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कल तक मामला ना सुलझा तो क्या होगा, हम भी नहीं जानतेः चौ. राकेश टिकैत

चीनी मिल मालिकों को ना तो किसानों की चिंता है और ना उन्हें सरकार या प्रशासन की कोई परवाह है। ऐसे में अब तंग आए जंग आए के हालात पैदा किए जा रहे हैं। सरकार के पंद्रह दिन में गन्ने के भुगतान के आदेशों को जिस तरह मजाक बनाया गया है, उसे देखते हुए अब किसानों के पास आरपार की जंग के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।

कल तक मामला ना सुलझा तो क्या होगा, हम भी नहीं जानतेः चौ. राकेश टिकैत
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मुजफ्फरनगर। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत ने कहा है कि इस समय किसान के लिए काम का समय है, लेकिन लगता है कि चीनी मिल मालिकों को ना तो किसानों की चिंता है और ना उन्हें सरकार या प्रशासन की कोई परवाह है। ऐसे में अब तंग आए जंग आए के हालात पैदा किए जा रहे हैं। सरकार के पंद्रह दिन में गन्ने के भुगतान के आदेशों को जिस तरह मजाक बनाया गया है, उसे देखते हुए अब किसानों के पास आरपार की जंग के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। उन्होंने बताया कि कल चीनी मिलों के महाप्रबंधकों को धरने पर बुलाया गया है। इसमें कोई समाधान नहीं होता तो चीनी मिलों और उनसे संबंधित डिस्टिलरियों पर ताला ठोंकने का काम किसान करेंगे। इसके बाद सात नवंबर को तीन मंडलों के किसान धरने में शामिल होंगे और यह धरना शिवचैक पर होगा।

गन्ना भुगतान की मांग को लेकर स्टेडियम के पास चल रहे किसानों के बेमियादी धरने पर अब चैबीसों घंटे किसान जमे हैं। वहां झौंपडी में खुद प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत निवास कर रहे हैं। धरना स्थल पर हुक्के की गुडगुड़ाहट के साथ रागणियों का दौर भी जारी है। आज एक खास मुलाकात के दौरान चै.राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों के पास इस वक्त फुर्सत का समय नहीं है। उनके पास गन्ना गेरने के साथ तमाम हिल्ले हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन की कमजोरी का लाभ उठाकर मिल मालिक जिस तरह उनका उत्पीडन कर रहे हैं, यह अब बर्दाश्त से बाहर होता जा रहा है। बजाज गु्रप की मिलों को लेकर उनका गुस्सा अधिक था। चै. राकेश टिकैत ने कहा कि चीनी मिल मालिक पिछले सत्र का बकाया तक देने को तैयार नहीं है, जबकि पंद्रह दिन में भुगतान के आदेश सरकार ने दे रखे हैं। किसान पाई पाई को तरस रहा है और मिल मालिक उसी के पैसे पर मौज कर रहे हैं। अब ये नहीं चलेगा।

उन्होंने कहा कि कल चीनी मिलों के महाप्रबंधकों को धरना स्थल पर बुलाया गया है। इसमें कोई समाधान नहीं निकलता तो मिलों और उनकी डिस्टिलरियों को ठप्प किया जाएगा। इसके बाद सात नवंबर को आरपार की जंग होगी और शिवचैक पर तीन मंडलों के किसान एकत्र होंगे। किसान भी देखना चाहते हैं कि वे गांव में किस तरह रह रहे हैं और शहर में दिवाली की जगमग कैसी होती है। हम नहीं चाहते कि हमारी वजह से किसी को परेशानी हो, लेकिन अब हालात तंग आए जंग आए के बन चुके हैं। कई महीने से भाकियू चाह रही थी कि सीधी उंगलियों से घी निेकल आए, लेकिन अब उंगली टेढी करना मजबूरी हो गई है। इस स्थिति के लिए प्रशासन और चीनी मिल मालिक जिम्मेदार हैं। तमाम आश्वासनों के बावजूद किसानों का भुगतान दिलाने में प्रशासन नाकाम रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन और मिल मालिकों के लिए कल तक का वक्त है। इसके बाद क्या होगा हम भी नहीं जानते!

नुमाइश कैंप स्थित विद्युत अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर भारतीय किसान यूनियन का अनिश्चितकालीन धरना आठवें दिन भी जारी रहा और धरने पर काफी संख्या में किसान मौजूद रहे।

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