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उद्धव सरकार ने केंद्र से की गवर्नर कोश्यारी को वापस बुलाने की मांग

शिवसेना ने अपने मुखपत्र श्सामनाश् के संपादकीय में कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी फिर से खबरों में हैं। वह पिछले कई वर्षों से राजनीति में रहे हैं। वह केंद्रीय मंत्री थे और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रहे। बहरहाल, जब से वह महाराष्ट्र के राज्यपाल बने हैं, वह हमेशा खबरों में रहे या विवादों में घिरे रहे।

उद्धव सरकार ने केंद्र से की गवर्नर कोश्यारी को वापस बुलाने की मांग
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नई दिल्ली। शिवसेना और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच तकरार के बीच महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल भाजपा के ढर्रे पर चल रहे हैं। पार्टी ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार चाहती है कि संविधान बरकरार रहे तो उसे उन्हें वापस बुला लेना चाहिए। शिवसेना का कहना है कि महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार स्थिर और मजबूत है और राज्य सरकार पर निशाना साधने के लिए केंद्र राज्यपाल के कंधे का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र श्सामनाश् के संपादकीय में कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी फिर से खबरों में हैं। वह पिछले कई वर्षों से राजनीति में रहे हैं। वह केंद्रीय मंत्री थे और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रहे। बहरहाल, जब से वह महाराष्ट्र के राज्यपाल बने हैं, वह हमेशा खबरों में रहे या विवादों में घिरे रहे। कुछ दिनों पहले भी महाराष्ट्र सरकार और राज्यपाल कोश्यारी के बीच का एक विवाद खबरों में बना हुआ था। जहां महाराष्ट्र सरकार नेे उन्हें उत्तराखंड जाने के लिए विमान देने से मना कर दिया था. सरकार का कहना था कि निजी यात्रा के लिए विमान नहीं दिया जाएगा। वहीं कोश्यारी का कहना था कि वो निजी यात्रा के लिए नहीं जा रहे थे।

सामना के संपादकीय में कहा गया कि वह हमेशा विवादों में क्यों रहते हैं यह एक सवाल है। शिवसेना ने कहा विपक्षी भाजपा इसे मुद्दा बना रही है। उसने पूछा कि जब सरकार ने विमान को उड़ने की मंजूरी नहीं दी थी तो वह विमान में बैठे ही क्यों। संपादकीय में कहा गया कि यह राज्यपाल का निजी दौरा था और कानून के मुताबिक केवल राज्यपाल ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री भी इस तरह के उद्देश्यों के लिए सरकारी विमान का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने कानून के मुताबिक काम किया।

उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने पूछा कि विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्य सरकार पर अहंकारी होने का आरोप लगाया। देश जानता है कि अहंकार की राजनीति कौन कर रहा है। दिल्ली की सीमाओं पर तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन के दौरान 200 से अधिक किसानों की मौत के बावजूद सरकार कानून वापस लेने के लिए तैयार नहीं है। क्या यह अहंकार नहीं है? इसने कहा कि राज्यपाल को सरकार के एजेंडा पर चलना चाहिए न कि विपक्ष के। शिवसेना ने राज्य कैबिनेट द्वारा अपने कोटा से विधान परिषद् में 12 नामों की अनुशंसा को मंजूरी देने में विलंब करने की भी आलोचना की। इसने आरोप लगाया कि राज्यपाल कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं।

इसने कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल सम्मनित व्यक्ति हैं। लेकिन वह जिस पद पर हैं उसकी प्रतिष्ठा बरकरार रखने की जिम्मेदारी उनकी भी है। बहरहाल, उन्हें भाजपा की धुन पर नाचने के लिए बाध्य किया जा रहा है। इसने कहा कि अगर केंद्रीय गृह मंत्रालय चाहता है कि संविधान, कानून और नियम बरकरार रहे तो उसे राज्यपाल को वापस बुला लेना चाहिए।

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