सुप्रीमकोर्ट द्वारा रद्द धारा में यूपी पुलिस ने दर्ज कर दी रिपोर्ट तो हाईकोर्ट ने किया हस्तक्षेप
आईटी एक्ट की धारा 66 को सुप्रीमकोर्ट द्वारा रद्द कर दिये जाने के बावजूद भी यूपी पुलिस ने इसी धारा के तहत मुकदमा दर्ज करके सभी को आश्चर्यचकित कर दिया।
![सुप्रीमकोर्ट द्वारा रद्द धारा में यूपी पुलिस ने दर्ज कर दी रिपोर्ट तो हाईकोर्ट ने किया हस्तक्षेप सुप्रीमकोर्ट द्वारा रद्द धारा में यूपी पुलिस ने दर्ज कर दी रिपोर्ट तो हाईकोर्ट ने किया हस्तक्षेप](https://www.nayanjagriti.com/h-upload/2020/09/11/230950-download-4.webp)
लखनऊ। आईटी एक्ट की धारा 66 को सुप्रीमकोर्ट द्वारा रद्द कर दिये जाने के बावजूद भी यूपी पुलिस ने इसी धारा के तहत मुकदमा दर्ज करके सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। मिली जानकारी के अनुसार उच्चतम न्यायालय से आईटी एक्ट की धारा 66 ए के रद्द होने के बावजूद यूपी पुलिस ने इस धारा के तहत प्राथमिकी दर्ज कर दी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस अनिल कुमार की डिवीजन बेंच ने याची नंद लाल यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके खिलाफ धारा 66 ए के तहत दर्ज एफआईआर रद्द कर दी है।
बताया जाता है कि नंदलाल पर सोशल मीडिया में पीएम केयर फंड पर टिप्पणी करने का आरोप था। शिक्षक नेता को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। गौरतलब है कि एटा के मिरहची थाना क्षेत्र में इंटर काॅलेज के प्रधानाचार्य व शिक्षक नेता नंदलाल यादव ने पीएम केयर फंड की पारदर्शिता को लेकर फेसबुक पर टिप्पणी की थी, जिसका संज्ञान लेते हुए एसएसपी एटा के निर्देश पर मिरहची थाने की पुलिस ने आईटी एक्ट की धारा 66 ए के तहत एफआईआर दर्ज की थी, जिसके खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए हघईकोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की थी कि धारा 66 ए आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है। इसके बावजूद यूपी पुलिस इस धारा में मुकदमे दर्ज कर रही है। अदालत ने एफआईआर को उच्चतम न्यायालय की अवमानना मानते हुए विवेचना अधिकारी को रिकाॅर्ड के साथ तलब किया था। याची अधिवक्ता सुनील यादव का कहना था कि आईटी एक्ट की धारा 66ए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का स्पष्ट उल्लंघन है और श्रेया सिंघल के चर्चित केस में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 66ए को गैरकानूनी घोषित कर दिया था।
बावजूद इसके उत्तर प्रदेश की पुलिस निरस्त धारा 66ए के तहत मुकदमा दर्ज कर आम लोगों को प्रताड़ित कर रही है। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद प्राथमिकी रद्द कर दी है। एफआईआर रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले पर याची के वकील सुनील यादव और याची नंदलाल यादव ने संतोष जताया है।