योगी सरकार गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में हुए 572 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच कराएगी

इसमें जीडीए के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आने के बाद प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि महालेखाकार की रिपोर्ट के संदर्भ में कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

Update: 2020-09-09 07:50 GMT

लखनऊ। बसपा और सपा के शासन में हुए कामकाज की आॅडिट रिपोर्ट में कई खामियां सामने आने के बाद योगी सरकार गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में करीब 572 करोड रुपये के घोटाले की जांच कराएगी।

बसपा-सपा सरकार के दौरान गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) में हुए 572.48 करोड़ रुपए के घोटाले का मामला महालेखाकार की आॅडिट रिपोर्ट में सामने आने के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार पूरे मामले की जांच कराने की तैयारी है। भाजपा की सरकार बनने के बाद वर्ष 2017 में जीडीए के काम का आॅडिट कराया गया है। इसमें जीडीए के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आने के बाद प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि महालेखाकार की रिपोर्ट के संदर्भ में कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। जांच में सामने आया है कि भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क लगाए बिना महायोजना में चिन्हित भू उपयोग में परिवर्तन करके पूर्ववर्ती राज्य सरकारों ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की लागत पर विकासकर्ताओं को 572.48 करोड़ रुपए का अनुचित लाभ पहुंचाया। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने 4722.19 एकड़ भूमि के लिए विकासकर्ताओं की लेआउट योजनाओं को अनुमोदित किया था। इसमें उप्पल चड्ढा हाइटेक डेवलपर्स प्रा.लि. (अक्टूबर, 2010 से अक्टूबर, 2013) के लिए 4004.25 एकड़ तथा सन सिटी हाईटेक इन्फ्रा प्रा.लि (जुलाई, 2011) के लिए 717.94 एकड़ की जमीन शामिल थी। जांच मंे पाया गया कि विकासकर्ताओं को अनुचित लाभ से गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को 572.48 करोड़ रुपए की नुकसान हुआ है। पहले गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के महालेखाकार से आॅडिट की अनुमति नहीं होती थी, लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस आॅडिट को कराने का फैसला किया था।

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