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देश में सिर्फ 5 सरकारी बैंक रह जाएंगे

अभी देश में 12 सरकारी बैंक हैं। सरकार चाहती है कि देश में केवल 4 या 5 सरकारी क्षेत्र के बैंक रह जाएं।

देश में सिर्फ 5 सरकारी बैंक रह जाएंगे
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार अब सरकारी बैंकों के निजीकरण की योजना पर काम कर रही है। इस पर अमल हुआ तो देश में सिर्फ 5 सरकारी बैंक रह जाएंगे।

कोरोना वायरस के कारण आर्थिक विकास की रफ्तार में कमी के चलते बैंकों के निजीकरण योजना पर काम कर रही है। सरकार कई बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव तैयार कर रही है जिसे कैबिनेट के सामने मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। सूचना के अनुसार केंद्र देश के आधे से अधिक सरकारी बैंकों के निजीकरण की तैयारी कर रही है। बैंकिंग इंडस्ट्री की हालत सुधारने के लिए सरकार की योजना आने वाले समय में सरकारी क्षेत्र में केवल पांच सरकारी बैंक रखने की है। इसके चलते तमाम बैंकों के निजीकरण का फैसला लिया जा रहा है।

सरकारी बैंकों का आपस में विलय नहीं किया जाएगा। इस स्थिति में सरकार के पास सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। इस योजना के पहले चरण में बैंक आॅफ इंडिया, सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक और बैंक आॅफ महाराष्ट्र और पंजाब एंड सिंध बैंक का निजीकरण किया जा सकता है। अभी देश में 12 सरकारी बैंक हैं। सरकार चाहती है कि देश में केवल 4 या 5 सरकारी क्षेत्र के बैंक रह जाएं। इस साल 10 सरकारी बैंकों का 4 बैंकों में विलय कर दिया गया था। बताया गया है कि सरकार स्टेट बैंक आॅफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक आॅफ बड़ौदा, केनरा बैंक और यूनियन बैंक को ही सरकारी क्षेत्र में रखने के पक्ष में है। अन्य सरकारी बैंकों का निजीकरण करने की तैयारी है।

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