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ऐसा करेंगे तो नहीं होंगे भूलने की बीमारी के शिकार

विश्व अल्जाइमर दिवस पर विशेष

ऐसा करेंगे तो नहीं होंगे भूलने की बीमारी के शिकार
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नई दिल्ली। साठ की उम्र के बाद शरीर में होने वाले बदलावों में अल्जाइमर एक बडी समस्या है। अल्जाइमर यानि भूलने की बीमारी। हालांकि आजकल यह युवाओं में भी देखने को मिल रही है।

पूरी दुनिया 21 सिंतबर 2020 को विश्व अल्जाइमर दिवस के रूप में मनाती है। अल्जाइमर बीमारी में रोगी चीजों को भूल जाता है। जैसे कहीं पर कुछ रखकर भूल जाना, कुछ ही देर पहले की बात को भूल जाना आदि। साठ से अधिक आयु के बुजुर्ग इस बीमारी के ज्यादा शिकार होते हैं, लेकिन आज के समय में युवा भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। कुछ सालों में इस बीमारी के मरीजों में बढ़ोतरी देखी गई है।

ये बीमारी अक्सर 60 के ऊपर वाले लोगों को होती है, माना जाता है की ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मस्तिष्क की कोशकाएं सिकुड़ जाती हैं जिस वजह से न्यूराॅन्स के अंदर कुछ केमिक्लस कम होने लगते हैं। इसके अलावा हेड इंजरी, वायरल इंफेक्शन और स्ट्रोक में भी अल्जाइमर की स्थिति पैदा हो सकती है।

अल्जाइमर के लक्षण हैं। रात में नींद न आना, रखी हुई चीजों को बहुत जल्दी भूल जाना, आंखों की रोशनी कम होने लगना, छोटे-छोटे कामों में भी परेशानी होना, अपने परिवार के सदस्यों को न पहचान पाना, कुछ भी याद करने, सोचने और निर्णय लेने की क्षमता पर प्रभाव पड़ना, डिप्रेशन में रहना, डर जाना। अल्जाइमर हेतु दिमाग की कोशिकाओं में केमिकल्स की मात्रा को संतुलित करने के लिए दवाओं का प्रयोग किया जाता है। दवाओं के सेवन से रोगियों की याददाश्त और उनकी सूझबूझ में सुधार हो सकता है। दवाएं जितनी जल्दी शुरू की जाएं उतना ही फायदेमंद होता है। दवाओं के साथ-साथ रोगियों और उनके परिजनों को काउंसलिंग की भी जरूरत होती है।

अल्जाइमर से बचाव के लिए नियमित रूप से व्यायाम करने के साथ पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेनी चाहिए। लोगों से मिलना जुलना चाहिए, जिससे डिप्रेशन न हो। घर के लोगों को संपर्क में रहना चाहिए ताकि उनके चेहरे पहचानने में परेशानी न हो। अगर आपके घर में पहले से किसी को यह बीमारी रही हो तो आपको इस पर पहले ही ध्यान देना चाहिए। लर्निंग पावर को मजबूत करना चाहिए, जैसे किताबें पढ़ना, दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना आदि। डिप्रेशन से दूर रहने के लिए अपना मनपसंद संगीत भी सुन सकते हैं।

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