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हीमोफीलिया से रहें सावधान... यह आनुवांशिक बीमारी है

हीमोफीलिया से रहें सावधान... यह आनुवांशिक बीमारी है
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हम आपको हीमोफीलिया के बारे में एक महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। आपको बता दें कि हीमोफीलियाएक ऐसी आनुवांशिक बीमारी है, जिसमें हल्की चोट के बावजूद खून बहता रहता है और बहता हुआ यह खून आसानी से जमता नहीं है। ऐसे में किसी एक्सीडेंट या चोट में यह बीमारी कई बार जानलेवा भी साबित हो सकती है, क्योंकि खून का बहना आसानी से बंद नहीं होता और इसी के चलते खून ज्यादा बह जाता है और यह मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि हीमोफीलिया का सबसे बड़ा कारण है, रक्त में प्रोटीन की कमी जिससे क्लाॅटिंग फैक्टर पर असर पड़ता है। दरअसल, खून बहने से रोकने में क्लाॅटिंग फैक्टर का काफी प्रभाव पड़ता है। हीमोफीलिया तीन प्रकार के होते हैं, ए, बी और सी।

हीमोफीलिया का प्राथमिक उपचार फैक्टर रिप्लेसमेंट थेरेपी है, जिसमें क्लाॅटिंग फैक्टर को रिप्लेस करने का काम किया जाता है। इस थैरेपी में ब्लड प्लाजमा को एकत्र करके इसे शु( किया जाता है। हीमोफीलिया के मरीजों को अक्सर यह सलाह दी जाती है कि वह हड्डियों और मांसपेशियों में सुधार करने वाली एक्सरसाइज करें और अपने वजन को कंट्रोल करें। साथ ही मरीज ऐसी शारीरिक गतिविधि से दूर रहे जिसमें चोट लगने का खतरा हो। इसके अलावा अगर मरीज के दांत से खून निकलता है तो अपने डाॅक्टर से सलाह लें और ऐसा ब्रश इस्तेमाल करें जो साॅफ्ट हो। इसके अलावा समय-समय पर डाॅक्टरी सलाह लेना ना भूलें। इसके अलावा ब्लड-थिनिंग दवा जैसे कि वार्फरिन और हेपरिन लेने से बचें. एस्पिरिन और इबुप्रोफेन जैसी ओवर-द-काउंटर दवाओं से बचना भी बेहतर है। रक्त संक्रमण के लिए नियमित रूप से परीक्षण करें और हेपेटाइटिस ए और बी के टीकाकरण के बारे में अपने डाॅक्टर की सलाह लें।

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