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यूपी में शिक्षकों के अंतर जनपदीय तबादले 15 फरवरी से

बेसिक शिक्षा परिषद परिषद के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में नियुक्त शिक्षकों की अंतर जिला तबादला प्रक्रिया दो दिसंबर, 2019 को शुरू हुई थी। पहले चरण में 1.04 लाख शिक्षकों ने पंजीकरण कराया और 70,838 ने आवेदन किया।

यूपी में शिक्षकों के अंतर जनपदीय तबादले 15 फरवरी से
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 15 फरवरी से परिषदीय शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादलों का रास्ता साफ हो गया है।

बेसिक शिक्षा परिषद ने इस बार दो तरह से अंतर जिला तबादलों के लिए आवेदन मांगे थे। पहला रिक्त पद व दूसरा पारस्परिक स्थानांतरण । ऐसे में रिक्त पद की सूची जारी हो गई है, जबकि परिषदीय शिक्षकों का पारस्परिक अंतर जनपदीय तबादला की सूची व समस्त औपचारिकता को तीन दिन के अंदर पूरी करने का आदेश अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा रेणुका कुमार ने देर शाम जारी कर दिया। 15, 16, 17 फरवरी को शिक्षकों के तबादले की कार्रवाई पूरे करने के आदेश सीएम योगी से मिलने के बाद अनुमति दे दी गई।

प्रदेश में आठ आकांक्षी जनपद सिद्धार्थ नगर, श्रावस्ती, बहराइच, सोनभद्र, चंदौली, फतेहपुर, चित्रकूट व बलरामपुर जिले हैं। इन जिलों में पारस्परिक तबादलों को ही अनुमति दी गई यानी जितने शिक्षक वहां जाएंगे, उतने ही अन्य जिलों में जा सकते हैं। इन जिलों में जाने वालों की तादाद कम होने से भी तबादला आवेदन निरस्त हुए। तबादले की नियमावली में उल्लेख था कि जिले में स्वीकृत पदों के सापेक्ष सिर्फ 15 फीसद ही तबादले हो सकेंगे। इस वजह से उन जिलों के आवेदन निरस्त हुए जहां शिक्षक पहले से अधिक थे और वहां जाने वालों की तादाद ज्यादा थी। बेसिक शिक्षा परिषद परिषद ने कोर्ट के निर्देश पर जिलों में पुरुष शिक्षकों की 5 साल व महिला शिक्षिकाओं की दो साल की सेवा अवधि तय की। इस आधार पर बड़ी संख्या में आवेदन निरस्त हुए हैं। ज्ञात हो कि पहले पुरुष शिक्षकों की तीन साल व महिला शिक्षिकाओं की एक साल व दिव्यांग को सेवा अवधि से मुक्त रखा गया था।

बेसिक शिक्षा परिषद परिषद के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में नियुक्त शिक्षकों की अंतर जिला तबादला प्रक्रिया दो दिसंबर, 2019 को शुरू हुई थी। पहले चरण में 1.04 लाख शिक्षकों ने पंजीकरण कराया और 70,838 ने आवेदन किया। बीएसए तय समय में आवेदनों का सत्यापन नहीं कर सके। समय सीमा बढ़ी, लेकिन फिर कोरोना संक्रमण काल में सब कुछ ठप हो गया। 21,695 शिक्षकों को मनचाहे जिले में जाने की सौगात मिली। वहीं, करीब 50 हजार शिक्षकों को तबादला सूची से बाहर होना पड़ा है। यह उलटफेर बदले नियम और कड़ी शर्तों की वजह से हुआ है।

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