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हिंदी नहीं आती थी तो बैंक ने लोन देने से किया इंकार

एक सेवानिवृत्त डाॅक्टर को बैंक ने इसलिए लोन नहीं दिया क्योंकि उसे हिंदी नहीं आती थी।

हिंदी नहीं आती थी तो बैंक ने लोन देने से किया इंकार
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नई दिल्ली। बैंक लोन को लेकर एक अजीबोगरीब बात उस समय सामने आई जब एक सेवानिवृत्त डाॅक्टर को बैंक ने इसलिए लोन नहीं दिया क्योंकि उसे हिंदी नहीं आती थी।

तमिलनाडु के अरियालुर जिले के गंगईकोंडचोलापुरम के निवासी सेवानिवृत्त डाॅक्टर के बालासुब्रमण्यम ने आरोप लगाया है कि बैंक ने उन्हें इसलिए लोन नहीं दिया, क्योंकि वे हिंदी नहीं जानतें थे। शख्स ने आगे कहा कि जब मैं बैंक गया तो अधिकारी ने मुझे मेरे भाषा के संबंध में पूछा और मेरे जरिए बताए जाने के पश्चात उन्होंने मुझे लोन प्रदान नहीं किया। एक रिपोर्ट की माने तो, व्यक्ति ने बोला कि वह तथा उनका इंजीनियर मित्र इंडियन ओवरसीज बैंक के स्थानीय ब्रांच में गए थे, जहां पर उन्होंने लोन हेतु आवेदन किया, लेकिन बैंक अधिकारी ने हिंदी नहीं आने की वजह से लोन देने से इंकार कर दिया। वहीं बैंक ने शख्स के इस आरोप को खारिज किया है। जानकारी के मुताबिक तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा का चुनाव है। ऐसे में चुनाव से पूर्व इस वारदात के बाद भाषा के आधार पल राजनीति शुरू हो सकती है। हालांकि फिलहाल तक किसी भी बड़े नेता ने इस पर बयान नहीं दिया है।

इससे पूर्व एक दूसरे मामले में वित्त मंत्रालय ने कहा कि रेहड़ी-पटरी वालों की सहायता हेतु प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अब तक 90 फीसदी से ज्यादा ऋण मंजूर किया है। मंत्रालय के मुताबिक, कोरोना को देखते हुये लगाये गये लाॅकडाउन के बाद इन लोगों को इससे अपना कामकाज फिर से प्रारम्भ करने में मदद मिलेगी। मोदी सरकार ने रेहड़ी-पटरी वालो हेतु आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना एक जून को प्रारम्भ की थी। न के लिए निकले हैं

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