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डायबिटीज को कारगर तरीके से रोकेगी यह नई दवा

डायबिटीज को कारगर तरीके से रोकेगी यह नई दवा
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नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने डायबीटीज के इलाज में कारगर एक मोलेक्यूल का पता लगाया है। पीके2 नामक यह मोलेक्यूल पैनक्रियाज़ से इंसुलिन का स्राव शुरू करने में सक्षम है और इससे डायबीटीज के इलाज के लिए दवा की गोली बनाने की काफी संभावना जगी है। शोध के निष्कर्ष जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्री में प्रकाशित किए गए हैं। शोधपत्र के लेखक डॉ. प्रोसेनजीत मंडल, एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज, आईआईटी मंडी हैं। इसके सहलेखक प्रोफेसर सुब्रत घोष, स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज, आईआईटी मंडी, डॉ. सुनील कुमार, आईसीएआर-आईएएसआरआई, पूसा, नई दिल्ली, डॉ बुधेश्वर देहुरी, आईसीएमआर आरएमआरसी, भुवनेश्वर, डॉ. ख्याति गिरधर, सुश्री शिल्पा ठाकुर, डॉ. अभिनव चौबे, डॉ. पंकज गौर, सुश्री सुरभि डोगरा, बिदिशा बिस्वास और डॉ दुर्गेश कुमार द्विवेदी (क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अनुसंधान संस्थान (आरएआरआई) ग्वालियर) हैं।

शुरुआती शोध के बारे में बताते हुए डॉ. ख्याति गिरधर ने कहा कि हम ने सबसे पहले मानव कोशिकाओं में मौजूद जीएलपी 1 आर प्रोटीन पर पीके 2 के जुड़ने का परीक्षण किया और पाया कि यह जीएलपी 1 आर प्रोटीन से अच्छी तरह जुड़ने में सक्षम है। इससे पता चला कि पीके2 में बीटा सेल्स से इंसुलिन के स्राव कराने की संभावना है। शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि पीके2 गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में तेजी से अवशोषित हो गया जिसका अर्थ यह है कि इससे तैयार दवा की सुई के बदले खाने की गोली इस्तेमाल की जा सकती है। इसके अतिरिक्त दवा देने के दो घंटे के बाद, पीके2 चूहों के लीवर, किडनी और पैनक्रियाज़ में पहंुच गया पाया गया जबकि इसका कोई अंश हृदय, फेफड़े और स्प्लीन में नहीं था। बहुत कम मात्रा में यह मस्तिष्क में मौजूद पाया गया जिससे पता चलता है कि यह मोलेक्यूल रक्त-मस्तिष्क बाधा पार करने में सक्षम हो सकता है। लगभग 10 घंटे में यह रक्तसंचार से बाहर निकल गया।

डॉ. प्रोसेनजीत मोंडल ने शोध का एक अन्य महत्वपूर्ण निष्कर्ष बताते हुए हैं कि पीके2 इंसुलिन का स्राव बढ़ाने से बढ़ कर बीटा सेल का नुकसान कम करने और यहां तक कि सुधार करने में भी सक्षम पाया गया। बीटा सेल इंसुलिन बनाने के लिए आवश्यक है इसलिए पीके2 टाइप 1 और टाइप 2 दोनों तरह के डायबिटीज में प्रभावी होगा। पीके2 के जैविक प्रभावों के परीक्षण के मकसद से शोधकर्ताओं ने प्रयोग में शामिल चूहों को मुंह से इसकी खुराक दी और ग्लूकोज लेवेल और इंसुलिन के स्राव की माप की। कंट्रोल गु्रप की तुलना में पीके-2 से इलाज किए गए चूहों में सीरम इंसुलिन का स्तर छह गुना बढ़ गया। इस निष्कर्ष से डायबिटीज के मरीजों को सस्ती खाने की दवा मिलने की उम्मीद जगी है।

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