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स्वर योगिनी के नाम रही शिवरात्रि समारोह की दूसरी निशा

स्वर योगिनी के नाम रही शिवरात्रि समारोह की दूसरी निशा
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वाराणसी। शिवरात्रि संगीत समारोह की दूसरी निशा गायन वादन और नर्तन की साज सज्जा की चादर में लिपटी नजर आयी। इस निशा की शुरुआत पद्मविभूषण पं. किशन महाराज के नाती अमरेंद्र मिश्र के सितार वादन से हुई तो समापन में पद्मभूषण प्रभा अत्रे ने विभोरकारी गायन से इसे अपने नाम कर दिया।

संत रमेश भाई ओझा के सानिध्य में स्वर योगिनी प्रभा अत्रे ने राग अपूर्व कल्याण में 'जय-जय शिव शंकर का विलम्बित एक ताल में गायन कर वातावरण में सकारात्मक ध्वनि तरंगें प्रवाहित कीं। द्रुत तीन ताल में 'करम करो शिव जोगी... के बाद एक ताल में तराना 'ता दा रे तदरे दानी... से गायन को असीम विस्तार दिया। राग कौशिक रंजनी मध्य लय रूपक ताल में 'ऊं नमो नमो शिवाय, द्रुत एक ताल में 'तोरी जय-जय शिव शंकर का विभोर कारी गायन किया।


श्रोताओं की विशेष मांग पर उन्होंने एक और ताराना छेड़ा। एक ताल में 'दानी तदरे दानी दारेदा की प्रस्तुति से श्रोताओं का मन मोह लिया। वंस मोर जारी रहा और उन्हें भक्ति रचना 'जय शिवशंकर जय गंगाधर भी सुनानी पड़ी। उनके साथ तबले पर पं. ललित कुमार, तानपुरा पर अश्विनी मोडक, हारमोनियम पर इन्द्रदेव ने संगत की।

इससे पूर्व प्रथम प्रस्तुति में अमरेन्द्र मिश्र ने राग मारू बिहाग में आलाप, जोड़ झाला, विलम्बित तीन ताल, मध्य एक ताल और द्रुत तीन ताल की प्रस्तुति कर संगीत प्रेमियों को भाव विभोर कर दिया। उनके साथ तबले पर आदित्य मिश्रा ने बेजोड़ संगत की। सेठ किशोरी लाल जालान सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में हो रहे महोत्सव की द्वितीय निशा की दूसरी प्रस्तुति काशी के सौरभ-गौरव मिश्रा का युगल नृत्य रहा।

पद्मविभूषण पं. विरजू महाराज और माधुरी दीक्षित के साथ प्रस्तुति दे चुके युवा कलाकारों ने कथक शैली में शिव की नृत्यमय आराधना की। बनारस घराने टुकड़े, तिहाईयों और परन की लाजवाब प्रस्तुति की। तबले पर पं. अरविन्द कुमार आजाद, बोल पढन्त में गुरू पं. रविशंकर मिश्रा, गायन में संतोष मिश्रा, पखावज पर प्रीतम कुमार मिश्रा और सितार पर आनन्द मिश्रा ने सहयोग किया।

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