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बदइंतिजामी के चलते कोरोना पीड़ित बीजेपी पार्षद की अस्पताल में मौत, मरने से 5 घंटे पहले भेजा मैसेज 'मुझे मार डालने से बचा लीजिए'

आम पब्लिक की क्या कहें जब सत्ताधारी पार्टी के पार्षद की जिंदगी बदइंतिज़ामी की भेंट चढ़ गई। मामला यूपी के मुरादाबाद में बीजेपी पार्षद का है। अब उनकी मौत के बाद टीमयू कोविड सेंटर सवालों के घेरे में है। आपको बता दें बीजेपी के महानगर मंत्री और पार्षद राकेश खरे की कोरोना से मौत हो गई थी। राकेश खरे ने मौत से पांच घंटे पहले अस्पताल को कठघरे में खड़ा करते हुए एक मेसेज लिखा था। गौरतलब बात ये है कि मेसेज भेजने के पांच घंटे के अंदर ही उनकी मौत हो गयी थी। बद इंतिज़ामी के चलते पार्षद की मौत होने से अस्पताल पर सवाल उठ रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार बीजेपी के नगर मंत्री और पार्षद राकेश खरे ने अपनी मौत से पहले वॉट्सऐप पर पार्टी के महानगर अध्यक्ष धर्मेंद्र नाथ मिश्रा को एक मेसेज भेजा था।

राकेश खरे ने मैसेज में लिखा था 'अध्यक्ष जी यहां यह स्थिति है कि कोई डॉक्टर नहीं है। यह लोग अपना रिसर्च कर रहे हैं। मुझे अच्छे में ही मार डालेंगे। मुझे बचा लीजिए,आज की रात कठिन है।' इस मामले का सबसे दुखद पहलू यह रहा कि बीजेपी पार्षद राकेश को बचाया नहीं जा सका। अध्यक्ष को मेसेज भेजने के पांच घंटे बाद ही उनकी अस्पताल में सांसें धम गईं। बताते चलें मुरादाबाद के कटघर निवासी 40 वर्षीय राकेश खरे की तबीयत खराब होने के बाद उनको कॉसमास हॉस्पिटल ले जाया गया। कोरोना पॉजिटिव निकलने के बाद उन्हें 29 अगस्त को टीएमयू में भर्ती कराया गया था। इस अस्पताल में उनका कोरोना का इलाज चल रहा था। उधर, राकेश के बड़े भाई राम बाबू खरे ने बताया कि आठ सितंबर को सुबह 7 बजे टीएमयू कोविड सेंटर में राकेश खरे की मौत हो गई। राकेश के बच्चों ने उनका मोबाइल चेक किया तो देखा कि रात दो बजे मौत से पहले एक मेसेज बीजेपी महानगर अध्यक्ष धर्मेंद्र नाथ मिश्रा को किया गया है। राकेश के घर में उनकी पत्नी लक्ष्मी के अलावा एक बेटा (14) ओर एक बेटी (12) वर्षीय हैं। वहीं राम बाबू ने आरोप लगाया है कि टीएमयू में गड़बड़ी हुई है, जिसकी जांच होनी चाहिए। कहा, कि वह इसके लिए टीएमयू के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की भी मांग करेंगे।

वहीं बीजेपी नेता धर्मेंद्र नाथ मिश्रा ने अफसोस जताते हुए कहा, 'राकेश के निधन से मुझे बहुत दुख है। मेरे पास वॉट्सऐप मेसेज देर रात 2 बजे किया था, उनका सुबह निधन हो गया। उन्होंने कहा, उनके साथ मेरे घरेलू संबंध थे। मेसेज परिवार वालों को नहीं दिखाया था। वह ऐसी स्थिति में नही थे। धर्मेंद्र नाथ मिश्रा ने कहा हम सबने लगातार उनके लिए प्रयास किए, उनको दो बार प्लाज्मा दिया। जिलाधिकारी महोदय ने उनके लिए लगातार प्रयास किए। लेकिन मौत ने उन्हें अपने आगोश में ले लिया, हम सब दुखी हैं।'

वहीं, कोविड सेंटर टीएमयू के प्रभारी वीके सिंह ने बताया, 'लापरवाही का कोई सवाल ही नहीं उठता है। कहा, रात भर हमारे पास जो बेस्ट पॉसिबल इलाज था वह किया गया था, प्लाज्मा भी दिया गया था, हमने पूरी कोशिश की, लेकिन वह बच नहीं सके। वीके सिंह ने बताया सरकार की गाइडलाइंस के हिसाब से ही इलाज किया जा रहा है। आपको बताते चलें कि टीएमयू कोविड सेंटर की छत से कई कोरोना मरीजों की खुदकुशी के मामले भी सामने आ चुके हैं। अब देखना ये है कि सत्ताधारी पार्टी के पार्षद की लापरवाही के चलते हुई मौत के बाद सरकार दोषी अस्पताल के खिलाफ क्या एक्शन लेती है।

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