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कभी हिमालय की तलहटी में ऋषिकेश और नैनीताल तक था समुद्र

दावा किया गया है कि आज जहां गगनचुंबी हिमालय है, वहां करीब पांच अरब 41 करोड़ साल पहले समुद्र था। नैनीताल, मसूरी और ऋषिकेश आदि हिमालय का समुद्री तट हुआ करता था।

कभी हिमालय की तलहटी में ऋषिकेश और नैनीताल तक था समुद्र
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नैनीताल। एक शोध में दावा किया है कि जहां गगनचुंबी हिमालय है, वहां करीब पांच अरब 41 करोड़ साल पहले समुद्र था।

नैनीताल की डाॅ. हर्षिता जोशी ने अपने शोध में दावा किया है कि ऋषिकेश के कोडियाला में समुद्री सतह वाले स्पोंज का लार्वा मिला है। इसके अलावा नैनीताल के खुर्पाताल क्षेत्र की चट्टानों में पियांजू सानियां स्पाइनोसा मेटाजोना (समुद्री जीव जंतु) के जीवाश्म मिले हैं। बताया गया है कि यह करीब पांच अरब 41 करोड़ वर्ष पहले के हैं। चीन में मौजूद पियांजू जीवाश्म भारत में पहली बार मिला है। पीजी कालेज पिथौरागढ़ में प्राध्यापक डाॅ. हर्षिता का यह शोध प्री केंब्रियन रिसर्च जर्नल अमेरिका में प्रकाशित हुआ है। 2011 से 2016 में हुए शोध में पाया गया कि मसूरी, नैनीताल, ऋषिकेश में पृथ्वी पर प्रारंभिक जीवन को दर्शाने वाले जीवाश्म मौजूद हैं। कुमाऊं विवि भूगर्भ विज्ञान विभाग के प्रो. राजीव उपाध्याय, वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलाजी की पूर्व विज्ञानी डा. मीरा तिवारी के निर्देशन में हर्षिता के शोध पत्र दावा किया गया है कि आज जहां गगनचुंबी हिमालय है, वहां करीब पांच अरब 41 करोड़ साल पहले समुद्र था। नैनीताल, मसूरी और ऋषिकेश आदि हिमालय का समुद्री तट हुआ करता था। हिमयुग के बाद समुद्र का तापमान बढ़ा और ज्वालामुखी से निकलने वाले पोषक तत्वों ने समुद्री तट में जैव विविधता को बढ़ाया। इन जीवों के ही जीवाश्म हिमालयीय क्षेत्र में पाए जाते हैं। इसी कड़ी में नैनीताल क्षेत्र में पियांजू सानियां नामक जीवाश्म खोजा गया है।

शोध में जीवाश्म की नैनीताल में उपस्थिति से दावा किया गया कि आज का उत्तरी भारत और दक्षिणी चीन तब एक ही समुद्र का हिस्सा थे। यह समुद्र मेटाजोना अर्थात समुद्री जीव बहुल था। शोध में पता चला है कि तब समुद्र के पानी का तापमान 70-80 डिग्री था। कम आक्सीजन के चलते बदली परिस्थिति में और पोषक तत्व बढ़ने से समुद्र में नए जीवों को विकसित होने का मौका मिला।

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