मुजफ्फरनगर...रालोद नेत्री पायल ने दी आत्महत्या की चेतावनी

पायल माहेश्वरी की शिकायत पर महिला आयोग ने डीआईजी को भेजा पत्र, मनीष गुप्ता प्रकरण में दर्ज मुकदमे की विवेचना अन्य जनपद से कराने के निर्देश, 14 सितम्बर को मांगी रिपोर्ट।

Update: 2022-08-19 10:14 GMT

मुजफ्फरनगर। व्यापारी मनीष गुप्ता द्वारा दर्ज कराये गये मुकदमे में अब रालोद नेत्री पायल माहेश्वरी की शिकायत पर उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग ने अब इस मुकदमे की विवेचना अन्य जनपद से कराये जाने के आदेश डीआईजी को दिये हैं। इसके साथ ही एडीजी मेरठ जोन को इस प्रकरण की पूर्ण निगरानी करने और निष्पक्ष जांच कराने के बाद रिपोर्ट मांगी है। इस मामले में पायल माहेश्वरी ने मुकदमे की विवेचना कर रहे पुलिस अफसर पर उनके द्वारा दिये गये बयान और उपलब्ध कराये गये तथ्यों को जांच में शामिल नहीं करने के आरोप लगाते हुए सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल होने पर आत्महत्या किये जाने की चेतावनी दी है।

बता दें कि नई मण्डी के संजय मार्ग पटेलनगर निवासी व्यापारी मनीष गुप्ता पुत्र प्रकाश चंद गुप्ता ने 21 मई 2022 को नई मण्डी थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें रालोद नेत्री पायल माहेश्वरी, उनके पति संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा, सपा नेता सचिन अग्रवाल, सभासद प्रवीण मित्तल पीटर सहित 9 आरोपी बनाये गये थे। पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित 11 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। इसमें सभासद प्रवीण पीटर और उनके पुत्र शैंकी मित्तल को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, बाकी आरोपियों ने अग्रिम जमानत ले ली थी। पिछले दिनों पीटर और शैंकी को भी जमानत मिली गयी और वह जेल से बाहर आ गये। इस मामले में पायल माहेश्वरी लगातार पुलिस प्रशासन पर अनावश्यक रूप से परेशान करने के आरोप लगाती रहीं हैं।


इस मामले में पायल माहेश्वरी ने 17 अगस्त को उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग को पत्र लिखकर मुकदमा विवेचक की शिकायत की। इसमें अब आयोग के सदस्य सचिव की ओर से डीआईजी सहारनपुर को पत्र जारी किया गया है। इसमें बताया गया कि पायल माहेश्वरी ने अपने पत्र में कहा है कि मनीष गुप्ता प्रकरण में वर्तमान विवेचक से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है, उक्त प्रकरण की विवेचना किसी अन्य जनपद से कराई जाये। साथ ही पायल ने अपने इस पत्र में कहा कि उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा एवं राजनीतिक भविष्य के नाश होने पर वह आत्महत्या करने के लिए विवश होंगी। इसका उत्तर दायित्व वर्तमान विवेचक का होगा। इस पत्र पर आयोग ने डीआईजी को इस मुकदमे की विवेचना अपने स्तर से अन्य जनपद से कराये जाने और इसकी प्रगति आख्या जांच अधिकारी के माध्यम से 14 सितम्बर 2022 तक आयोग को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं। इसके साथ ही आयोग ने एडीजी मेरठ जोन को निर्देशित किया है कि वह प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए अपने स्तर से स्वयं संज्ञान लेकर निष्पक्ष जांच पूर्ण कराते हुए निर्धारित तिथि तक आख्या उपलब्ध कराने के लिए आदेश जारी करें।

आयोग के इस पत्र के बाद पायल माहेश्वरी ने कहा कि मनीष गुप्ता के द्वारा जो आरोप उनके खिलाफ लगाये हैं, वे बेबुनियाद हैं। इसी कारण उनके द्वारा राज्य महिला आयोग को शिकायत करते हुए सारे साक्ष्य उपलब्ध कराये। मनीष पुलिस को भी भ्रमित कर रहे हैं। मनीष गुप्ता ने स्वयं ही 4 करोड़ रुपये का कर्ज होने की बात स्वीकार की है। ऐसे बयान सीओ को उन्होंने दिये हैं। इसमें जांच रिपोर्ट मानवाधिकार आयोग ने भी मांगी थी। उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि धोखाधड़ी मनीष गुप्ता द्वारा ही की गयी है। पायल का कहना है कि उन्होंने आयोग को जो साक्ष्य भेजे, वहीं साक्ष्य मुकदमा विवेचक को भी दिये और मुकदमा जांच में शामिल करने का आग्रह किया, लेकिन मेरे साक्ष्य और लिखित बयान विवेचक ने शामिल नहीं किये हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करते हुए विवेचक उनको आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। 

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