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आईआईए ने चेताया-जिद न छोड़ी तो दस लाख श्रमिकों से छिन जायेगा रोजगार

उद्योगों पर कार्यवाही से आईआईए में रोष, मुजफ्फरनगर जनपद के उद्यमियों ने प्रशासन पर लगाया उत्पीड़न करने का आरोप, कहा-बिना नोटिस ही औद्योगिक इकाईयों को बंद कर जुर्माना लगाया जाना गलत

आईआईए ने चेताया-जिद न छोड़ी तो दस लाख श्रमिकों से छिन जायेगा रोजगार
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मुज़फ़्फ़रनगर। आज आईआईए मुज़फ़्फ़रनगर द्वारा प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया जिसमें IIA मुज़फ़्फ़रनगर के चेयरमैन विपुल भटनागर ने बताया कि एन0सी0आर0 क्षेत्र में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबन्धन आयोग (CAQM) द्वारा विगत दो माह में अनेक तुकलगी निर्देश जारी किये हैं, जिसके अन्तर्गत 1 अक्टूबर 2022 से एन0सी0आर0 क्षेत्र में Air Quality Index-300 से अधिक होने पर डीजल जेनरेटिंग सेट्स के चलाने पर प्रतिबन्ध लागू हो जाएगें चाहे वो 5 kva का हो और ये आदेश व्यवसाय व घरेलू पर भी लागू है। इस सम्बन्ध में उद्योगों की कुछ व्यवहारिक कठिनाईयाँ हैं, जिसके लिये इण्डियन इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन (आई0आई0ए0) विगत समय से वायु गुणवत्ता प्रबन्धन आयोग (CAQM) के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करता आ रहा है।


आई0आई0ए0 चेयरमैन विपुल भटनागर ने कहा कि सीएक्यूएम को दिये गये प्रत्यावेदन में उद्योगों की मुख्य रूप से सीएक्यूएम के निर्देशानुसार Air Quality Index 300 से अधिक होने पर एनसीआर क्षेत्र में केवल पीएनजी आधारित जेनरेटर चलाये जा सकते है जबकि पीएनजी की उपलब्धता अभी कुछ ही क्षेत्रो में है। सामान्यतः अधिकत्म सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों में 5 केवीए से लेकर 85 केवीए तक के डीजी सेट उपयोग हो रहे हैं, जिनको पीएनजी में परिवर्तित करने की कोई तकनीकी उपलब्ध नहीं है। अतः जहाँ पीएनजी उपलब्ध भी है, वहाँ के लघु उद्योगों को पीएनजी में जनरेटर सेट का बदलना सम्भव नही है। यह भी उल्लेखनीय है कि जनरेटर सेट स्टेन्डवाई के रूप में तभी उपयोग होते है जब विभागीय बिजली सप्लाई बाधित होती है।


जनरेटर सेट को पीएनजी में परिवर्तित करने के लिये लगने वाली Retrofitted Emission Control Device (RECD) आयतित उपकरण है, जिसकी तकनीक अभी तक केन्द्रीय प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड द्वारा प्रमाणित नही की गयी है। जनरेटर सेट को पीएनजी में परिवर्तित करने की लागत बहुत अधिक है तथा एनसीआर में पीएनजी की कीमतें भी पारम्परिक ईधन की तुलना में बहुत अधिक है, जिससे उद्योगों के उत्पादों की लागत अधिक होने से उन्हे प्रतिस्पर्धा में बने रहना बहुत कठिन होगा। एनसीआर के अनेक क्षेत्रों में आये दिन विद्युत कटौती होती रहती है जिसके कारण यदि जेनरटेर सेट चलाना प्रतिबन्धित हो जाएगा, तो उद्योगों को बन्द ही रखना पड़ेगा जिससे उन्हे बहुत हानि होगी।

लोकडाउन में चलते रहे उद्योग और घट गया प्रदूषणः विपुल भटनागर


पवन गोयल ने कहा कि उपरोक्त समस्याओं के अतिरिक्त सीएक्यूएम की फलाईग स्क्वाड एवं उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड द्वारा जारी किये जाने वाले नोटिसों से सम्बन्धित भी उद्योगों की कुछ परेशानियाँ हैं, जिसमें से मुख्य रूप से औद्योगिक इकाईयों को बिना कारण बताओ नोटिस दिये तत्काल प्रभाव से बन्द करने के आदेश और अर्थदण्ड लगा दिया जाता है। अप्रदूषणकारी उद्योगों जिनको अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने की आवश्यकता नही है, उन उद्योगों में भी निरीक्षण कर उन्हें प्रताड़ित करने की सूचना आई0आई0ए0 को प्राप्त हुई है। यदि अनापत्ति प्रमाण पत्र का नवीनीकरण करने में थोड़ी बहुत देर हो जाती है, तब भी उद्योगो को बन्द कर दिया जाता है तथा भारी पर्यावरण क्षतिपूर्ति प्रश्मन शुल्क आरोपित कर दिया जाता है। विपुल भटनागर कहा कि अधिकारियों द्वारा आमजन me ये धारणा बना दी है कि सिर्फ़ उद्योग ही प्रदूषण करता है जब कि लॉक्डाउन में सब उद्योग चल रहे थे तब आसमान साफ़ दिखता था उद्योग का बहुत कम प्रतिशत योगदान है और इसके नाम पर सर्वाधिक उत्पीड़न उद्योग का है।

अश्वनी खंडेलवाल ने समस्याओं के समाधान के लिए उठाई ये मांग


1. दिल्ली एवं एनसीआर में जब तक GRAP लागू है, तब तक उद्योगों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सप्लाई करवाने की कृपा करें, जिससे जेनरेटर सेट का उपयोग कम से कम करना पड़े और वायु प्रदूषण नियंत्रण में रहे।

2. हमारी सरकार आज उद्योगों को 24 घंटे निर्बाध विद्युत आपूर्ति देने की बात करती है, अगर बिजली कटौती होती है तो उद्योगों को जेनरेटर मजबूरी में चलाना पड़ता है, जबकि जेनरेटर की यूनिट ग्रीड की यूनिट से 3 से 4 गुणा महँगी पड़ती है, अगर जेनरेटर नहीं चलाया तो उत्पाद सहित मशीन खराब हो जाएगी। अगर ऐसे में बिना पूर्व सूचना के विद्युत आपूर्ति बाधित होती है, तो उस विद्युत कम्पनी के अधिकारी की भी जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए।

3. Air Quality Index 300 से ऊपर जाने पर उद्योगों को अपने जेनरेटर डिस्कनेक्ट करने और इन्डेक्स 300 से नीचे आने पर कनेक्ट करने की अनुमति प्रदान की जाये।

4. उद्योगों में किसी भी विभाग द्वारा निरीक्षण के समय स्थानीय औद्योगिक संघो का एक प्रतिनिधि अवश्य शामिल किया जाये, जिससे उद्यमियों का अनावश्यक शोषण रोका जा सके।

5. किसी भी उद्योग को बन्द करने का नोटिस देने से पूर्व एक सुनवाई का मौका व यथा उचित समय जरूर दिया जाना चाहिए, इससे Law of Natural Justice के सिद्वान्त का भी अनुपालन होगा।

6. Air Quality Index स्थानीय स्तर पर भी मोनिटर किया जाये, जिससे घनी आबादी में विद्यमान Air Quality Index के आधार पर स्थानीय उद्योग बन्द न हो।

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