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धर्मेन्द्र मलिक ने चन्द्रमोहन को बताया गुण्डा

सिंघू बॉर्डर पर मारे गये दलित लखबीर का मुद्दा उठाने पर भाकियू नेता ने उठाये सवाल, कहा-भाजपा रच रही हिंसा की साजिश, भाकियू नेता ने ट्वीट कर भाजपा नेताओं के साथ चन्द्रमोहन महाराज की फोटो भी की शेयर

धर्मेन्द्र मलिक ने चन्द्रमोहन को बताया गुण्डा
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मुजफ्फरनगर। किसान आंदोलन के दौरान लगातार आतंकवाद, डकैत और खालिस्तानी जैसे शब्दों के सहारे तीखी टिप्पणी के मामले लगातार चर्चाओं में बने हुए हैं। अभी तक ये सभी टिप्पणी दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसानों या किसान नेताओं के लिए की जाती रही हैं, लेकिन अब जबकि इस मामले में दूसरा एंगल लेकर एक किसान मजदूर संगठन मैदान में उतरा हुआ है और लगातार किसानों को साथ लेकर किसान आंदोलन से अलग हटकर आंदोलन करते हुए आवाज बुलन्द की जा रही है तो पहली बार किसान आंदोलन में गाजीपुर बॉर्डर को संभालने वाली भारतीय किसान यूनियन की ओर से एक तीखी टिप्पणी ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। भाकियू नेता धर्मेन्द्र मलिक के एक ट्वीट को लेकर हलचल मची है। इसमें उन्होंने आध्यात्मिक किसान नेता के रूप में पहचान बनाकर किसान और मजदूरों के हितों की आवाज उठाने का दावा करने वाले चन्द्रमोहन महाराज को गुण्डा और हत्यारा बताते हुए भाजपा पर उनके सहारे बॉर्डर पर हिंसा कराने की साजिश के आरोप लगाये हैं।

किसान आंदोलन के दौरान सिंघू बॉर्डर पर गुरू गं्रथ साहिब का अपमान करने के आरोप में पिछले दिनों पंजाब राज्य के एक दलित मजदूर की नृशंस हत्या करने का मामला सामने आया। इस हत्या के कारण किसान आंदोलन को एक बार फिर से हिंसा और आतंकवाद से जोड़ने पर बहस शुरू हुई हालांकि इस हत्या के लिए निहंग सिक्ख ने जिम्मेदारी ली और उसको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इसके बाद भी यह मुद्दा गरम है। हिन्द मजदूर किसान समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्द्रमोहन महाराज ने दलित लखबीर सिंह के लिए न्याय की मांग को लेकर आंदोलन छेड़ा। वह मुजफ्फरनगर से लखबीर सिंह की विधवा पत्नी और अन्य परिजनों को साथ लेकर सैंकड़ों किसानों के साथ सिंघू बॉर्डर पर पहुंचे।


मजदूर की पत्नी को एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता दिये जाने के साथ ही सिंघू बॉर्डर पर इस हत्या में शामिल रहे लोगों के लिए बु(ि शु(ि यज्ञ भी किया। इस दौरान दिल्ली कूच करते हुए पुलिस से झड़प और लाठीचार्ज तक भी नौबत पहुंच गई। इस प्रकरण में एक आध्यात्मिक किसान नेता के रूप में चन्द्रमोहन ने खुद को पेश करते हुए लखबीर सिंह के परिवार के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा और एक सरकारी नौकरी की मांग पंजाब सरकार से की है। साथ ही आंदोलन जारी रखने का ऐलान भी किया गया है। सिंघू बॉर्डर पर यज्ञ, प्रदर्शन और बल प्रयोग के बाद चन्द्रमोहन और उनके समर्थक वापस लौट आये, लेकिन भारतीय किसान यूनियन के नेता धर्मेन्द्र मलिक के एक ट्वीट ने इस मामले को फिर से गरम कर दिया है। धर्मेन्द्र मलिक ने 28 अक्टूबर को किये अपने ट्वीट में कहा-''भाजपा अब कथितं महाराज को किसान बनाकर बार्डर पर हिंसा के लिए भेज रही है। ऐसा ही कल सिंघु बार्डर पर हुआ। असल में यह महाराज नही गुंडा ही है, जिस पर हत्या का आरोप हो उसे क्या कहेंगे?''

इसके साथ ही एक अन्य ट्वीट में भाकियू नेता ने यूपी में किसानों की दुर्दशा और उनके जीवन पर बने संकट को लेकर भी टिप्पणी की है। इसमें उन्होंने कहा-''उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में डीएपी और एनपीके के चक्कर में तीन किसानों की जान जा चुकी है। दो किसानों की मौत खाद के लिए लाइन में लगने के दौरान बीमार होने से हुई जबकि एक किसान ने फांसी लगा ली। बारिश के बाद से हजारों किसानों की भीड़ दुकानदारों के सामने उमड़ रही है।''

भाकियू नेता के इस ट्वीट से खासा बवाल मचा हुआ है। चन्द्रमोहन महाराज के अनुयायियों ने इस ट्वीट को लेकर कड़ी नाराजगी जताई, वहीं हिन्द किसान मजदूर समिति के लोगों में भी गुस्सा बना हुआ है। दरअसल चन्द्रमोहन महाराज को लेकर भाकियू द्वारा पहले भी टिप्पणी करते हुए उनको सरकारी एजेंट बताया गया। 05 सितम्बर को संयुक्त किसान मोर्चा के आह्नान पर जीआईसी मैदान पर किसान महापंचायत का आयोजन किया गया, इसमें केन्द्र और राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार को लेकर भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत सहित अन्य किसान नेताओं ने जमकर आग उगली थी। किसानों की दुर्दशा के लिए सीधे तौर पर भाजपा और उसकी सरकारों की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया गया था। इसके बाद हिन्द मजदूर किसान समिति द्वारा जीआईसी मैदान पर ही 26 सितम्बर को राष्ट्रप्रेमी मजदूर किसान पंचायत का आयोजन किया गया। इसमें केन्द्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों की प्रशंसा की गई थी, वहीं पंजाब और हरियाणा के बराबर गन्ना मूल्य मांगा गया था। चन्द्रमोहन महाराज के नेतृत्व वाली इस पंचायत को भाकियू द्वारा सरकार प्रायोजित कार्यक्रम करार दिया गया था। अब फिर से भाकियू की ओर से चन्द्रमोहन महाराज को निशाने पर लिया गया है। धर्मेन्द्र मलिक द्वारा अपने ट्वीट के साथ ही चन्द्रमोहन महाराज की इस तस्वीर भी साझा की है, जिसमें वह मंच पर केन्द्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान, विधायक उमेश मलिक, विधायक प्रमोद उटवाल, जिलाध्यक्ष विजय शुक्ला सहित अन्य भाजपा नेताओं के साथ गले में भगवा पटका पहने हुए खड़े हुए हैं।

राकेश टिकैत बतायें, लखीमपुर में चंद घंटों में समझौता कैसे हुआ?

मुजफ्फरनगर। चन्द्रमोहन महाराज को गुण्डा और हत्यारा बताये जाने को लेकर हिन्द मजदूर किसान समिति के प्रवक्ता अमित मोलाहेडी का कहना है कि जनता सब जानती है कौन किससे मिला हुआ है। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत ने किस प्रकार से लखीमपुर खीरी कांड में सरकार का प्राइवेट आदमी बनकर चंद घंटों में समझौता कराया, ये सभी ने देखा है।

अमित मौलाहेडी ने कहा कि चन्द्रमोहन महाराज ने सिंघू बॉर्डर पर एक दलित युवक की जोकि गरीब है और मजदूर है की हत्या का मामला उठाकर मजदूरों और गरीबों के लिए न्याय मांगा है। इसमें किसान नेताओं को साथ आना चाहिए। उन्होंने धर्मेन्द्र मलिक के ट्वीट पर रोष जताते हुए कहा कि जनता जवाब देना जानती है। उन्होंने कहा कि लखीमपुर खीरी कांड के बाद प्रियंका गांधी सहित सभी नेताओं को रोक दिया गया था। किसी को जाने नहीं दिया गया, लेकिन भाकियू नेता चौ. राकेश टिकैत दो घंटे में ही बिना किसी रूकावट के लखीमपुर पहुंच जाते हैं, वहां पर अफसरों से मिलकर वह चंद घंटों में ही इस मामले में समझौता भी करा देते हैं? ये साबित करता है कि यही लोग असल में सरकार के प्राइवेट आदमी हैं, जो किसानों को मजदूरों को धोखा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यही लोग भाजपा से मिले हुए हैं, राकेश टिकैत जनता के बीच आकर बतायें कि आखिरकार लखीमपुर खीरी में सरकार से समझौता क्यों किया गया?

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