बीजेपी-शिवसेना के रिश्तों में फिर देवेंद्र फडणवीस को लेकर अटका मामला
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि शिवसेना के साथ बातचीत चल रही है और अगर दोनों पार्टियां साथ आती हैं तो शिवसेना को बाद में केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।
नई दिल्ली। क्या फिर से शिवसेना और भाजपा एक मंच पर आ रहे हैं। बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट का विस्तार महाराष्ट्र में एक बड़ा राजनीतिक उलटफेर कर सकती है। मामला देवेंद्र फडनवीस को लेकर अटका हुआ है।
सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि बीजेपी और शिवसेना के बीच पर्दे के पीछे से बातचीत चल रही है और इसी की वजह से पीएम मोदी की कैबिनेट का विस्तार रुका हुआ है। ये कैबिनेट विस्तार किसी भी दिन हो सकता है। हालांकि दोनों पार्टियों के बीच देवेंद्र फडणवीस की भूमिका पर विचार विमर्श हो रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक देवेंद्र फडणवीस को पीएम मोदी की कैबिनेट में जगह देकर दिल्ली बुलाया जा सकता है। फडणवीस को उद्धव ठाकरे का मुख्य प्रतिद्वंद्वी माना जाता है और बीजेपी के साथ दोबारा गठजोड़ के बाद बीजेपी के दो उपमुख्यमंत्रियों के साथ उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहेंगे। एक रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी के सूत्रों ने इसे खारिज किया है और उनका कहना है कि केंद्रीय कैबिनेट का विस्तार महाराष्ट्र की सियासी गतिविधियों से जुड़ा नहीं है। बीजेपी से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि शिवसेना के साथ किसी भी फाॅर्मूले पर तभी सहमति बनेगी, जब देवेंद्र फडणवीस की बतौर मुख्यमंत्री वापसी होगी। उन्होंने कहा कि इसके बिना पार्टी लीडरशिप किसी भी तरह के समझौते पर तैयार नहीं होगी, क्योंकि 2019 के महाराष्ट्र चुनावों में बीजेपी को शिवसेना के मुकाबले दोगुनी सीटें मिली थीं।
उधर देवेंद्र फडणवीस ने भी ऐसी अटकलों को खारिज किया था और कहा था कि वे महाराष्ट्र में ही रहेंगे। केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री पद के बारे में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए देवेंद्र फडणवीस ने पिछले हफ्ते कहा कि बीजेपी में सिर्फ प्रधानमंत्री अंतिम फैसला लेते हैं। जो कुछ भी वे फैसला करेंगे, सभी को स्वीकार होता है। पार्टी ने महाराष्ट्र में मुझे विपक्ष के नेता की भूमिका दी है और मैं इसे मजबूती से निभा रहा हूं। मुझे नहीं लगता कि मुझे दिल्ली जाने की आवश्यकता है। पार्टी इस बारे में फैसला लेगी। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि शिवसेना के साथ बातचीत चल रही है और अगर दोनों पार्टियां साथ आती हैं तो शिवसेना को बाद में केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। बीजेपी नेताओं ने कहा कि दोनों पार्टियों के नेताओं में यह भाव है कि बीजेपी और शिवसेना को साथ आना चाहिए और दोनों पार्टियों का गठबंधन स्वाभाविक है। इसके साथ ही इन नेताओं ने एनसीपी नेता अनिल देशमुख के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को भी रेखांकित किया और कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इसे लेकर सहज नहीं हैं।