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गाजीपुर बार्डर पर राकेश टिकैत ने जमकर चलाया फावड़ा

राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन में ताक़त बढ़ाने के लिए किसानों से अपने खेत की मिट्टी लेकर गाजीपुर बार्डर पर पहुंचने की अपील की है।

गाजीपुर बार्डर पर राकेश टिकैत ने जमकर चलाया फावड़ा
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गाजियाबाद। गणतंत्र दिवस की घटना के बाद किसान आंदोलन का केंद्र बिंदु बनकर उभरे गाजीपुर बॉर्डर पर अजब नजारा देखने को मिला। जब भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत एक आम किसान की तरह खुद हाथ में फावड़ा लेकर मिट्टी में काम करते दिखे। टिकैत को इस तरह देखकर मीडिया कर्मियों में उनका यह रूप कैमरे में कैद करने की होड़ मच गई। राकेश टिकैत ने बताया, गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए सरकार ने जहां कीलें लगवाई थीं, इसके जवाब में अब हम वहां फूल उगाएंगे। इसके लिए आज दो डंपर मिट्टी मंगाई गई है।

उन्होंने कहा कि वह सभी किसानों से अपील करेंगे कि आंदोलन में हिस्सा लेने आ रहे लोग अपने खेतों में से मिट्टी साथ लेकर आएं और वापस जाते समय यहां से मिट्टी वापस लेकर जाएं और उसे अपने खेतों में मिला दें। यह मिट्टी उन्हें किसानों के संघर्ष की कहानी याद दिलाएगी। उन्होंने कहा कि यह किसान क्रांति की मिट्टी है, इसे वह गांव-गांव पहुंचाएंगे। वह युवाओं को मिट्टी से जोड़ना चाहते हैं।


इससे पहले उन्होंने किसानों संगठनों द्वारा आज प्रस्तावित देशव्यापी 'चक्का जाम' के बारे में बताया कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं किया जाएगा। इन दोनों राज्यों में जिला मुख्यालय पर किसान कृषि कानूनों के विरोध में केवल ज्ञापन दिए जाएंगे। इन दोनों राज्यों में चक्का जाम टालने के बारे में टिकैत ने कहा कि हमें पुख्ता सूचना दी गई थी कि चक्का जाम में कुछ विरोधी हिंसा फैलाने की साज़िश कर रहे हैं। इसी को लेकर यह निर्णय लिया गया। इन दोनों जगहों को लोगों को स्टैंडबाय में रखा गया है और उन्हें कभी भी दिल्ली बुलाया जा सकता है, इसलिए यूपी-उत्तराखंड के लोग अपने ट्रैक्टरों में तेल-पानी डालकर तैयार रहें। उन्होंने कहा कि अन्य सभी जगहों पर तय योजना के अनुसार शांतिपूर्ण ढंग से काम होगा।

गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध के चलते राजधानी दिल्ली से लगी गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डरों पर किसानों का आंदोलन आज 72वें दिन भी जारी है। कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। 26 जनवरी को हुई ट्रैक्टर परेड में हिंसा के बाद आंदोलन कर रहे किसानों की संख्या में पिछले दिनों कमी आई थी, लेकिन भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के भावुक होने के बाद एक बार फिर से आंदोलन को बड़ी संख्या में किसानों का समर्थन मिलने लगा।

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