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SD Market--टैक्स वसूली में पालिका का बड़ा खेल!

नगरपालिका परिषद् के निवर्तमान कर अधीक्षक ने आज तक नहीं कराया स्वःकर निर्धारण, आरटीजीएस ने एकमुश्त टैक्स भुगतान करती रही एसोसिएशन, पालिका को नहीं पता मार्किट में हैं कितनी दुकान, करीब 850 दुकानों का वसूला जाता है टैक्स, मार्किट में सैंकड़ों दुकान टैक्स से बाहर। कर विभाग ने अब दो साल का एरियर जोड़कर भेजा एसोसिएशन को दुकानों का बिल, पिछली बार लगा था 7 लाख रुपये का टैक्स।

SD Market--टैक्स वसूली में पालिका का बड़ा खेल!
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मुजफ्फरनगर। एसडी कॉलेज मार्किट प्रकरण में शासकीय भूमि पर लीज समाप्त होने के 40 साल बाद तक भी कब्जा कर व्यावसायिक गतिविधियों से पैसा अर्जित करने वाले दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने व्यावसायिक भवन होने के बावजूद पालिका में निर्धारित मानकों पर वार्षिक टैक्स जमा नहीं कराया है, ऐसा मामला खुद पालिका की जांच में सामने आ रहा है। इसमें पालिका के निवर्तमान कर अधीक्षक आरडी पोरवाल की कारगुजारी को लेकर भी कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। करीब एक हजार दुकानों वाली इस मार्किट में कितनी दुकान हैं, इसका भौगोलिक आंकलन कभी पालिका प्रशासन किया ही नहीं और न ही इस मार्किट पर टैक्स निर्धारित के लिए स्वःकर की प्रक्रिया को अपनाया गया।

पालिका सूत्रों के अनुसार शहर में जितनी भी बड़ी प्रॉपर्टी हैं, वो चाहे घरेलू है, या फिर व्यावसायिक, उन सभी का वार्षिक टैक्स का मामला केवल आरडी पोरवाल ही गोपनीय तरीके से अपने हाथों में रखते थे। यही कारण है कि पालिका द्वारा एसडी मार्किट पर निर्धारित किये गये करीब 07 लाख रुपये के वार्षिक टैक्स को कभी एसोसिएशन ने जमा नहीं कराया। अंतिम बार एसोसिएशन के द्वारा टैक्स के रूप में करीब 04 लाख रुपये का भुगतान पालिका को किया गया था। अब जबकि डीएम के निर्देश पर इस झोल में पालिका के अफसरों और कर्मचारियों की भी जांच कराई जा रही है तो यह खुलासा हुआ है कि टैक्स वसूलने में ही पालिका साठगांठ के बूते एसोसिएशन के पदाधिकारियों को उस स्थिति में बड़ी राहत देती रही है, जिसमें खुद एसोसिएशन के पदाधिकारी मार्किट के दुकानदारों से किराये के साथ ही वार्षिक टैक्स भी 18 प्रतिशत जीएसटी के साथ वसूलते आ रहे हैं। अब इस मामले में आंख खुलने और कार्यवाही के भय से पालिका के कर विभाग ने एसडी कॉलेज मार्किट के दुकानदारों से वार्षिक टैक्स वसूलने के लिए स्वःकर निर्धारण कराने के नोटिस के साथ ही दो साल का एरियर जोड़कर तीन साल का टैक्स वसूलने के लिए बिल जारी किया है।

बता दें कि एसडी कॉलेज मार्किट नजूल की भूमि पर बनी है। इस शासकीय भूमि का मालिकाना हक नगरपालिका परिषद् मुजफ्फरनगर के पास रहा है। जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह द्वारा इस भूमि पर बनी मार्किट को लेकर श्रीकांत त्यागी द्वारा की गयी शिकायत के बाद जो जांच कराई गई, उसमें कई सनसनीखेज खुलासा होते रहे हैं। 0.5730 हेक्टेयर इस भूमि को पालिका प्रशासन के द्वारा साल 1952 में 71 रुपये वार्षिक किराये की दर पर दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन को 30 वर्ष के लिए लीज पर इस गंभीर शर्त के साथ दी गयी थी कि इस भूमि का उपयोग केवल शैक्षिक कार्यों के लिए ही किया जायेगा। जांच में यह सामने आया कि लीज पर ली गयी इस शासकीय भूमि को एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने व्यावसायिक गतिविधियों में प्रयोग करते हुए अवैध रूप से न केवल धन अर्जित किया, बल्कि करीब 40 साल पूर्व 1982 में लीज डीड समाप्त हो जाने के बावजूद भी अपना अवैध कब्जा इस पर बनाये रखने के साथ ही पालिका में तय किराया भी जमा नहीं किया है। इस भूमि पर मार्किट बनाकर दुकानों को पगडी के रूप में मोटी रकम वसूलते हुए अरबों रुपये का खेल किया गया। जांच में अवैध कब्जा साबित होने के बाद ईओ पालिका हेमराज सिंह ने 27 दिसम्बर को एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं सचिव को नोटिस जारी करते हुए अपना अवैध कब्जा हटाने और मार्किट को पालिका में निहित करने के साथ ही क्षतिपूर्ति के रूप में करीब 190 करोड़ रुपये पालिका में जमा कराने का आदेश दिया। इसमें जवाब देने के लिए एसोसिएशन को पालिका प्रशासन के द्वारा लगातार दो बार समय बढ़ाया है। अब 22 जनवरी तक का समय दिया गया है।

ऐसे में इस मामले में पालिका के द्वारा 40 साल तक लीज खत्म होने के बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं करने और अन्य उठ रहे सवालों को लेकर डीएम ने एडीएम वित्त को जांच सौंपी है। इसी जांच में कई प्रकार की बात सामने आ रही है। अब इसमें नया खुलासा हुआ है। एसडी मार्किट में बनी दुकानों की संख्या को लेकर भी पालिका के पास कोई रिकार्ड नहीं है, कितनी दुकानें वर्तमान में वहां है, यह कोई जानकारी ही नहीं है, बल्कि प्रशासन के पास भी दुकानों का सही आंकड़ा नहीं है। प्रशासनिक स्तर पर यहां पर 941 दुकान होने का दावा किया जाता है तो पालिका को करीब 850 दुकानों का ही टैक्स मिलता रहा है। यह टैक्स भी एसोसिएशन की ओर से आरटीजीएस के माध्यम से एकमुश्त भुगतान किया जाता रहा है। कर विभाग में निचते स्तर के अफसर और कर्मचारी एसडी मार्किट के झोल में गोल-गोल घूमते नजर आ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि पालिका के निवर्तमान कर निर्धारण अधिकारी आरडी पोरवाल ने ही इस मार्किट के टैक्स की पत्रावली अपने कब्जे में रखी और गये तो उसको गायब कर गये हैं। जो रिकार्ड कम्प्यूटर में है, उसी के अनुसार बिल जाते रहे हैं। इस मार्किट के टैक्स के लिए उनके द्वारा स्वःकर निर्धारण भी नहीं कराया गया है। वो बिल जारी कराते और एसोसिएशन आरटीजीएस से एकमुश्त भुगतान पालिका के बैंक खाते में करा देती रही है।

सूत्रों का कहना है कि पूर्व में जब चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने टैक्स के लिए बोर्ड में पारित प्रस्ताव के अनुसार वसूली का अभियान चलाया तो एसडी मार्किट की करीब 850 दुकानों के लिए लगभग 7 लाख रुपये का टैक्स बिल जारी किया गया था। इसको लेकर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने टैक्स ज्यादा बताते हुए और मार्किट संस्था की होने के कारण टैक्स कम करने की गुहार की थी। आरडी पोरवाल ने ही टैक्स कम कराते हुए करीब 04 लाख रुपये का भुगतान कराया था। इसके बाद से भुगतान ही नहीं किया गया है। अब इस मार्किट की जांच को देखते हुए पालिका का कर विभाग भी फूंक-फूंककर कदम आगे बढ़ा रहा है। कर विभाग ने तीन साल का टैक्स वसूलने की तैयारी की है। एसडी कॉलेज मार्किट के दुकानदारों के लिए एसोसिएशन को जो बिल भेजे गये हैं, उनमें वित्तीय वर्ष 2022-23 का वार्षिक टैक्स जमा कराने के आदेश के साथ ही वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 के बकाया टैक्स का एरियर भी सम्मिलित किया गया है। इसके साथ ही एसोसिएशन को कर विभाग ने टैक्स निर्धारण के लिए स्वःकर प्रक्रिया को पूर्ण कराने के लिए भी निर्देश दिये गये हैं। पालिका की कार्यवाहक कर अधीक्षक पारूल यादव का कहना है कि एसडी मार्किट का कितना टैक्स है या वहां कितनी दुकानें हैं और कितनी दुकानों का टैक्स लगा हुआ है? ऐसा कुछ भी उनकी जानकारी में नहीं है। उनसे पूर्व आरडी पोरवाल ही इस मामले को देख रहे थे, निचले स्तर के कर्मचारियों को भी इसकी जानकारी उन्होंने कभी नहीं शेयर की है। वहीं करीब एक दो महीने से ही एसडी मार्किट का एरिया देखने वाले पालिका के कर निरीक्षक अमित कुमार ने बताया कि पूर्व में इस मार्किट का स्वःकर निर्धारण ही नहीं किया गया था। एकमुश्त टैक्स एसोसिएशन के द्वारा जमा किये जाने की जानकारी उनको मिली है। उन्होंने कार्यवाही टीएस के माध्यम से इस बार 2020-21 से तीन साल का टैक्स वसूलने के लिए नोटिस बिल एसोसिएशन को भिजवाये हैं। उनका कहना है पालिका के बिलिंग रिकार्ड के अनुसार एसडी मार्किट में करीब 850 दुकान हैं, जबकि मौके पर ज्यादा दुकान बताई जा रही हैं। यहां तक कहा जा रहा है कि सैंकड़ों दुकानें ऐसी हैं कि जिन पर टैक्स ही लागू नहीं हो पाया है। इसकी सर्वे कराई जाये तो ही सही स्थिति सामने आ सकती है।

पालिका में टैक्स जमा नहीं कराता है कोई भी दुकानदार

दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन की ओर से एसडी मार्किट या उनके कब्जे की अन्य दूसरे मार्किट के किरायेदार दुकानदारों को प्रतिमाह किराया वसूली के लिए कम्प्यूटराइज्ड इनवॉयस दिया जाता है। व्यापारी सूत्रों के अनुसार इसमें किराये के साथ ही 18 प्रतिशत जीएसटी भी वसूला जा रहा है। वहीं एसोसिएशन किराया और 18 प्रतिशत जीएसटी के साथ ही दुकानदारों से पालिका टैक्स भी वसूल कर रही है। एक व्यापारी नेता ने बताया कि मार्किट का कोई भी दुकानदार स्वयं अपनी दुकान पर निर्धारित पालिका टैक्स को पालिका के कर विभाग में जाकर जमा नहीं कराता है। जबकि पालिका से प्रत्येक दुकान का बिल अलग अलग निकालकर वितरित किया जाता है। आज तक न तो पालिका ने ही दुकान दर दुकान टैक्स बिल पहुंचाया है और न ही बिल जमा कराने के लिए व्यापारी दुकानदार ही व्यक्तिगत रूप से पालिका में पहुंचे हैं। सूत्रों का कहना कि एसडी मार्किट में व्यापार करने वाले एसोसिएशन के किरायेदार दुकानदारों में किसी के भी पास पालिका के टैक्स बिल या उनके भुगतान की रसीद व्यक्तिगत तौर पर नहीं है। पालिका के स्तर से सारे बिल एसोसिएशन के दफ्तर में पहुंचाये जाते हैं और बाद में उन बिल के टोटल अमाउंट के आधार पर एसोसिएशन के द्वारा ही पालिका के बैंक खाते में बिल की रकम आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर कराकर भुगतान रसीद प्राप्त की जाती है। इसी को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं, जिनकी जांच कराई जा रही है।

चोरी और सीनाजोरी कर रहे एसोसिएशन के पदाधिकारीः श्रीकांत

मुजफ्फरनगर। एसडी कॉलेज मार्किट प्रकरण में प्रशासनिक कार्यवाही के बीच ही दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन के पदाधिकारियों के द्वारा भी नोटिस देकर प्रताड़ना करने और मानहानि का दावा करने की चेतावनी दिये जाने के बाद इस प्रकरण को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही है। ऐसे में इस मामले में लंबी लड़ाई लड़ने वाले शिकायतकर्ता श्रीकांत त्यागी ने कहा कि एसोसिएशन के लोगों का काम चोरी भी ऊपर से सीनाजोरी भी, जैसा ही है। उन्होंने कहा कि ऐसा ही आचरण करते हुए एसडी कॉलेज एसोसिएशन द्वारा जिला प्रशासन को नोटिस दिया गया है। उनका आरोप है कि एसडी कॉलेज एसोसिएशन के पदाधिकारी हमेशा से जांच टालने में माहिर रहे हैं, क्योंकि उनके पास शिकायतों का व प्रशासन के नोटिस का कोई जवाब और अभिलेख नहीं है। वह बार-बार टाइम इसलिए मांगते है ताकि मामले को उलझा दिया जाए। पूर्व की जांच पत्रावलियों में उनके द्वारा दिए गए पत्रों के लिखित में साक्ष्य हैं कि वह हर जांच में अंतिम दिन जाँच को लटकाने के लिए हर बार 1 माह का समय मांगते हैं, क्योंकि उन्होंने यह सारा साम्राज्य शासन प्रशासन की और जनता की आंखों में धूल झोंक कर शासकीय भूमि पर खड़ा किया है, जिसके प्रतिककर के रूप में उन्हें 190 करोड़ व शासकीय भूमि पर अन्य संस्थाओं के संचालन के प्रतिकर के रूप में भी सैकड़ों करोड़ रुपये से अधिक शासन प्रशासन को देने होंगे। श्रीकांत त्यागी का कहना है कि इन लोगों को अब जल्द ही अपना कब्जा भी शासकीय संपत्ति से हटाना पड़ेगा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में किसी भी तरह का माफिया हो, बच नहीं पाएगा चाहे वह शिक्षा माफिया हो चाहे वह भूमाफिया हो।

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