पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की बॉडी अस्पताल से फैंकी जा रही थी बाहर
सपा महासचिव सांसद हरेन्द्र मलिक ने आरएमएल के चिकित्सकों पर लगाया आरोप, कहा-परंपराओं का हुआ अपमान

मुजफ्फरनगर। दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। विपक्ष पहले ही उनके अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान न मिलने के कारण सरकार और भाजपा पर आरोप लगा रहा है, ऐसे में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं मुजफ्फरनगर से सांसद हरेंद्र मलिक ने आरोप लगाया कि अस्पताल के डॉक्टर पूर्व राज्यपाल की डेड बॉडी को तुरंत बाहर ले जाने पर अड़े थे और बेटे के आने तक इंतज़ार करने को तैयार नहीं थे। यहां तक की बॉडी को बाहर फैंकने तक के लिए कह दिया गया था। सांसद ने नाराजगी जताते हुए इसे परंपराओं का अपमान बताया।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का 5 अगस्त (मंगलवार) को लंबी बीमारी के बाद आरएमएल अस्पताल में निधन हो गया। उन्होंने दोपहर 1रू12 बजे अंतिम सांस ली थी। वे किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे और 11 मई को हालत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती किए गए थे। सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर, बिहार, गोवा और मेघालय के राज्यपाल रहे। उनके कार्यकाल में 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था।
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट पर गंभीर आरोप लगाते हुए मुजफ्फरनगर से समाजवादी पार्टी के सांसद हरेंद्र मलिक ने कहा कि 5 अगस्त को पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निधन के बाद डॉक्टर उनकी डेड बॉडी को अस्पताल के कमरे से हटाकर बाहर रखने की बात कह रहे थे। हरेंद्र मलिक के अनुसार, उन्होंने और कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने अस्पताल प्रशासन से अनुरोध किया कि बेटे के आने तक पार्थिव शरीर को वहीं रहने दिया जाए, लेकिन डॉक्टर मानने को तैयार नहीं थे। प्रधानमंत्री का शोक संदेश आने के बाद ही शव को थोड़ी देर के लिए रोकने का निर्णय लिया गया।
सपा सांसद ने कहा कि सरकार ने परंपराओं को तोड़ा है। हिंदुस्तान में परंपरा रही है कि मौत के बाद सारी दुश्मनियां भुला दी जाती हैं और केवल अच्छाइयां याद रखी जाती हैं, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। हरेंद्र मलिक ने कहा कि निधन की खबर मिलते ही मैं दोपहर करीब 3 बजे आरएमएल अस्पताल पहुंचा। वहां भाजपा नेता नरेश सिरोही, आरएलडी नेता और बागपत सांसद राजकुमार सांगवान, किसान यूनियन के युद्धवीर सिंह और सांसद दीपेंद्र हुड्डा पहले से मौजूद थे। डॉक्टर शव को हटाने पर अड़े थे। यहां तक कि अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट ने कर्मचारियों से कहा कि उनकी बॉडी को उठाकर बाहर फेंक दो। यह बेहद अपमानजनक था। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि यह देश हैकृखाता ना बही, जो यह कर दे वही सही। आज उनके साथ हुआ है, कल किसी और के साथ भी ऐसा ही कुछ हो सकता है। सपा सांसद के द्वारा मीडिया को दिये गये इस बयान के बाद पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निधन के बाद सरकार पर उठ रहे सवालों के बीच एक नया विवाद छिड़ गया है।