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पहले कोरोना ने किया बेदम, अब नियमों का सितम

सरकार और सीएक्यूएम के आदेशों की चक्की में पिस रहा उद्योग और व्यापार, जिले में छोटे उद्योगों को बंदी नोटिस के बाद उद्यमियों के सब्र का टूट रहा बांध, मंत्रियों और सीएम तक अपनी बात पहुंचाकर भी नहीं मिला उद्योगों को कोई लाभ

पहले कोरोना ने किया बेदम, अब नियमों का सितम
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मुजफ्फरनगर। जनपद का एनसीआर में शामिल होना और कुछ नये नियमों के कारण यहां के व्यापारियों और उद्योगपतियों को अब रोजी रोटी के भी संकट से जूझना पड़ रहा है। अभी सरकार के आदेशों का पालन कराने के लिए मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण के द्वारा जनपद के 90 बैंकट हॉल को नोटिस दिए जाने और एक भाजपा नेता का बैंकट हॉल सील करने की कार्यवाही लोगों की जुबां पर कहानी बनी हुई कि अब सीएक्यूएम के आदेशों का हवाला देते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा जनपद के छोटे और मध्यम 187 उद्योगों को नोटिस देकर कई उद्योगों को मानकों और नियमों की अनदेखी करने का दोषी पाते हुए उनको वायु प्रदूषण रोकने के नाम पर बंद कर दिया गया है। ऐसे में कई महीनों से इस आदेश को वापस लेने और राहत देने की उठ रही उद्योग संगठनों तथा उद्यमियों को मांग को भी नजरअंदाज कर दिया गया। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं। पहला सवाल यही है कि पहले दो साल की कोरोना महामारी ने कारोबार को बेदम कर दिया और अब नियमों के नाम पर सरकारी सितम के चलते रोजी रोटी खतरे में पड़ गयी है।

आज जनपद में वायु प्रदूषण फैलाने और इसकी रोकथाम के लिए कोई उचित प्रबंधन नहीं करने तथा नियमों की अनदेखी के नाम पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा 187 उद्योगों को नोटिस भेजकर सुधार नहीं करने पर बंदी की कार्यवाही की चेतावनी दिये जाने के बाद हलचल मची हुई है। मुजफ्फरनगर में संचालित इन 187 वायु प्रदूषणकारी इकाइयों को नोटिस जारी किया गया है। नोटिस के माध्यम से इन इकाइयों को चेतावनी दी गई कि यदि इनमें से कोई भी बायो ईंधन अथवा गैस के अलावा अन्य ईंधन से चलता पाया गया तो उसकी बंदी की कार्रवाई प्रारंभ कर दी जाएगी। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी अंकित सिंह ने बताया कि जनपद मुजफ्फरनगर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आच्छादित है। उन्होंने बताया कि यह कार्यवाही वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ;सीएक्यूएमद्ध की और से एक नवंबर से प्रभावी हुए संशोधित ग्रेडेड रेस्पोन्स एक्शन प्लान के तहत की गई है। दिल्ली की एक्यूआई के आधार पर एनजीटी की और से वायु प्रदूषण नियंत्रित किये जाने के लिए ग्रेप स्टेज-4 की कार्रवाई करने के लिए संबंधित विभागों को निर्देशित किया गया था। आयोग की और से 3 नवंबर को जारी पत्र का अक्षरशः अनुपालन किए जाने के लिए आदेशित किया गया है। अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए गठित फ्लाइंग स्क्वायड और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्र में निरंतर भ्रमण कर रहा है। निरीक्षण में दोषी पाए जाने वाले उद्योगों के विरु( नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी अंकित सिंह ने बताया कि एनजीटी की और से ऐसे उद्योग जो ईंधन के रूप में एलपीजी, सीएनजी, पीएनजी, कोयला आधारित टरबाइन एवं बायोमास आदि अनुमन्य ईंधन का प्रयोग कर रहे हैं, उनके संचालन की अनुमति प्रदान की गई है। केवल ऐसे उद्योग ही कार्रवाई के दायरे से बाहर रहेंगे।

ऐसे में अब उद्योगों पर तालाबंदी का संकट मंडरा चुका है। कई उद्योग बंद हो चुके हैं और कई पर ताला लगाने को टीम घूम रही हैं। इस स्थिति को देखकर बात करें तो कोरोना काल में आई महामारी के कारण रोजगार ठप रहा। कोरोना से पार पाई गई तो रोजगार पटरी पर आने की उम्मीद जगी और लेकिन सरकारी नियमों और एनसीआर की पाबंदियों ने अब उद्योग और व्यापार की सांस उखाड़कर रख दी हैं। प्रदेश सरकार द्वारा विकास शुक्ल में की गयी वृ(ि और नये नियमों के कारण बैंकट हॉल मालिकों में एमडीए के सचिव के नोटिसों को लेकर हड़कम्प है और शादी के सीजन पर उन पर ताला लटकने का खतरा बन गया है, अब छोटे उद्योगों का पहिया भी घूमना बंद कर रहा है तो रोजगार की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। भाजपा राज में ये नये आदेश उद्यमियों की नींद उड़ा रहे हैं, व्यापारी इस बात से परेशान हैं कि कोरोना में बेदम उनके कारोबार में अब संास आई, लेकिन इसको भी सरकारी नियमों की ऑक्सीजन बेदम करने पर तुली है।

भाजपा नेताओं, मंत्रियों को सुनाया दुखड़ा, नहीं हुआ समाधानः अब अगर देखा जाये तो सीएक्यूएम का आदेश जारी होने पर कार्यवाही की बात नई नहीं है। इसके लिए पूर्व में आये नोटिस के बाद से ही उद्योग संगठनों ने आंदोलन का रास्ता अपनाया हुआ था। आईआईए की ओर से सीएक्यूएम के पत्र से बने हालातों को लेकर 15 जून को मेरठ रोड पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अंकित सिंह के साथ बैठक कर समस्या रखी और ज्ञापन दिया था, जिसमें जनपद में बायोमास व सीएनजी की उपलब्धता नहीं होने के कारण इस नियम में छूट देने की मांग की गयी थी। इसके बाद 23 सितम्बर को आईआईए ने प्रेस वार्ता कर उद्योगों की समस्या को रखा, 24 सितम्बर को केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान व राज्य सरकार के मंत्री कपिल देव से मिलकर उद्यमियों ने ज्ञापन सौंपे थे। 27 को वेस्ट यूपी के उद्यमियों ने मेरठ में प्रदर्शन किया। 28 सितम्बर को मुजफ्फरनगर आये भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष को उद्यमियों ने ज्ञापन दिया, तो इसी दिन शाहजहांपुर में आईआईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने मंत्री कपिल देव को ज्ञापन दिया, उसी दिन लखनऊ में सीएम योगी के साथ हुई बैठक में कपिल देव ने उद्यमियों की समस्या को उठाया था। 03 अक्टूबर को जब डिप्टी सीएम बृजेश पाठक यहां मंत्री कपिल देव के आवास पर आये थे, तो भी उद्यमियों ने उनको अपनी पीड़ा बताते हुए सीएक्यूएम के आदेशों को कुछ दिनों के लिए टालने और सीएनजी की व्यवस्था कराने की मांग की थी, लेकिन इतने लंबी फरियाद के बाद भी उद्यमियों को राहत नहीं तालाबंदी का नोटिस ही मिला है।

बैंकट हॉल मामला पड़ा ठण्डा, कल नहीं होगी बैठकः वहीं एमडीए के नोटिसों के कारण विवादों में चल रहे जिले के बैंकट हॉल के मामले में अभी कोई राहत मिलने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार वृन्दावन गार्डन सील होने के दिन मंत्री संजीव बालियान ने आश्वासन दिया था कि वह 07 नवम्बर को एमडीए और बैंकट हॉल के मालिकों की बैठक कर कोई रास्ता निकालेंगे। हालांकि वृन्दावन गार्डन से सील खुल गई थी, लेकिन अब बताया जा रहा है कि अभी तक 07 नवम्बर की मंत्री वाली मीटिंग के लिए बैंकट हाल मालिकों को कोई जानकारी नहीं दी गई है। एमडीए सूत्रों ने भी कल की मीटिंग की कोई जानकारी नहीं होने की बात कही है।

उद्योग वोट बैंक नहीं, इसलिए दब रही आवाज, अब लीगल लड़ाई लड़ेंगेः विपुल भटनागर

आईआईए मुजफ्फरनगर चैप्टर के अध्यक्ष विपुल भटनागर ने 187 उद्योगों को नोटिस भेजने के मामले में कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि हम इस कार्यवाही के खिलाफ लीगल कदम उठाने जा रहे हैं। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि एनसीआर के उद्योग ही प्रदूषण फैला रहे हैं और दूसरे क्षेत्रों में प्रदूषण नजर नहीं आ रहा है।


विपुल भटनागर ने मंत्रियों और सरकार तक अपनी बात पहंुचाने पर भी राहत नहीं मिलने पर कहा कि उद्योग वोट बैंक नहीं है, इसलिए कभी भी सरकारों की प्राथमिकता में नहीं रहते हैं। दिल्ली में जो लोग वायु प्रदूषण के नाम पर ये आदेश जारी कर रहे हैं, वह एसी में जीवन जीने वाले हैं, उनको जमीन हकीकत नहीं पता है। प्रदूषण के कारण उद्योगों से पहले कई कारण हैं, जिनको तलाशना नहीं चाहता विभाग, शहर में ही रोज पालिका 180 टन कूड़ा निकाल रही है, जिसको शोधित करने का काम नहीं हो रहा। गंदा पानी शोधन के लिए एसटीपी नहीं चल रहा। सड़कों पर धूल है, पराली जल रही है। असली कारणों पर रिसर्च होनी चाहिए। बस इनको उद्योग ही नजर आते हैं। उन्होंने इस आदेश को बेवकूफी भरा बताते हुए कहा कि जिले में 8-10 घंटे चलने वाले छोटे उद्योगों को नोटिस दिये गये, जिनमें से कुछ को बंद किया गया। जबकि 24 घंटे चलने वाले शुगर, पेपर और अन्य टरबाइन बेस उद्योगों को नोटिस नहीं दिये गये। बायोमास व सीएनजी कहां से उद्यमी लायेंगे, जब यहां पर उपलब्ध ही नहीं है। सड़कों पर जनरेटर चलते इनको नजर नहीं आते। उन्होंने कहा कि सरकार का इसमें कोई दोष नहीं है, क्योंकि यह न्यायिक शक्ति वाली आदेश है।

बेगराजपुर में इंगट फैक्ट्री को किया सील

मुजफ्फरनगर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा उद्योगों के खिलाफ वायु प्रदूषण फैलाने पर लगातार कार्यवाही कर रहा है। टीम ने बेगराजपुर में चल रही एक इंगट फैक्ट्री पर ताला लगा दिया है।


प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय सूत्रों के अनुसार जनपद मुजफ्फरनगर एनसीआर क्षेत्र के अंतर्गत अंतर्गत आच्छादित है और वर्तमान में जनपद में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू है। इसमें सीएक्युम द्वारा गठित टीम द्वारा उद्योग मैसर्स आदि इंटरप्राइजेज, बेगराजपुर इंडस्ट्रियल एरिया, मुजफ्फरनगर का निरीक्षण क्षेत्रीय कार्यालय के अफसरों के साथ किया गया। निरीक्षण के समय वायु प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्थाएं संचालित ना पाई जाने के कारण उद्योग के विरु( सीएक्यूएम द्वारा बंदी आदेश जारी किया गया। जिसके अनुपालन में आज उत्तर प्रदेश प्रदूषण बोर्ड द्वारा उद्योग की उत्पादन प्रक्रिया को सील कर दिया गया। उद्योग में लेड स्क्रैप की स्मेल्टिंग कर इंगट्स का उत्पादन किया जाता है।

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