undefined

मुजफ्फरनगर पालिका स्क्रैप की नीलामी में बड़ा घालमेल!

सभासद अरविन्द धनगर ने की डीएम चंद्रभूषण सिंह से शिकायत, जांच कराये जाने की मांग, मुख्यमंत्री योगी, नगर विकास मंत्री और प्रमुख सचिव नगर विकास को भी भेजा पत्र, निष्प्रयोज्य सामग्री को सही ढंग से सूचीब( नहीं करने का आरोप, सभी ठेकेदारों को नहीं दी सूचना।

मुजफ्फरनगर पालिका स्क्रैप की नीलामी में बड़ा घालमेल!
X

मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में करीब छह साल के बाद निष्प्रयोज्य सामग्री ;स्क्रैपद्ध की नीलामी का मामला नये विवादों को जन्म दे रहा है। इस नीलामी को लेकर एक सभासद ने कई सवाल उठाते हुए इसमें बड़ा घालमेल होने का दावा किया है। सभासद ने इसके लिए आज जिलाधिकारी से मुलाकात करते हुए उनको शिकायत की और जांच कराने की मांग करते हुए कहा कि जो नीलामी हुई उसमें सुनियोजित तरीके से पूल कराकर मनमाने ढंग से नीलामी कराई गयी है। स्वास्थ्य विभाग की नीलामी से मिली रकम को उन्होंने बेहद कम बताते हुए कहा कि एटूजेड के कबाड़ में ही कीमती वाहन दबे पड़े हैं। उनको सूचीब( नहीं किया गया है। सभासद ने डीएम के साथ ही इस मामले में मुख्यमंत्री, नगर विकास मंत्री और प्रमुख सचिव नगर विकास व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत की है।


बता दें कि नगरपालिका परिषद् की निष्प्रयोज्य सामग्री की नीलामी पिछले करीब पांच-छह साल से नहीं हो पा रही थी। जबकि 2020 में चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने पालिका की आय बढ़ाने के लिए पालिका बोर्ड मीटिंग में इस सामग्री को नीलाम कराने का प्रस्ताव बहुमत से पास कराया था, लेकिन बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव होने के बाद भी ईओ हेमराज सिंह नीलामी कराने को तैयार नहीं थे। इसको लेकर अंजू अग्रवाल और ईओ के बीच खींचतान भी चलती रही। बाद में डीएम ने भी स्क्रैप की नीलामी कराने के निर्देश दिये थे और इसके लिए चेयरपर्सन द्वारा नोडल बनाये गये अधिकारी को हटाकर एई सुनील कुमार को नोडल अफसर बनारक निष्प्रयोज्य सामग्री को सूचीब( करने के निर्देश दिये थे। करीब डेढ़ साल तक डीएम के आदेश का असर भी पालिका प्रशासन पर नहीं हुआ और यह मामला लटका रहा। पिछले दिनों चेयरपर्सन के अधिकार सीज होने के बाद डीएम के आदेशों पर निष्प्रयोज्य सामग्री नीलाम कराने की कार्यवाही तेज हुई। इसके लिए नगर मजिस्ट्रेट अनूप कुमार ने ईओ हेमराज सिंह को निर्देश जारी किये थे। 24 सितम्बर को नीलामी कराने का दिन तय हुआ, लेकिन इसी दिन इसे स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद पालिका प्रशासन बनने के बाद नगर मजिस्ट्रेट अनूप कुमार ने पालिका के चार विभागों पथ प्रकाश, स्वास्थ्य, जलकल और कर विभाग के स्क्रैप की नीलामी में खुली बोली कराई। इसमें नोडल अधिकारी एई सुनील कुमार ने बताया कि पथ प्रकाश विभाग के निष्प्रयोज्य सामान की नीलामी के लिए 22 ठेकेदारों ने सरकारी बोली 14 लाख 94 हजार 340 रुपये से आगे बोली लगाई और अंतिम बोली 16 लाख रुपये में छोड़ी गयी। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग के कबाड़ की नीलामी के लिए 24 ठेकेदारों ने सरकारी बोली 8 लाख 44 हजार 600 रुपये पर अपनी बोली लगाई, यह नीलामी अंतिम बोली 9.05 लाख पर छूटी है। जलकल और कर विभाग की निष्प्रयोज्य सामग्री की नीलामी एक जगह ही कराई गई। इसमें सरकारी बोली अधिक होने पर ठेकेदारों ने पूल कर बहिष्कार कर दिया। दो विभागों की नीलामी से करीब 25 लाख रुपये का राजस्व पालिका को प्राप्त हुआ।


इस मामले में पालिका को सरकारी बोली से ज्यादा रकम के रूप में करीब डेढ लाख रुपया ही मिला है। इसी को लेकर अब इसमें धांधली और बड़ा घालमेल होने को लेकर आवाज उठ रही है। मंगलवार को वार्ड 13 के सभासद अरविन्द धनगर ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर डीएम चंद्रभूषण सिंह से मुलाकात की और उनको पालिका में हुई नीलामी में बरती गयी अनियमतता और पालिका को वित्तीय हानि पहुंचाने की साजिश के आरोप लगाते हुए शिकायत पत्र सौंपा। सभासद अरविन्द ने कहा कि इस नीलामी में सुनियोजित तरीके से धांधली हुई है। उन्होंने छह बिन्दुओं पर जांच कराने की मांग की है।


इसमें सभासदों ने कहा कि नीलामी के लिए पालिका के जिन विभागों के स्क्रैप को शामिल किया गया, उनमें करीब दो तिहाई सामान को सूचीब( नहीं किया गया है। एटूजेड प्लांट किदवईनगर के कूडे में काफी वाहन दबे हैं और दिखाई भी देते हैं, जिनका निरीक्षण कर इसे पकड़ा जा सकता है। स्क्रैप की सूची का आधार गलत बताते हुए सभासद अरविन्द ने कहा कि सभी सामान को सूचीब( नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि नीलामी के लिए बोली 50 हजार से अधिक है, इसलिए नीलामी की स्वीकृति बोर्ड में करानी थी, लेकिन नहीं किया गया। 24 सितम्बर को स्थगित की गयी नीलामी के लिए 30 ठेकेदार पंजीकृत थे, लेकिन 29 की नीलामी में 24 ठेकेदारों को बुलाकर आनन फानन में नीलामी करा दी गयी। 6 ठेकेदारों को पंजीकरण कराने और डीडी जमा करने के बाद भी बुलाया नहीं गया। स्वास्थ्य विभाग के स्क्रैप के लिए सरकारी बोली करीब 8.50 लाख रुपये थी, लेकिन न जाने किसके दबाव में अंतिम बेाली 9.05 लाख रुपये ही छोड़ दी। इससे करीब डेढ लाख रुपये ही ज्यादा पालिका को मिल पाये। आरोप लगाया कि इससे स्पष्ट है कि इसमें सुनियोजित तरीके से पूल कराकर पालिका को वित्तीय हानि पहुंचाई गई है। उनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के स्क्रैप में दर्ज छोटे बडे वाहनों की संख्या 22 है, इससे भी छोड़ी गई बोली की रकम काफी कम प्रतीत होती है। उन्होंने डीएम से इस मामले में गंभीरता के साथ जांच कराने और पालिका को वित्तीय हानि से बचाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में खामोश नहीं बैठेंगे और आवाज उठायेंगे।

पालिका में अब बोर्ड है ही कहां?-


सभासद अरविन्द धनगर ने जब पालिका की नीलामी के मामले में आरोप लगाते हुए सवाल उठाया कि 50 हजार से ज्यादा की नीलामी होने के कारण इसके लिए बोर्ड से स्वीकृति जरूरी है तो डीएम ने तपाक से कहा कि अब पालिका में बोर्ड ही कहां है? सभासद का कहना है कि पालिका की चेयरपर्सन के अधिकार सीज हुए हैं, वह कुर्सी पर नहीं है तो बोर्ड तो वजूद में है और अभी चुनाव अधिसूचना भी जारी नहीं हुई, तो ऐसे में डीएम जैसा अधिकारी यह टिप्पणी कैसे कर सकता है?

एटूजेड के कूडे में दबे 20 लाख के वाहन!

मुजफ्फरनगर। पालिका में हुई स्क्रैप की नीलामी को लेकर धांधली की आवाज उठना नया नहीं है, इससे पहले वार्ड 39 के सभासद और कांग्रेस नेता मौहम्मद सलीम ने डीएम को पत्र देकर जांच कराने की मांग की थी।


सभासद सलीम ने अपनी शिकायत में नगरपालिका परिषद् की निष्प्रयोज्य सामग्री की नीलामी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए डीएम चंद्रभूषण सिंह से इसकी जांच कराने और इसको रोकने की मांग की थी। आरोप था कि नीलामी के लिए स्वीकृत निष्प्रयोज्य सामग्री की जो लिस्ट विभागीय स्तर पर जारी की गयी, उसमें भारी अनियमितता है। बताया कि 2017 में भी पालिका ने निष्प्रयोज्य सामग्री की नीलामी के लिए खुली बोली लगाई और 9 लाख रुपये में यह नीलामी छूटी थी, लेकिन ठेकेदार ने भुगतान नहीं किया और न ही सामग्री को उठाया। वह सामग्री पालिका में ही मौजूद है और उस सामग्री के साथ ही पालिका में अब तक के वर्षों में काफी सामग्री बढ़ी है। आरोप था कि शहरी पथ प्रकाश व्यवस्था में 15 हजार एलईडी लाइटें लगवायी गयी, जबकि पूर्व में सीएफएल और सोडियम लाइटें लगी थी, जो चालू अवस्था में थी, उनका समान भी था। जो इस न नीलामी में पथ प्रकाश विभाग की लिस्ट में शामिल नहीं है, यह जांच का विषय है कि वह सामग्री कहां है, है भी या उसको बेच लिया गया है। इस सामग्री की कीमत लाखों में है। इसके साथ ही सभासद ने एटूजेड प्लांट किदवईनगर में कूड़े के ढेर में जेसीबी, क्रेन और अन्य वाहन तथा सामग्री दबी होने की बात कहते हुए दावा किया था कि यह सामग्री करीब 20 लाख रुपये की हो सकती है। सभासद ने डीएम से इस मामले में एक कमेटी का गठन करते हुए जांच कराने की मांग की थी, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गयी। अब सभासद अरविंद धनगर ने यह आवाज उठाकर हलचल मचाई है।

Next Story