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TIKAIT JAYANTI---भाकियू नरेश ने दी चेतावनी-अब अंगुली उठी तो काट देंगे

महेन्द्र सिंह टिकैत की 88वीं जयंती पर जगबीर सिंह हत्याकांड के संघर्ष का दर्द किया बयां, बात कहने से रोका तो माइक फैंक दिया, मन की पीड़ा बताते बताते भड़क गये नरेश टिकैत, भाकयिू प्रमुख ने कहा-हमने कभी गलत नहीं किया, लेकिन अब किसी ने अंगुली उठाई तो काट देंगे।

TIKAIT JAYANTI---भाकियू नरेश ने दी चेतावनी-अब अंगुली उठी तो काट देंगे
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मुजफ्फरनगर। किसान मसीहा स्वर्गीय चैधरी महेन्द्र सिंह टिकैत के 88वें जन्म दिवस पर उनके बड़े पुत्र और भाकियू सुप्रीमो चै. नरेश टिकैत ने अपनी उस पीड़ा को भी मंच से सभी के सामने रखा, जिसके कारण उनको करीब 20 साल तक एक झूठे मुकदमे में घर और परिवार पर आये संकट के लिए संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने बातों ही बातों में जगबीर सिंह हत्याकांड को लेकर अपना दर्द बयां किया। जब वोा मंच से इस मामले को उठा रहे थे तो कुछ लोगों ने उनको टोकते हुए खामोश रहने के लिए कहा, इस पर भाकियू नरेश पूरी तरह से भड़क गये और माइक फैंक कर मंच से जाने लगे। उनको बामुश्किल रोका गया, जिसके बाद उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जगबीर का कत्ल उन्होंने नहीं किया था, वो एक साजिश थी, जो हो गया सो बीत किया, लेकिन यदि अब किसी ने अंगुली उठाई तो उसकी अंगुली काट दी जायेगी।


किसान भवन में टिकैत जयंती समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि लखीमपुर कांड किसी को भूलना नहीं चाहिए। किसानों को गाड़ियों से कुचला गया। हमने बड़ा आंदोलन उन किसानों को इंसाफ दिलाने के लिए चलाया गया है। लेकिन ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले किसान विरोधियों से कुछ लोग मिलकर किसान कौम से गद्दारी कर रहे हैं। सिसौली के 13 आदमी टेनी से मिलने गये, वो गद्दार हैं। वो अच्छे परिवार से हैं। इन लोगों के परिवार का यूनियन के अंादोलन में पूरा सहयोग रहा है। आज युवा पीढ़ी बदल रही है, लेकिन युवा ये नहीं भूले कि सिसौली रघुकुल की भूमि है, टिकैत की भूमि है, ऐसे में जहर घोलने का काम न किया जाये। हमारे से विरोध है तो सामाजिक धोखा करने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। हमें उनके नाम भी पता हैं, यहां खोल दिये तो मुश्किल हो जायेगी। हम चाहते हैं कि वो लोग सुधर जायें।

उन्होंने जगबीर सिंह हत्याकांड का जिक्र करते हुए कहा कि साल 2003 में 302 का मुकदमा मुझ पर लगा, हमने उसको मारा नहीं, वो भी अपने ही परिवार का आदमी था, उसने हमारा कुछ नहीं बिगाड़ा। हमें तो सुबह हत्या की जानकारी मिली। हम मुजरिम बना दिये गये। इस बीच समाज का कोई भी जिम्मेदार समझौता कराने के लिए नहीं आया। हमें न्याय व्यवस्था पर भरोसा था। 19 साल 10 महीने 11 दिन मुकदमा चला और इंसाफ हुआ। हम एक साधारण किसान थे। हम अपने इतिहास पर दाग नहीं लगाने की सोच सकते, हमारी बड़ी जिम्मेदारी है। हम अपनी ताकत को गलत इस्तेमाल करने से डरते हैं, क्योंकि हमें आने वाली पीढ़ी के भविष्य की चिंता है। हम इस जहर को घूंट बनाकर पी गये हैं। जो हुआ सो हुआ, आगे कोई गलतफहमी न रखे, इस परिवार पर अंगुली उठने वाले की अंगुली को काट दिया जायेगा। भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि इस मुकदमे के कारण हमने बड़ा संघर्ष किया। जब यह मुकदमा हुआ तो मेरी मां उसी समय बीमार पड़ गयी थी और मौत तक ही उस बीमारी का पीछा छूटा। हमारी मां ने हमेशा कहा कि गलत काम न करना, हमने उस पर अमल किया, किसी का गलत नहीं किया। आप लोगों ने बहुत सम्मान दिया, दिल की पीड़ा है उसे आज कह दिया गया। न्याय व्यवस्था ने जब मुझे बरी किया तो बहुत घरों में दिये नहीं जले। चोर की सीढ़ी पकड़ने वाला भी उतना ही दोषी है, गलत व्यक्ति का साथ न दो। संघर्षशील रहने की आवश्यकता है। किसान आज बारूद की ढेर पर बैठा है, सम्मान के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इस मान को बचाने का संघर्ष है। भाव दो चार रूपये कम मिलेगा भी तो काम चल जायेगा। सम्मान चला गया तो कुछ नहीं बचेगा। नरेश टिकैत को जब जगबीर सिंह हत्याकांड का मुद्दा उठाने पर पीछे से टोका गया तो उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि मेरे जीवन की गंभीर बात है, मेरे मन की पीड़ा है, मैं अपने मन की बात भी यहां नहीं कह सकता, तो मैं जा रहा हूं और माइक फैंक वो जाने लगे थे।

टिकैत को भारत रत्न, सिसौली पर नया राष्ट्रगान बनाने की मांग

किसान भवन सिसौली में शुक्रवार को आयोजित हुए महेन्द्र सिंह टिकैत की 88वीं जन्म जयंती के अवसर पर सरकार से कुछ मांग भी उठाई गई। यहां कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए भाकियू नेता नवीन राठी ने देश का राष्ट्रगान ही बदलने की मांग उठा दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रगान देश के बंटवारे से पहले स्वीकृत किया गया था। तभी से यह लागू है। इसमें एक पंक्ति में पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा है। नवीन राठी ने कहा कि इसमें सिंध बंटवारे के बाद पाकिस्तान में चला गया है। ऐसे में इस पंक्ति को बदला जाये, इसमें उन्होंने सिंध की जगह सिसौली नाम जोड़ने के साथ ही महेन्द्र सिंह टिकैत को भारत रत्न और उनकी जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग की है।

जयंती पर राष्ट्रीय महासचिव ने टिकैत को भेजा त्यागपत्र

महेन्द्र सिंह टिकैत की 88वीं जयंती समारोह में संगठन की मजबूती के लिए यूनियन के शीर्ष नेताओं ने लगातार किसानों को समझाया और आंदोलन का रास्ता दिखाया, लेकिन जयंती समारोह में ही यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव ग्राम वैना जनपद अलीगढ़ निवासी चै. अनिल तालान ने भाकियू अध्यक्ष चै. नरेश टिकैत को अपना इस्तीफा भेजा। अनिल तालान ने कहा कि वो किसान संगठन में लिये जा रहे कुछ निर्णयों को लेकर व्यथित हैं और किसानों के साथ छल किया जा रहा है। इसी को लेकर वो अपने पद से और यूनियन से त्यागपत्र दे रहे हैं। उन्होंने अपने त्यागपत्र में कहा कि उनके द्वारा 24 सितम्बर को भी त्यागपत्र दिया गया था, उसको अध्यक्ष द्वारा स्वीकार नहीं किया गया। इसलिए वो आज पुनः इस्तीफा भेज रहे हैं।

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