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गुड व खांडसारी का एसएमपी तय करने की मांग

किसानों को कोल्हू और क्रेशर पर गन्ना बेचने से लगभग सौ रुपये प्रति क्विंटल का घाटा होता है। अगर बाजार में गुड़-शक्कर व् खांडसारी का दाम अच्छा रहेगा, तो किसानों को गन्ना मूल्य चीनी मिल से भी ज्यादा भी मिल सकता है।

गुड व खांडसारी का एसएमपी तय करने की मांग
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मुजफ्फरनगर। पीजेंट्स वेल्फेयर एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से गन्ने से बनने वाले उत्पाद गुड़-शक्कर व खांडसारी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) तय करने की मांग की है।

इस सम्बन्ध में भेजे गए पत्र में देश में कहा गया है कि अनेकों राज्यों में कोल्हू क्रेशरों पर गन्ने से उत्पादित गुड़-शक्कर व खांडसारी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) न होने के कारण सीजन में इनका मूल्य काफी गिर जाता है, और इस कारण कोल्हू क्रेशरों पर किसानो को गन्ने का मूल्य केंद्र सरकार द्वारा तय व राज्यों सरकार द्वारा मूल्य से काफी कम मूल्य मिलता है। गन्ने से बनने वाले उत्पाद गुड़-शक्कर व् खांडसारी आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के अंतर्गत शामिल रहा है। इस अधिनयम की धारा 3 की उपधारा 2 (ग) के अनुसार केंद्र सरकार कीमतें नियंत्रित करने के लिए ऐसी कीमते जिस पर किसी आवश्यक वस्तु का क्रय या विक्रय किया जा सकेगा निर्धारित कर सकती है।

इस अधिनयम की धारा 3 के खंड 2 (ग) की शक्तियों क प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2018 में चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एक्स मिल रेट) तय किये गये थे, इससे चीनी के भाव में स्थिरता आई है। और इससे किसानो को गन्ने का भुगतान मिलने में पहले के मुकाबले जल्दी व अधिक भुगतान मिला है। केंद्र सरकार आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के अंतर्गत कोल्हू क्रेशरों पर गन्ने से उत्पादित गुड़-शक्कर व् खांडसारी का न्यूनतम बिक्री मूल्य तय करने के साथ ही गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966, जिसमे केंद्र सरकार को गन्ने की खरीद को विनियमित करने की शक्तियां प्रदान की गई हैं, के अंतर्गत कोल्हू क्रेशरों के लिए भी अलग से एफआरपी तय कर सकती है, जिससे किसानो को अपना गन्ना सस्ते में बेचने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा। किसानों को कोल्हू और क्रेशर पर गन्ना बेचने से लगभग सौ रुपये प्रति क्विंटल का घाटा होता है। अगर बाजार में गुड़-शक्कर व् खांडसारी का दाम अच्छा रहेगा, तो किसानों को गन्ना मूल्य चीनी मिल से भी ज्यादा भी मिल सकता है। इस समय किसान 225 रु से 250 रु प्रति कुंतल रेट पर मजबूरी में अपना गन्ना कोल्हू पर डाल रहा है।

पत्र में कहा गया है कि गन्ने से बनने वाले उत्पाद गुड़-शक्कर व खांडसारी का किसान हित में न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करना किसान हित में बेहद जरुरी है। गुड़-शक्कर आदि का न्यूनतम बिक्री मूल्य तय होने से इन उत्पादों की क्वालिटी में भी मानक तय होंने से सुधार होगा, जिससे उपभोक्ता को सही उत्पाद मिलेगा। गुड़-शक्कर उद्योग को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग, रोजगार सृजन, उत्पाद की गुणवत्ता, तकनीकी उन्नयन, कौशल विकास समेत कामन फैसिलिटी सेंटर, टेस्टिंग लैब, व्यापार केंद्रों जैसी अवस्थापना सुविधाओं के विकास की जरूरत है। आर्गेनिक गुड़ के निर्यात के लिए एमोजाॅन, फ्लिप कार्ड, वाॅलमार्ट व अन्य कंपनियों से संपर्क कर ई-मार्केटिंग की जा सकती है। पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने अनुरोध किया है कि केंद्र सरकार को कोल्हू क्रेशरों गन्ने से बनने वाले उत्पाद गुड़-शक्कर व् खांडसारी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) तय किया जाए।

पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के संयोजक अशोक बालियान तथा सदस्य सलाहकार समिति सुभाष चैधरी, डाॅ राजमोहन, राजेन्द्र पंवार एडवोकेट, कामरान हसनेन एडवोकेट, रजनीश सहरावत, विनीत बालियान, धर्मेन्द्र बालियान एडवोकेट, निखिल बालियान शामिल हैं।

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