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आजाद हिंद सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे सुभाष चंद्र बोस

आजाद हिंद सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे सुभाष चंद्र बोस
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अंग्रेजों के खिलाफ जंग में देश का नेतृत्व देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी और आजादी की लडाइ के दौरान उन्होंने 1928 में कांग्रेस में यूनीफाॅर्म वाॅलेंटियर कोर का गठन किया था। नेताजी यूनीफाॅर्म वाॅलेंटियर कोर के जनरल अफसर कमांडिंग थे। नेताजी वाॅलेंटियर कोर के सदस्यों को पूरी तरह सैन्य प्रशिक्षण देकर देश के लिए जंग लडने की तैयारी की जाती थी।

बहुत कम लोग जानते हैं कि 21 अक्टूबर 1943 को बनी देश की पहली आजाद सरकार के प्रधानमंत्री, नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे। विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री पद भी उनके पास रहा। 23 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार के प्रधानमंत्री के रूप मे नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटेन और अमेरिका के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया था। उस वक्त 9 देशों की सरकारों ने सुभाष चंद्र बोस की सरकार को अपनी मान्यता दी थी। जापान के साथ जर्मनी, फिलीपींस, थाईलैंड, मंचूरिया, और क्रोएशिया ने भी आजाद हिंद सरकार को अपनी मान्यता दे दी तो इसके बाद आजाद हिंद सरकार ने जापान सरकार के साथ मिलकर बर्मा की राजधानी रंगून को अपना हेडक्वार्टर बनाया। 18 मार्च 1944 को सुभाष चंद्र बोस आजाद हिंद फौज ने नागालैंड की राजधानी कोहिमा में प्रवेश किया।

उड़ीसा के कटक में 1897 में संपन्न बंगाली परिवार में जन्मे नेता जी का बचपन उड़ीसा में बीता और वहां प्रारभिक शिक्षा के बाद उन्होंने कलकत्ता के प्रेसीडेंसी काॅलेज में दाखिला लिया। वे 1919 में ब्रिटेन गए और चैथे स्थान के साथ आइसीएस परीक्षा पास की। विदेशी सरकार के अधीन काम नहीं करने की इच्छा के चलते 1921 में इस्तीफा देकर स्वदेश वापस लौट आए और 1938 में कांग्रेस अध्यक्ष बने। 1939 के कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए भी वह चुनाव में खड़े हुए। महात्मा गांधी ने पट्टाभि सीतारमैया को खड़ा किया और चुनाव में सीतारमैया हार गए। कांग्रेस के असहयोग के चलते उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया। 22 जून, 1939 को आल इंडिया फारवर्ड ब्लाॅक का गठन का गठन किया। दो जुलाई, 1940 को गिरफ्तार कर कोलकाता के प्रेजीडेंसी जेल में रखा गया। इसके बाद वे अफगानिस्तान के रास्ते सोवियत संघ पहुंचे। वहां भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में स्टालिन से मदद मांगी लेकिन उसने इन्कार कर दिया। 1943 में सिंगापुर पहुंच आजाद हिंद फौज की कमान संभाली। जापान ने समर्थन दिया। 1945 में विमान दुर्घटना में मौत की खबर मिली।


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