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राजस्थान कांग्रेस में उठापटक के बीच सचिन पायलट से मिलने पहुंचे विधायक

विधायकों ने कहा कि आलाकमान को कार्यकर्ताओं से जुड़े मसले सुलझाने चाहिए। राजनीतिक नियुक्तियों में हो रही देरी से कार्यकर्ता हताश हो रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह ने भी सोच समझ कर बात कही होगी। 5 साल संघर्ष करने वाले नेताओं-कार्यकर्ताओं की आवाज को उन्होंने बुलंद किया है

राजस्थान कांग्रेस में उठापटक के बीच सचिन पायलट से मिलने पहुंचे विधायक
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जयपुर। राजस्थान में सियासी संकट की आहट के बीच आज पायलट खेमे के 8 विधायकों ने उनसे मुलाकात की और कहा कि हम लोग पायलट के साथ मजबूती से खड़े हैं। हम कांग्रेस में हैं और कांग्रेस में रहकर ही आवाज उठाएंगे।

इन विधायकों का कहना था कि आलाकमान ने जो वादे किए, उन्हें पूरा करना चाहिए। पायलट ने पार्टी के लिए संघर्ष किया है, उन्हें सुना जाना चाहिए। पायलट के घर पहुंचने वाले विधायकों में विश्वेंद्र सिंह, वेदप्रकाश सोलंकी, पी आर मीणा, मुकेश भाकर, गुरुदीप सिंह साहपीनी, राकेश पारीक, जी आर खटाना और रामनिवास गावड़िया शामिल हैं। पायलट से मिलने के बाद विधायक मुकेश भाकर और रामनिवास गावड़िया ने कहा कि कल होने वाले प्रदर्शन को लेकर चर्चा हुई है। स्व। राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर दौसा में कार्यक्रम करेंगे। हम लोग अपने जिले और ब्लाॅक में रहकर श्रद्धांजलि देंगे। उन्होंने कहा कि हम लोग पायलट के साथ मजबूती से खड़े हैं। विधायकों ने कहा कि आलाकमान को कार्यकर्ताओं से जुड़े मसले सुलझाने चाहिए। राजनीतिक नियुक्तियों में हो रही देरी से कार्यकर्ता हताश हो रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह ने भी सोच समझ कर बात कही होगी। 5 साल संघर्ष करने वाले नेताओं-कार्यकर्ताओं की आवाज को उन्होंने बुलंद किया है। जिन लोगों का पार्टी के लिए योगदान है उन्हें उनका हक मिलना चाहिए। आलाकमान ने जो वादे किए उन्हें पूरा करना चाहिए। 10 महीने बीत चुके हैं।

विधायकों का यह भी कहना था कि जिस तरह से सिद्धू की बात सुनी गई है। उसी तरह पायलट की बात भी सुनी जानी चाहिए थी। हमारा संघर्ष जारी है और करते रहेंगे। वहीं विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने भी यही बातें दोहरायी। उन्होंने कहा कि अभी आलाकमान से मिलने का वक्त नहीं मांगा गया है। सोलंकी ने कहा कि हम जिस तरह रोज भगवान के मंदिर जाते हैं। उसी तरह से हम रोज गहलोत के यहां गुहार लगाते हैं। देखते हैं हमारी बात कब सुनी जाती है।

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