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हाईकोर्ट से अंजू अग्रवाल को मिली बड़ी राहत

प्रमुख सचिव के 10 अक्टूबर को जारी बर्खास्तगी के आदेश खण्डपीठ ने किये खारिज, अंजू बोली-न्याय की जीत हुई, विरोधियों ने किया दावा-शासन को मिला है निर्णय देने का अधिकार, शासन स्तर से फिर कराई जायेगी बड़ी कार्यवाही

हाईकोर्ट से अंजू अग्रवाल को मिली बड़ी राहत
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मुजफ्फरनगर। प्रदेश में निकाय चुनाव और जिले में खतौली विधानसभा सीट के उपचुनाव की चल रही सरगर्मियों के बीच ही नगरपालिका परिषद् मुजफ्फरनगर में भी एक नई हलचल गुरूवार को नजर आई। चार बिन्दुओं पर चल रही जांच में शासन के द्वारा दोषी करार देकर बर्खास्त की गई चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। खबरों के अनुसार दावा किया जा रहा है कि हाईकोर्ट में आज हुई सुनवाई के द्वारा खण्डपीठ के विद्वान न्यायाधीशों के द्वारा 10 अक्टूबर को अंजू अग्रवाल के खिलाफ शासन द्वारा जारी बर्खास्तगी आदेश को खारिज कर दिया है। इससे अंजू अग्रवाल के पूरे अधिकार वापस होने का दावा किया जा रहा है। वहीं विरोधियों ने दावा किया है कि हाईकोर्ट ने शासन को नया निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र किया है, जल्द ही अंजू अग्रवाल के खिलाफ बड़ी कार्यवाही कराते हुए दूसरा आदेश जारी कराया जायेगा।

नगरपालिका परिषद् मुजफ्फरनगर में शीर्ष नेतृत्व को लेकर चल रही खींचतान में गुरूवार को नया मोड़ आया है। इस समय पालिका में प्रशासक राज चल रहा है, लेकिन हाईकोर्ट के हवाले से आई खबरों के अनुसार अब जल्द ही पालिका में अंजू अग्रवाल के राज का दौर लौटने वाला है। अंजू अग्रवाल की शासन के खिलाफ याचिका पर चल रही सुनवाई के बाद आज अपना फैसला सुनाया है। इसमें दो सदस्यीय खण्डपीठ के द्वारा शासन के द्वारा अंजू अग्रवाल के खिलाफ 10 अक्टूबर को जारी बर्खास्तगी का आदेश खारिज कर दिया है। बताया गया कि इस आदेश के साथ ही पालिका में नई हलचल मच गई है।

बता दें कि पालिका चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल के खिलाफ भाजपा सभासदों राजीव शर्मा और मनोज वर्मा के द्वारा प्रशासन और शासन में शिकायत की थी। चेयरपर्सन उनके आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए मजबूती से अपनी लड़ाई लड़ती रही हैं। इसी बीच प्रशासनिक जांच में आरोपों को सही ठहराया गया, तत्कालीन डीएम सेल्वा कुमारी ने रिपोर्ट शासन को भेजी थी। शासन द्वारा 19 जुलाई 2022 की रात्रि में अंजू अग्रवाल पर चार आरोपों में दोषसि( होने के कारण उनके वित्तीय अधिकार सीज कर दिये थे, जबकि प्रशासनिक पावर बहाल रखी गयी थी। इसके बाद अंजू अग्रवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और शासन के आदेश के खिलाफ आवाज उठाई। 02 सितम्बर को हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने उनकी याचिका पर निर्णय सुनाते हुए 19 जुलाई का शासन का आदेश खारिज करते हुए दो सप्ताह में सुनवाई करते हुए नया निर्णय देने को कहा था। इस बीच चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल पालिका में अपना अधिकार वापसी की मांग करती रही, लेकिन शासन व प्रशासन ने अधिकार नहीं लौटाये। चेयरपर्सन ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका डाली, लेकिन समय शेष रहने के कारण उनकी याचिका को निरस्त कर दिया गया। इसी बीच 26 सितम्बर को उनको प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने सुनवाई के लिए लखनऊ बुलाया। सुनवाई पूरी होने पर चेयरपर्सन द्वारा दिये गये जवाब पर असंतोष जाहिर करते हुए 10 अक्टूबर को राज्यपाल की स्वीकृति के बाद प्रमुख सचिव नगर विकास ने चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल को पद से बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिये। इसके बाद 18 अक्टूबर को पालिका में जिलाधिकारी चन्द्रभूषण सिंह ने शासन के आदेशानुसार नगर मजिस्ट्रेट अनूप कुमार को प्रशासक नियुक्त कर दिया।

बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ चेयरपर्सन एक बार फिर हाईकोर्ट पहुंची और उनकी याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट नम्बर-21 में विद्वान न्यायाधीश मनोज गुप्ता तथा न्यायाधीश श्री बनर्जी के समक्ष सुनवाई के लिए स्वीकृत की गयी। सूत्रों के अनुसार इस मामले में हाईकोर्ट में 04 नवंबर, 09 नवंबर, 11 नवंबर, 21 नवंबर और 22 नवंबर को सुनवाई हुई और आज 24 नवंबर को भी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट खण्डपीठ ने अपना निर्णय सुनाया है। सूत्रों ने बताया कि खण्डपीठ में सुनवाई के दौरान चेयरपर्सन की ओर से उनके अधिवक्ता सीके पारिख, विवेक मिश्रा और शशि नन्दन ने पक्ष रखा, जबकि शासन की ओर से एडवोकेट जनरल उपस्थित रहे। सूत्रों ने बताया कि 21 नवंबर को भी शासन की ओर से एक दिन का समय मांगा गया था, इसलिए ही 22 नवंबर को सुनवाई तय की गयी। आज भी शासन की ओर से एडवोकेट जनरल ने अदालत से एक दिन का समय मांगा, तो कोर्ट ने नारजागी जाहिर करते हुए फैसला सुनाकर याचिका निस्तारित कर दी है। बताया कि कोर्ट ने 10 अक्टूबर 2022 को शासन के द्वारा जारी बर्खास्तगी के आदेश को खारिज कर दिया है। कहा गया कि इससे अंजू अग्रवाल के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार बहाल हो गये हैं। जल्द ही पालिका में नया सत्ता हस्तांतरण देखा जा सकता है। सुनवाई के दौरान अंजू अग्रवाल, उनके पुत्र अभिषेक अग्रवाल भी मौजूद रहे। वहीं उनके विरोधियों का दावा है कि कोर्ट ने शासन को सुनवाई के बाद नया निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी है। इसमें अधिकार बहाल नहीं किये गये हैं और वह जल्द ही इसमें शासन स्तर से बड़ी गंभीर कार्यवाही कराने का प्रयास करेंगे।

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