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प्रदेश में बिजली संकट बढ़ा, गांवों में पांच घंटे की कटौती

कई यूनिटों के बंद होने से बढ़ा संकट

प्रदेश में बिजली संकट बढ़ा, गांवों में पांच घंटे की कटौती
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उत्तर प्रदेश में बिजली संकट गहरा गया है। वार्षिक मरम्मत के साथ अचानक कई यूनिटों में खांमियां आने से ग्रामीण इलाके में पांच घंटे की कटौती करनी पड़ रही है। सिक्किम आपदा एवं अन्य कई राज्यों में विद्युत उत्पादन प्रभावित होने की वजह से एक्सचेंज पर भी पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है। ऐसी स्थिति में अभी कम से कम पांच दिन बिजली कटौती झेलनी पड़ेगी। प्रदेश में हर साल अक्तूबर माह में बिजली उत्पादन इकाइयों की मरम्मत सहित अन्य कार्य होता है। ऐसे में छह यूनिटों से उत्पादन बंद किया गया। इससे करीब 1421 यूनिट उत्पादन कम हुआ। इसी बीच सोमवार को अचानक छह अन्य यूनिटों में भी तकनीकी और अन्य कई तरह की गड़बडियां आ गई। इससे 1633 मेगावाट बिजली उत्पादन कम हो गया। इस तरह प्रदेश में कुल 3054 मेगावाट बिजली उत्पादन कम हो गया। इसी बीच उमस बढ़ गई, जिसकी वजह से खपत का ग्राफ बढ़ने लगा। प्रदेश में पीक डिमांड 23500 मेगावाट पहुंच गई और उपलब्धता 20 हजार मेगावाट के आसपास रही। ऐसे में करीब 3500 मेगावाट की कटौती करनी पड़ी। हालांकि मंगलवार को तकनीकी खराबी की वजह से बंद हुई चार यूनिटों ठीक हो गई हैं, लेकिन अभी बारा की 660 और टांडा की 660 मेगावाट की एक-एक यूनिट से उत्पादन बंद है। इन दोनों में 13 अक्तूबर के बाद उत्पादन शुरू होगा। जबकि वार्षिक मरम्मत वाली यूनिटें अभी लंबे समय तक बंद रहेंगी।

यूपीएसएलडीसी की दैनिक प्रणाली रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में 18 घंटे की अफेक्षा 13 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है। इसी तरह नगर पंचायत में 21.30 घंटे की जगह 18 घंटे, तहसील मुख्यालय को 21. 30 घंटे के बजाय 18. 26 घंटे बिजली मिल रही है। बुंदेलखंड को 20 के बजाय 16. 25 घंटे बिजली दी जा रही है। इस तरह देखा जाए तो चार से पांच घंटे तक की मुख्य आपूर्ति कम की जा रही है। दूसरी तरफ लोकल फाल्ट पहले जैसा ही बना हुआ है। ऐसे में ग्रामीण इलाके को बमुश्किल 10 घंटे ही बिजली मिल पा रही है। प्रदेश में बैंकिंग सितंबर तक करीब 2500 से 3000 मेगावाट बिजली बैकिंग के जरिए मिल रही थी। इसी तरह सिक्किम से 250 मेगावाट मिलती थी। सिक्कम से बिजली मिलना पूरी तरह से बंद है, जबकि बैकिंग में भी बिजली कम मिल पा रही है। इस वजह से घरेलू उत्पादन कम होने के वैकल्पिक रास्ते बंद हो गए हैं। बारा की 660 मेगावाट, रिहंद की 500 मेगावाट, टांडा की 660 मेगावाट और रोजा की 300 मेगावाट, ऊंचाहार की 500 और 210 मेगावाट के साथ हरदुआगंज की 105 मेगावाट का उत्पादन सात व आठ अक्तूबर को अचानक बंद हुआ है। इनसमें चार यूनिटों में लिकेज हो गया था। हरदुआगंज में कोयले का संकट आ गया था। इन सभी यूनिटों से उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन को 1633 मेगावाट बिजली मिलती थी। अतिरिक्त बिजली ग्रिड के जरिए अन्य राज्यों को भेजी जाती थी। हालांकि सोमवार को बारा और टांडा को छोड़ अन्य यूनिटों से उत्पादन शुरू होने का दावा किया गया है। अक्तूबर माह में नियमित मरम्मत के लिहाज से रोजा की 300 मेगावाट, मेजा की 660 मेगावाट, रिहंद की 500 मेगावाट, सिंगरौली की 500 मेगावाट और अनपरा की 210 मेगावाट की इकाई को बंद किया गया है। इसमें यूनिटें 21 अक्तूबर से एक दिसंबर के बीच फिर से शुरू होंगी। इन यूनिटों से पावर काॅरपोरेशन को 1421 मेगावाट बिजली मिलती थी। अतिरिक्त बिजली दूसरे राज्यों को भेजी जाती है। कुछ यूनिटें निर्धारित प्रक्रिया के तहत बंद की गई है, लेकिन कुछ अचानक बंद हो गई। इसी बीच मौसम में गर्मी बढ़ी और सिक्किम में बादल फटने से संकट हो गया। बैंकिंग से भी बिजली कम मिल पा रही है। इस वजह से समस्या आई है। लेकिन बुधवार तक संकट कम हो जाएगा। कोशिश है कि उपभोक्ताओं को ज्यादा समस्या का सामना न करना पड़ा। - डा. आशीष कुमार गोयल, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन

बिजली संकट को देखते हुए अक्टूबर माह में चलाए जा रहे हैं अनुरक्षण कार्य को तत्काल रोका जाए। कुछ यूनिटों को चलाकर उपभोक्ताओं को पर्याप्त बिजली दी जाए। राज्य सेक्टर की उत्पादन निगम की बिजली इकाइयां लगभग 4225 मेगावाट का उत्पादन कर रही है,जो काफी अच्छी स्थिति में हैं। पावर एक्सचेंज पर इस समय बिजली महंगी जरूर है, लेकिन उसे पर भी नजर रखना चाहिए। जितनी भी बिजली की उपलब्धता हो उसके हिसाब से अपनी कार्ययोजना बनाना चाहिए। जब सितंबर के बाद बैंकिंग की बिजली नहीं मिलना था तो पहले से रणनीति तैयार करनी चाहिए थी। - अवधेश कुमार वर्मा, अध्यक्ष राज्य उपभोक्ता परिषद

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