जवाब- कुछ नहीं। तो फायदा किसको मिला? फायदा हिंदुस्तान के सबसे बड़े अरबपतियों को मिला। कैसे? जनता का जो पैसा था आपके जेब में से आपके घरों में से निकाला गया उसका प्रयोग सरकार ने इन लोगों का कर्जा माफ करने के लिए किया। इसके साथ ही असंगठित अर्थव्यवस्था का सेक्टर है वो कैश पर चलता है छोटा दुकानदार हो, किसान हो, मजदूर हो वो कैश से काम करता है। राहुल गांधी ने कहा कि नोटबंदी का दूसरा लक्ष्य असंगठित अर्थव्यवस्था के सिस्टम से नगद कैश को निकालने का था। प्रधानमंत्री ने स्वयं कहा कि वह कैशलेस इंडिया चाहते हैं। कैशलेस हिंदुस्तान चाहते हैं। अगर कैशलेस हिंदुस्तान होगा तो असंगठित अर्थव्यवस्था तो खत्म हो जाएगी। इसका नुकसान किसानों, मजदूरों, छोटे दुकानदारों, स्माॅल एंड मीडियम बिजनेस वालों को उठाना पडा है, जो कैश के बिना जी हीं नहीं सकते। इस तरह नोटबंदी हिंदुस्तान के गरीब, किसान, मजदूर और छोटे दुकानदार और असंगठित अर्थव्यवस्था पर आक्रमण था। पूरे देश को मिलकर इसके खिलाफ लड़ना पड़ेगा।