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कांग्रेस : उच्च स्तरीय पदों पर भारी फेरबदल कुछ के पर कतरे, नए चेहरों पर लगाया दांव

कांग्रेस : उच्च स्तरीय पदों पर भारी फेरबदल  कुछ के पर कतरे, नए चेहरों पर लगाया दांव
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आजादी की लड़ाई में कांग्रेस के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। दरअसल कांग्रेस दूसरी पार्टियों से इस मायने में अलग है कि यहां पर शीर्ष नेतृत्व के प्रति पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की प्रतिबद्धता दूसरी पार्टियों की तुलना में अधिक रहती है। शायद यही वजह है कि कांग्रेस प्रमुख का पद इसके गठन से लेकर अब तक ज्यादातर एक ही परिवार के हिस्से में रहा है। हालिया चुनावों में कांग्रेस पार्टी के लचर प्रदर्शन को देखते हुए अंदर खाने इसमें बदलाव की बात उड़ती रही है लेकिन अधिकतर पदाधिकारियों का मत पुरानी परंपरा को बनाए रखते हुए आगे बढ़ने का था। विगत लोकसभा चुनाव में पार्टी ने बेहद घटिया प्रदर्शन किया था, विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश में। इसके बाद पार्टी में इस्तीफों का दौर शुरू हुआ। उसी के साथ बदलाव की बात फिर जोरदार तरीके से उठी जिसे नजरअंदाज कर पाना अब शीर्ष स्तर के बस की बात नहीं रही।

ताज़े बदलाव में पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) का पुनर्गठन करते हुए ग़ुलाम नबी आज़ाद और मल्लिकार्जुन खड़गे समेत चार वरिष्ठ नेताओं को महासचिव की ज़िम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है। जारी नई लिस्ट के अनुसार अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिवों और प्रभारियों के पद में बदलाव किया गया है। महासचिव, पार्टी संगठन, कैसी वेणुगोपाल ने बयान जारी कर बताया कि ग़ुलाम नबी आज़ाद, मोतीलाल वोरा, अंबिका सोनी और मल्लिकार्जुन खड़गे अब पार्टी के महासचिव पद से मुक्त हो गए हैं। वहीं, एक अहम बदलाव में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पार्टी के संगठनात्मक और कामकाज से जुड़े मामलों में मदद करने के लिए विशेष समिति का गठन हुआ है। वहीं, सोनिया गांधी ने विचार विमर्श के बाद एआईसीसी सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी का पुनर्गठन कर दिया है। उल्लेखनीय है, पिछले दिनों कई वरिष्ठ नेताओं ने गुलाम नबी आज़ाद सहित कई अन्य लोगों के पदों में बदलाव के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को विवादित पत्र लिखा था।

हालांकि आज़ाद का महत्व बरकरार रखते हुए उन्हें महासचिव पद से हटाने के साथ ही सीडब्ल्यूसी में स्थान दिया गया है। इस विवादित पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले जितिन प्रसाद को उत्तर प्रदेश से हटाकर पश्चिम बंगाल का राज्य प्रभारी बनाकर भेजा गया है जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, इसे पार्टी में उनकी तरक्की के तौर पर देखा जा रहा है। इस बदलाव में बाजी रणदीप सुरजेवाला के हाथों लगी है। उन्हें अब कांग्रेस अध्यक्ष को सलाह देने वाली उच्च स्तरीय छह सदस्यीय विशेष समिति का सदस्य बनाने के साथ ही कांग्रेस का महासचिव और कर्नाटक का प्रभारी बनाया गया है। वहीं, पिछले कई महीनों से उत्तर प्रदेश में सक्रिय रहकर पार्टी को धार दे रही प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। वहीं मुकुल वासनिक को मध्य प्रदेश के पार्टी महासचिवों की ज़िम्मेदारी दी गई है, साथ ही हरीश रावत को पंजाब की, ओमान चांडी को आंध्र प्रदेश की, तारिक अनवर को केरल और लक्षद्वीप की, जितेंद्र सिंह को असम की, अजय माकन को राजस्थान की ज़िम्मेदारी दी गई है। साथ ही के सी वेणुगोपाल को संगठन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है और मधुसूदन मिस्त्री को केंद्रीय चुनाव समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इसके अलावा राहुल के वफ़ादार माने जाने वाले मनकीम टैगोर को तेलंगाना का प्रभारी सचिव नियुक्त किया गया है। वहीं 24 अगस्त को हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में बनी सहमति के मुताबिक़ छह सदस्यीय एक विशेष समिति का गठन किया है।

ये समिति पार्टी के संगठन और कामकाज से जुड़े मामलों में सोनिया गांधी का सहयोग करेगी। इस विशेष समिति में एके एंटनी, अहमद पटेल, अंबिका सोनी, केसी वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक और रणदीप सिंह सुरजेवाला शामिल हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेसी शीर्ष नेतृत्व द्वारा किए गए पार्टी में अहम बदलाव के क्या परिणाम सामने आते हैं। जानकारों का कहना है कि पार्टी के प्रदर्शन में लगातार आ रही गिरावट को देखते हुए सिपहसालारों ने संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की हुंकार भर दी है।


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