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कोरोना पीडितों को अब सता रही कई तरह की समस्याएं

जिला अस्पताल के मानसिक रोग ओपीडी में प्रतिदिन 8-10 मरीज ऐसे पहुंच रहे हैं। जिनको नींद न आना, चिंता, अवसाद,डर और तनाव ने घेरा हुआ है।

कोरोना पीडितों को अब सता रही कई तरह की समस्याएं
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मेरठ। कोरोना का दंश झेल चुके लोगों की जिंदगी में अभी भी खौफ का साया मंडरा रहा है। संक्रमण से ठीक हुए लोगों की दिमागी सेहत प्रभावित हो रही है। अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन 8कृ10 मरीज ऐसे पहुंच रहे हैं, जिनको डर,तनाव और मनासिक अवसाद से जूझना पड़ रहा है।

कोरोना से ठीक हुए मरीजों की सेहत दूसरी लहर का दौर झेलने के बाद फिर से समस्याओं से घिरने लगी है। जिला अस्पताल के मानसिक रोग ओपीडी में प्रतिदिन 8-10 मरीज ऐसे पहुंच रहे हैं। जिनको नींद न आना, चिंता, अवसाद,डर और तनाव ने घेरा हुआ है। जिला अस्पताल के मानसिक रोग विशेषज्ञ डा0 कमलेंद्र के अनुसार उनके पास आने वाले मरीजों को समस्या की शुरुआत जानने पर कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद से दिक्कतें शुरू होने की बात सामने आ रही है। कुछ मरीज इसे कोरोना का डर समझकर समस्या को कई दिनों तक अनदेखा कर रहे हैं। ऐसे में उनकी यह परेशानी और अधिक बढ़ जाती है। ओपीडी में अधिकांश ऐसे केस हैं जो पहले से किसी न किसी कारण से दिमागी रूप से पीड़ित थे। उनका उपचार व काउंसिलिंग की गई तो वे ठीक भी होने लगे, लेकिन दूसरी लहर के तनावपूर्ण माहौल के कारण ऐसे मरीजों की सेहत फिर से पहले जैसी ही स्थिति में आ चुकी है। उहोंने बताया कि बताया कि किसी के व्यवहार, धारणा में जरा-सा परिवर्तन दिखने पर इसे स्वाभाविक न समझकर तुरंत अपने चिकित्सक से सलाह लें।कोरोना की नई लहर से निपटने के लिए जिले भर में बनाए गए पीडियाट्रिक आइसीयू की तैयारियों का माक ड्रिल किया जाएगा। यह माक ड्रिल शासन की निगरानी में आगामी 27 को मेरठ समेत प्रदेश के अन्य जिलों में किया जाएगा। इसके लिए मेरठ में संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य डा. संगीता गुप्ता को नोडल अधिकारी बनाया गया है।

सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने बताया कि जिले में मेडिकल कालेज, पीएल शर्मा जिला अस्पताल, सरधना, मवाना, हस्तिनापुर एवं किठौर में पीडियाट्रिक आइसीयू बनाए गए हैं। कोरोना को लेकर सभी स्वास्थ्य केंद्रों में आक्सीजन की व्यवस्था पहले से की जा चुकी है। उन्होंने अदेशा जताया कि सितंबर में कोरोना की नई लहर आ सकती है। ऐसे में संक्रमण से पहले बड़े पैमाने पर माकड्रिल होगी। इसमें कोरोना से बीमार बच्चे को आइसीयू में भर्ती करने एवं उसे आक्सीजन सपोर्ट देने से लेकर इलाज तक की सभी चिकित्सीय सुविधाओं का भौतिक परीक्षण होगा।

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