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हंसी सबसे बड़ी दवा है :ज्ञान मुनि

बेंगलूरु। जैन संत ज्ञानमुनि ने हंसी को सबसे बड़ी औषधि बताते हुए कहा कि जीवन हंसने मुस्कुराने का एक अवसर है। इससे जीवन को स्वस्थ और आनंदित बनाया जा सकता है। विजय नगर में प्रवचन में उन्होंने कहा कि हंसने की क्षमता अस्तित्व की एक बहुत बड़ी देन है जो धरातल पर सिर्फ मनुष्य को दी है। पेड़, पौधे, पशु व पक्षी को हंसने की क्षमता प्राप्त नहीं है। इसलिए हंसना जीवन के विकास की बड़ी उन्नत अवस्था है। उन्होंने कहा कि अपने जीवन को प्रफल्लित करने के लिए यदि आप मुफ्त में मिले इस उपहार को स्वीकार नहीं कर सकते तो समझना की आप सौभाग्यशाली नहीं हैं।

जीवन का एक साधारण नियम है कि हर चीज मन को थका देती है। प्रेम हो या घृणा सब मन के ही खेल हैं। हंसने के पीछे बड़ा गहरा राज है। मनोविज्ञान कहता है कि केवल वही हंस सकता है जो ऊबता है, आलसी होता है कभी-कभी परेशान होता है। क्योंकि जितनी समझ विकसित होती है उतनी ऊब और परेशानी ज्यादा होती है। मनुष्य ऊबता है, परेशान होता है इसलिए हंसी उसकी औषधि है। हंसने से ही उसका प्रतिरोध किया जा सकता है। भारत जैसे देश में दो ही चीजों की समृद्धि है। गरीबी और आबादी। अत: यहां हंसना एक ऐसी दवा है जो सबसे सस्ती है।

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