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हापुड के धोलाना में 25 फीट हवा में उछलकर 50 मीटर दूर जा गिरे थे शव!

हापुड़ के धौलाना में शनिवार को अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट में 13 लोगों की जान जा चुकी है। 21 अन्य लोग मेरठ के मेडिकल कॉलेज और दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती हैं। इनमें कई जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं, जो 75 प्रतिशत तक झुलस गए। फैक्ट्री में 50 लोग काम करते हैं, जिनमें से ज्यादातर शाहजहांपुर के रहने वाले हैं।

हापुड के धोलाना में 25 फीट हवा में उछलकर 50 मीटर दूर जा गिरे थे शव!
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हापुड। हापुड़ के धौलाना में शनिवार को अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट में 13 लोगों की जान जा चुकी है। 21 अन्य लोग मेरठ के मेडिकल कॉलेज और दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती हैं। इनमें कई जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं, जो 75 प्रतिशत तक झुलस गए। फैक्ट्री में 50 लोग काम करते हैं, जिनमें से ज्यादातर शाहजहांपुर के रहने वाले हैं। शनिवार को छुट्टी होने की वजह से 30-40 लोग ही काम पर थे। इस घटना ने 34 परिवारों को तबाह कर दिया है। 35 साल का चांद मोहम्मद ठीक से बोल भी नहीं सकता। कई बार पूछने पर हाथ का इशारा करता है। उसे नहीं पता कि वह आगे की जिंदगी जी पाएगा या नहीं? जिंदगी बची, तो भी शायद ही उस खौफनाक मंजर को कभी भूल पाए। मेरठ में भर्ती नौ घायलों में एक महिला भी है। 28 साल की जैनब भी झुलसी हुई हालत में मेरठ मेडिकल में भर्ती है। जैनब ठीक से बोल भी नहीं पा रही है। पूछने पर डरी-सहमी से हालत में बताया 10 घंटे फैक्ट्री में काम करती थी। मुझे 8,500 रुपए महिला मिलता था। फैक्ट्री में बारूद बनता था, छोटी गोली होती हैं, वह बनाई जाती थी। आगे बोलते हुए कहा की फैक्ट्री में बहुत सारे लोग काम कर रहे थे, जिसमें से 6-7 महिलाएं भी थीं। इसी दौरान एक तार में चिंगारी उठी और आग लग गई। पलक झपकते ही जोर से धमाका हुआ और चारों तरफ धुआं ही धुआं हो गया। शाहजहांपुर का मनोज भी मेडिकल कॉलेज में भर्ती है। उसने बताया कि दोपहर में खाना खाकर सभी मजदूर काम कर रहे थे। फैक्ट्री के अंदर करीब 30-40 लोग होंगे। वहां केमिकल भी था। जो सामान तैयार होता था, उसकी पैकेजिंग भी हो रही थी। अचानक एक तार में आग लग गई, आग बुझाने के लिए शोर मचाया, लेकिन तब तक तेज धमाका हो गया। फैक्ट्री का गेट 12 फीट ऊंचा है। जबकि छत की ऊंचाई 25 से 30 फीट के आस-पास थी। अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट इतना भीषण था कि छत उड़ गई। अंदर मलबे का ढेर लग गया। कई शव तो पुलिस को फैक्ट्री के बाहर मिले। एक शव की हालत यह थी कि उसे पहचाना भी नहीं जा सकता था। चीथड़े उड़ गए थे। जिसने भी वह मंजर देखा चीखें निकल गईं।

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