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सरकारी सेवा नियमावली में बदलाव : उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और सरकार आमने सामने

सरकार का कहना प्रस्ताव तैयार, मौर्य बोले विपक्ष फैला रहा अफवाह

सरकारी सेवा नियमावली में बदलाव : उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और सरकार आमने सामने
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विधानसभा चुनाव की तिथि जैसे-जैसे करीब आ रही है, वैसे- वैसे उत्तर प्रदेश की राजनीति में उबाल आना शुरू हो गया है। ताजा बखेड़ा उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयान के बाद खड़ा हो गया है। आपको बता दें डिप्टी चीफ मिनिस्टर केशव प्रसाद मौर्य ने प्रयागराज दौरे में कहा कि योगी सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है जिससे बेरोजगारों के हितों पर कोई आंच आए। कहा, यह कोरी अफवाह है जो विपक्षी दल सरकार को बदनाम करने के लिए फैला रहे हैं।

ज्ञातव्य हो उत्तर प्रदेश में 5 साल संविदा प्रस्‍ताव को लेकर बेरोजगार आक्रोशित हैं, बवाल मचा हुआ है। धरना, प्रदर्शन, विरोध का सिलसिला लगातार जारी है। मौर्या ने कहा, सरकारी नौकरियों में 5 साल की संविदा और 50 साल में रिटायरमेंट जैसे नए नियम लागू करने के बारे में कोई योजना नहीं है। कहा, मुद्दाविहीन विपक्ष युवाओं को अफवाह से गुमराह कर रहा है। केशव प्रसाद मौर्य के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार नौकरियों में पांच साल संविदा को लागू करने नहीं जा रही है। नाहीं पचास साल के रिटायरमेंट का कोई प्लान सरकार के पास है।

सरकारी भर्तियों के नियमों में कोई बदलाव नहीं होगा और न ही भविष्य में ऐसा करने का कोई विचार है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य युवाओं को संबोधित कर रहे थे। मौर्य ने युवाओं को आश्वासन दिया कि नौजवानों को किसी के बहकावे में आने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा सरकार की मंशा है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया जाए। सरकार इसकी तैयारी भी कर रही है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी के शासनकाल में निकलने वाली हर भर्ती भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ जाती थी। मोटी रिश्वत देने पर नौकरियां मिलती थी। लेकिन इस सरकार में युवाओं को योग्यता के आधार पर नौकरी मिल रही है।

उल्लेखनीय है यूपी सरकार जिस नए प्रस्ताव पर विचार कर रही है, उसमें सरकारी नौकरी के पहले पांच साल कर्मचारियों को संविदा पर नियुक्त करने का प्रावधान है। नए प्रस्ताव के अनुसार पहले पांच वर्ष नए नियुक्त कर्मचारी संविदा के आधार पर काम करेंगे और हर 6 महीने में उनका असेसमेंट किया जाएगा। इसके साथ ही इस असेसमेंट में एक परीक्षा भी कराई जा सकती है, जिसमें न्यूनतम 60 फीसदी अंक पाना जरूरी होगा। वही 60 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले लोग सेवाओं से बाहर कर दिए जाएंगे। सूत्र बताते हैं, नए प्रस्ताव के अनुसार, संविदा की पांच वर्षों की नियुक्ति के दौरान कर्मचारियों को किसी भी तरह का सर्विस बेनिफिट नहीं मिलेगा। वहीं दूसरी तरफ सरकार का तर्क है कि नई व्यवस्था के होने से सरकार पर वेतन का बोझ कम होगा और कर्मचारियों की कार्यकुशलता में इज़ाफ़ा होगा। युवा इस नए प्रस्ताव को अमल में लाने की सुगबुगाहट को लेकर खासे आक्रोशित हैं वही सरकार का दावा है नियमों में बदलाव के बाद गवर्नेंस और मजबूत होगा, जिसका लाभ आम लोगों को होगा।


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