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पैक फ्रेंच बीन्स की खेती किसान के लिए लाभदायक है-अशोक बालियान

फ्रेंच बीन्स प्रोटीन और विटामिन का समृ( स्रोत हैं और इसमें एंटीआॅक्सिडेंट भी होते हैं जो हृदय प्रणाली के लिए अच्छे होते हैं।

पैक फ्रेंच बीन्स की खेती किसान के लिए लाभदायक है-अशोक बालियान
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मुजफ्फरनगर। फ्रेंच बीन्स प्रोटीन और विटामिन का समृ( स्रोत हैं और इसमें एंटीआॅक्सिडेंट भी होते हैं जो हृदय प्रणाली के लिए अच्छे होते हैं। आम तौर पर, फ्रेंच बीन्स के दो प्रकार होते हैं, क्लाइम्बिंग फ्रेंच बीन्स और बौना फ्रेंच बीन्स। इसकी खेती जुलाई-सितंबर और उत्तरी भारत में दिसंबर-फरवरी से भी की जा सकती है।

फली की बुआई का सबसे अच्छा मौसम जुलाई से अगस्त के बीच होता है। फली की बुआई के लिए 1।5 फीट की दूरी पर लाइन बनाकर 10 इंच की दूरी पर बीज बोए जाते हैं। बीज बोते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि खेत में पर्याप्त नमी जरूर हो। इसलिए बोआई के साथ ही खेत के हिसाब से नाली भी बना दी जाती है। जब मिट्टी में बीज का जमाव हो जाता है तो 15 दिनों के अंदर कीटनाशक दवाई का छिड़काव कर देना चाहिए। बीन्स फली का बीज 700 रुपए प्रति किलो की दर से मिलता है। एक एकड़ में तीन किलो के आस पास बीज लगाया जाता है। यानी बीन्स फली की एक एकड़ खेती करने में लगभग छह से आठ हजार रुपए की लागत आती है। अक्टूबर महीने ने बोई जाने वाली यह फसल नवंबर से दिसंबर के बीच फूल आना शुरू हो जाता है और जनवरी से फरवरी के बीच तक फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

प्रति हेक्टेयर बीज का इस्तेमाल 8 से 10 किलोग्राम होता है। फली (बीन्स) के मुख्य खेत को चार से छह बार अच्छी तरह से जुताई कर तैयार करना चाहिए। अच्छी पैदावार के लिए खेत को तैयार करने के दौरान कार्बनिक पदार्थ मिलाना चाहिए। गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कटाई के बाद फ्रांसीसी फलियां बहुत खराब होती हैं इसलिए तेजी से ठंडा होना आवश्यक है।

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