MUZAFFARNAGAR-महिलाओं के सम्मान की खातिर रावण ने उठाई शिव की कांवड़
कांवड़ मार्ग पर कलयुग में रावण की कांवड़ बनी आकर्षण का केन्द्र, लंकापति के अंदाज में गर्जना कर रही प्रभावित;
मुजफ्फरनगर। सावन मास की कांवड़ यात्रा के नियत्य नये रंग और ढंग नजर आ रहा है। आस्था के उत्कर्ष की कई कहानियों के साथ ही डीजे का रोमांच और भक्ति की बयार सभी को भगवान शिव के प्रति विश्वास और आस्था की गंगोत्री में सभी कुछ बहा ले जा रही है। कांवड़ मार्ग पर चल रही शिव भक्तों के बीच अचानक ही रावण के प्रकट हो जाने पर कांवड़ियों में भी उत्साह बना तो भक्तों में भी आकर्षण पैदा हुआ। जी हां! इस बार कलयुग मेें भगवान शिव से मन्नत मांगकर महिलाओं के सम्मान में रावण ने कांवड़ उठाई है। लंकापति रावण के अंदाज में गर्जना करता यह शिव भक्त समाज में छिपे रावण को सदबु(ि देने की प्रार्थना लेकर महिलाओं के सम्मान में कांवड़ लेकर निकला है।
दिल्ली के बुराड़ी के निवासी लोकेश त्यागी अपनी टोली के साथ कांवड़ यात्रा पर निकले हैं। लंकापति रावण की वेशभूषा और अंदाज में कंधे पर गंगाजल की कांवड़ लिये कांवड़ मार्ग से जब लोकेश लंकेश की तरह गर्जना करते हुए निकले तो सभी का ध्यान उन्होंने खींच लिया। लोकेश ने हरिद्वार से गंगाजल उठाया और वो बुराड़ी तक पैदल यात्रा पर निकले हैं। उनके साथ कई साथी भी चल रहे हैं, लेकिन इस टोली में आकर्षण केवल लोकेश त्यागी के अंदाज से ही बना हुआ है। उनकी बोलचाल रावण जैसी है।
मीडिया से बातचीत में इस रावण रूप्ी कावड़िये ने कहा कि रावण कोई राक्षस नहीं था। वह एक महान विद्वान और भगवान शिव का परम भक्त था। उसने सतयुग में तपस्या कर महादेव को प्रसन्न किया था और मनचाहा वर प्राप्त किया था। वो महिलाओं का सम्मान करता था, सीता हरण के बाद भी उसने कभी उन्हें बुरी नजर से नहीं देखा। उनका हमेशा सम्मान किया।
लोकेश त्यागी ने कलयुग के समाज पर तंज कसते हुए कहा कि आज समाज में ऐसे कई रावण हैं जो महिलाओं का शोषण कर रहे हैं। उनको प्रताड़ित किया जा रहा है। शारीरिक और मानसिक यातनाएं दे रहे हैं, इसलिए वह रावण का रूप लेकर भगवान शिव से महिलाओं के सम्मान को बचाने की प्रार्थना के साथ ही यह विनती लेकर निकले हैं कि समाज में छिपे बैठे महिला विरोधी मानसिकता वाले लोगों को सदबु(ि प्रदान करें। लोकेश ने बताया कि वो बुराडी की रामलीला में रावण का किरदार भी निभाते रहे हैं। इसलिए उन्होंने भगवान शिव के परम भक्त रावण के रूप में ही महिला सम्मान के लिए कांवड़ यात्रा शुरू करने का निर्णय लिया।