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छठ में इस्तेमाल होने वाली सामग्री से बढ़ता है इम्यून सिस्टम

छठ में इस्तेमाल होने वाली सामग्री से बढ़ता है इम्यून सिस्टम
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छठ महापर्व न सिर्फ एक साधना है बल्कि यह आपको बीमारियों से बचने और स्वस्थ रहने की भी सीख देता है। छठ महापर्व में अर्घ्य देने में प्रयुक्त होनेवाली सामग्रियों में से अधिकांश स्थानीय स्तर पर उपलब्ध रहती हैं और आयुर्वेद में इनका खास महत्व भी है। इनमें प्रयुक्त होनेवाले फल व अन्य खाद्य सामग्री रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ ठंड से लड़ने में शरीर को तैयार करती है। साथ ही इनसे कई बीमारियों से बचाव भी होता है।

आयुर्वेद के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने भी छठ में प्रयुक्त होनेवाले आंवला, हल्दी, ईंख, अनानास, पानी फल सिंघाड़ा, नारियल, सुथनी, ठेकुआ आदि को स्वस्थ रहने का माध्यम बताया है। वहीं सूर्योपासना से विटामिन डी मिलता है और कुष्ठ रोग से भी बचाव होता है। सभी सामग्री पित्त संबंधी विकारों को दूर करती है। पटना आयुर्वेदिक कालेज के अधीक्षक डा. वीएस दूबे, उपाधीक्षक डा. धनंजय शर्मा और आयुर्वेद चिकित्सक डा. मधुरेंदु पांडेय ने छठ में प्रयुक्त होनेवाली सामग्रियों को गुणों की खान बताते हुए ठंड में होनेवाली बीमारियों से बचाव का साधन बताया।

आंवलाः विटामिन सी, कैल्शियम, ठंड ऋतू के प्रकोप से बचाव, प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी करता है।

हल्दीः एंटी एलर्जिक, एंटी आक्सीडेंट, एंटी सेप्टिक, घाव, दर्द और सूजन में राहत। कई आयुर्वेदिक औषधियों में इस्तेमाल।

अदरकः शरीर को गर्म रखता है। कोरोना काल में इसका महत्व काफी बढ़ा है। कई आयुर्वेदिक औषधियों में इस्तेमाल।

गुड़ः पाचन शक्ति बढ़ाने में मददगार, शरीर के विकारों को निकालता है, शरीर को गर्म रखता है।

अनानासः पोटैशियम, रिच फाइबर, विटामिन ए, सी, एंटी आक्सीडेंट, पाचन शक्ति बढ़ाने में मददगार।

नारियलः हाई फाइबर, कैल्शियम, मिनिरल, विटामिन बी, हाई बीपी, किडनी, पेट की बीमारियों से बचाव।

सेवः विटामिन ए, बी, सी, ई और के, वजन कम व कोलेस्ट्राल कम करने में मददगार, शुगर, अस्थमा वाले मरीज के लिए फायदेमंद, सर्वगुण संपन्न फल

गागर नींबूः विटामिन सी, पोटैशियम, रिच फाइबर, वजन कम करने में मददगार, एंटी आक्सीडेंट, पाचन शक्ति बेहतर करने में मददगार।

ईंखः इसका रस शक्तिदायक, पाचनशक्ति, ताकत, स्फूर्ति बढ़ाने में मददगार।

पानी फलः लो फैट, विटामिन बी 6, पोटैशियम से भरपूर।

सूर्य को अर्घ्य देने का है खास महत्वः शाम और सुबह को सूर्य को अघ्र्य देते समय सूर्य निकलनेवाली पारा बैंगनी किरणें तिरछी निकलती हैं। शरीर पर इन किरणों के पड़ने से विटामिन डी का निर्माण होता है। विटामिन डी स्वस्थ रहने के लिए काफी महत्वपूर्ण तत्व है। यही कारण है कि हमारे पूर्वजों ने छठ के एक-एक विधानों को स्वस्थ शरीर रखने की आवश्यकतानुसार तैयार किया है। इससे एक ओर सूर्य, गंगा, स्वच्छता के महत्व को बताया गया है तो कठोर व्रत से शरीर के विकारों को दूर कर स्वस्थ रखने की कवायद की जाती है।

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