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कोरोना के उपचार में प्लाज्मा थैरेपी का किया खारिज

इससे सांस की समस्या और थकान से थोड़ी राहत मिली लेकिन बुखार और खांसी को इससे आराम नहीं मिला।

कोरोना के उपचार में प्लाज्मा थैरेपी का किया खारिज
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नई दिल्ली। इंडियन काउंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च ने 14 राज्यों के 464 कोरोना मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी का ट्रायल करने बाद इसे कोरोना के उपचार के लिए खारिज करते हुए दावा किया है कि इससे सांस की समस्या और थकान से थोड़ी राहत मिली लेकिन बुखार और खांसी को इससे आराम नहीं मिला।

इंडियन काउंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च ( आईसीएमआर ) के शोध में पता चला है कि यह उपचार मरीज की बिगड़ती हालत को रोकने में कारगर नहीं है। बताया गया है कि 14 राज्यों के 39 अस्पतालों में 464 मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी का ट्रायल के लिए दो ग्रुप इंटरवेंशन और कंट्रोल बनाए गए। इंटरवेंशन ग्रुप में 235 कोरोना पीड़ितों को प्लाज्मा चढ़ाया गया। वहीं, कंट्रोल ग्रुप में 233 लोगों को कोविड-19 का स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट दिया गया। 28 दिन तक दोनों ग्रुप पर नजर के बाद सामने आया कि पहले ग्रुप में जिन 235 मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाया गया था, उनमें से 34 मरीजों की मौत हो गई। दूसरे ग्रुप के मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी नहीं दी गई, उसमें से 31 मरीजों की मौत हुई। दोनों ही ग्रुप में 17-17 मरीजों की हालत गंभीर बनी रही। प्लाज्मा थैरेपी से थोड़ा ही फायदा मरीज में सांस की समस्या और थकान को लेकर जरूर हुआ है। बुखार और खांसी रोकने में इस थेरेपी से मदद नहीं मिली।

अमेरिकन रेड क्राॅस का दावा है कि कोविड-19 से पूरी तरह उबर चुके मरीज का प्लाज्मा लेकर यदि कोरोना के नए मरीजों में चढ़ाया जाता तो इससे एंटीबाॅडीज बनने से कोरोना से लड़ने में मदद मिल सकती है। भारत के अलावा अमेरिका, स्पेन, दक्षिण कोरिया समेत कई देशों में इस थेरेपी का प्रयोग किया जा रहा है।

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