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भाकियू ने सिसौली में बुलाई 36 बिरादरी की पंचायत

मंगलवार को किसान भवन से होगा महापंचायत की सफलता का आह्नान, गांव-गांव हो रही नुक्कड़ सभाएं, जीआईसी मैदान पर 10 फरवरी की किसान मजदूर महापंचायत को नई धार देने की तैयारी, जाट समाज की खापों को साधने के लिए बालियान खाप के मुखिया के रूप में पंचायत में आयेंगे, गठवाला को भी न्यौता देने पर मंथन

भाकियू ने सिसौली में बुलाई 36 बिरादरी की पंचायत
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मुजफ्फरनगर। जीआईसी मैदान से अपने बेमियादी आंदोलन को एक नई धार देने के लिए 10 फरवरी की किसान मजदूर महापंचायत को सफल बनाने की तैयारियों में जुटी भारतीय किसान यूनियन ;भाकियूद्ध ने अब एडी चोटी का जोर लगाने को कमर कस ली है। इस किसान आंदोलन से सामाजिक शक्ति को जोड़ने के लिए भाकियू हाईकमान ने पूरा जोर ज्यादा से ज्यादा सामाजिक खापों को एक मंच पर लाने के लिए रणनीति बनाई है। इसी को लेकर अब किसान भवन सिसौली से महापंचायात को ऐतिहासिक बनाने के लिए मंगलवार को किसानों और मजदूरों तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए भाकियू ने 36 बिरादरी की पंचायत बुलाई है। इसके साथ ही महापंचायत के आयोजन को लेकर गांव गांव नुक्कड़ सभाओं का दौर भी शुरू कर दिया गया है। वहीं इस महापंचायत में बालियान खाप की भूमिका को वृहद करने और संगठन की टूट के कारण अलग थलग दिखाई देने वाली गठवाला खाप को भी बुलाने के लिए मंथन सिसौली में किया जायेगा।

बता दें कि 28 जनवरी से भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चै. राकेश टिकैत के आह्नान पर जीआईसी के मैदान पर किसानों ने गन्ना मूल्य घोषित करने, बकाया भुगतान, आवारा पशु की समस्या सहित अन्य प्रमुख मांगों को लेकर बेमियादी आंदोलन शुरू करते हुए तम्बू गाड़ दिये थे। सोमवार को इस आंदोलन के दस दिन पूरे हो चुके हैं। इस बीच जिला प्रशासन के अफसरों के साथ भाकियू नेताओं की कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन समाधान होने तक ये आंदोलन जारी रखने के ऐलान के कारण कोई बात नहीं बन पाई और सभी वार्ता बेनतीजा ही साबित रही हैं। इसी बीच जीआईसी मैदान पर भाकियू ने 10 फरवरी को किसान मजदूर महापंचायत बुलाने का ऐलान कर दिया है। इसको सफल बनाने के लिए संगठन के सभी पदाधिकारी जुटे हुए हैं। इसके साथ ही इस महापंचायत को सफल बनाने के लिए सामाजिक शक्ति जुटाने का काम भी किया जा रहा है। किसानों और मजदूरों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में लाने के लिए जिम्मेदारी दी गयी है। इसी कड़ी में अभी तक भाकियू के इस आंदोलन को आंदोलन को बत्तीसा खाप, लाठर खाप, दुहन खाप, राठी खाप के जिम्मेदारों ने अपना अपना समर्थन व्यक्त किया है। लोगों की निगाह गठवाला खाप पर टिकी हुई है। क्योंकि गठवाला संगठन में टूट के साथ ही भाकियू के खिलाफ तीखे तेवर में नजर आती रही है।


10 फरवरी की महापंचायत को नई धार देने और इसके लिए ज्यादा से ज्यादा सामाजिक समर्थन हासिल करने के लिए भाकियू ने अब किसान भवन का रूख किया है। भाकियू जिलाध्यक्ष योगेश शर्मा ने बताया कि 07 फरवरी मंगलवार को सिसौली के किसान भवन में दोपहर दो बजे पंचायत का आयोजन किया गया है। इसमें बालियान खाप की भूमिका को लेकर भी जिम्मेदारी दी जायेगी। योगेश शर्मा ने बताया कि इसमें भाकियू मुखिया चै. नरेश टिकैत बालियान खाप के चैधरी के रूप में भाग लेंगे, इनके साथ ही गौरव टिकैत भी पंचायत में 36 बिरादरी के लोगों को सम्बोधित करेंगे और आंदोलन में जी जान से जुटने का आह्नान किया जायेगा। उन्होंने बताया कि गठवाला खाप को भी निमंत्रण देने की तैयारी की जा रही है। सभी को इसमें किसान हित में साथ लाने का प्रयास किया जा रहा है। गांव गांव सभा की जा रही हैं। आज उनके द्वारा गांव बझेडी, जडौदा, नरा और मन्सूरपुर में नुक्कड़ सभाओं मे किसानों को सम्बोधित करते हुए महापंचायत में पहुंचने के लिए आह्नान किया गया है। उन्होंने कहा कि आंदोलन ही हमें संगठित रखता है और अधिकार आंदोलन से ही हासिल हो पायेंगे।

शिवसेना ने दिया भाकियू को समर्थन


भाकियू के जीआईसी मैदान पर चल रहे बेमियादी आंदोलन और दस फरवरी की महापंचायत को शिवसेना ने भी अपना समर्थन व्यक्त किया है। सोमवार को शिवसेना जिलाध्यक्ष बिट्टू सिखेडा अन्य पदाधिकारियों के साथ जीआईसी मैदान पर पहुंचे और युवा भाकियू के अध्यक्ष गौरव टिकैत से मिलकर उनको किसानों के हितों के लिए चलाये जा रहे आंदोलन के लिए समर्थन पत्र सौंपते हुए कहा कि किसानों के हितों की अनदेखी सरकारो को नहीं करनी चाहिए।

कृषि बचाने को आंदोलन में जुट रहे ऋषि

भाकियू के जीआईसी मैदान के आंदोलन को लेकर यूपी के साथ ही दूसरे राज्यों से भी किसान लगातार यहां पहुंचकर समर्थन कर रहे हैं। इसमें उत्तराखंड और राजस्थान से कई साधु संत और ऋषि भी यहां पहुंचकर किसानों की मांगों को आवाज देकर आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं। सोमवार को राजस्थान से पहुंचे ऐसे ही साधु का भाकियू युवा नेता गौरव टिकैत ने स्वागत किया। इस दौरान साधु के लम्बे केश देखकर सभी उत्सुक नजर आये तो किसानों के बीच इस ऋषि ने अपने केश का प्रदर्शन किया। खुद गौरव टिकैत ने भी इस ऋषि के केश अपने हाथों में उठाकर उनकी तपस्या की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत कृषि और ऋषि का ही देश है। जब भी सत्ता दिगभ्रमित हुई है तो अन्नदाताओं के साथ साधु संतों ने ही सत्ता का मार्गदर्शन किया है। किसानों के इस आंदोलन में )षियों का जुटना भी भारतीय संस्कृति और सभ्यता को प्रदर्शित करता है। उन्होंने बताया कि 10 फरवरी के लिऐ जिले के सभी किसान जीआईसी मैदान में महापंचायत में भारी संख्या में भाग लेंगे। इसमें गन्ने का पेमेंट, 10 साल पूरे हो चुके किसानों के ट्रैक्टर को एनजीटी द्वारा बंद करने के आदेश को वापस लेने, आवारा पशुओं की समस्या का समाधान, बिजली विभाग द्वारा किसान मजदूरों का शोषण बंद कराने और पुलिस विभाग द्वारा फर्जी मुकदमे को वापस लिये जाने की मांग की जायेगी।

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