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रोनी हरजीपुर प्रकरण में गिरी पहली गाज, लेखपाल मनीष निलम्बित

दस घंटे तक फंसे रहे एडीएम प्रशासन और पुलिस अफसर, डीएम-एसएसपी के जाने पर भी मौके पर नहीं आये थे लेखपाल, सरकारी भूमि पर 14 फीट ऊंची कमांडर धीर सिंह की प्रतिमा लगाने को लेकर हुए था भयंकर विवाद, अनुशासनहीनता और संवेदनहीनता के आरोप में कार्यवाही।

रोनी हरजीपुर प्रकरण में गिरी पहली गाज, लेखपाल मनीष निलम्बित
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मुजफ्फरनगर। योगी सरकार में कानून के राज के बीच महाराजा पृथ्वीराज चैहान के कमांडर राजा धीर सिंह पुण्डीर की विशाल मूर्ति गांव रोनी हरजीपुर में सरकारी भूमि पर लगाये जाने के प्रयास के बीच जनपद में बनी कानून व्यवस्था की गंभीर चुनौती से अपनी सूझबूझ के कारण निपटने में सफल रहे पुलिस प्रशासन ने अब इस तरह के प्रकरणों की भविष्य में पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने शुरू किये हैं। ग्रामीणों के जोश को पुलिस प्रशासन के अफसरों ने अपने होश के साथ ठण्डा तो कर दिया, लेकिन अपने पदीय दायित्वों को भूलकर मदहोश रहने वाले सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के होश ठिकाने लगाने भी शुरू कर दिये हैं। ऐसे में गांव रोनी हरजीपुर के इस गंभीर प्रकरण में डीएम के आदेश के बाद हल्का लेखपाल को निलम्बित कर दिया गया है। इसके साथ ही उनके खिलाफ विभागीय जांच भी बैठा दी गयी है। अन्य लोगों की जवाबदेही सुनिश्चित करने और प्रशासन को इसकी कानों कान खबर तक नहीं लगाने के कारणों को पता करने के लिए डीएम ने उच्च स्तरीय जांच भी बैठा दी है।

बता दें कि मुजफ्फरनगर जनपद के चरथावल विकास खंड के अन्तर्गत आने वाले राजपूत बाहुल्य गांव रोनी हरजीपुर में बिना अनुमति के सरकारी स्कूल की भूमि पर महाराजा पृथ्वीराज चैहान के कमांडर रहे राजा धीर सिंह पुंडीर की प्रतिमा गत शुक्रवार को लगा दी गई। इसकी जानकारी मिलने पर पुलिस प्रशासन के अफसर वहां पहुंचे और सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा करने के मामले में कार्यवाही शुरू करते हुए मूर्ति हटवाने का प्रयास किया तो हंगामा खड़ा हो गया। रोनी हरजीपुर के ग्रामीणों के साथ ही आसपास के गांवों मंगनपुर, नसीरपुर, बिरालसी, दूधली, बलवाखेड़ी से सैंकड़ों की संख्या में राजपूत समाज के लोग एकत्र हो गये और पुलिस के सामने डट गये। मामला बिगड़ने पर एडीएम प्रशासन नरेन्द्र बहादुर सिंह, एसपी देहात अतुल श्रीवास्तव, एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत फोर्स के साथ पहुंचे। बात नहीं बनी, वहीं राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष ठाकुर पूरण सिंह, विहिप बजरंग दल के नेता अंकुर राणा बघरा आश्रम के संस्थापक स्वामी यशवीर महाराज सहित कई हिन्दूवादी संगठनों के नेता भी वहां पहुंच गये थे। मामला बिगड़ता देखकर रात दस बजे डीएम अरविन्द मल्लप्पा बंगारी और एसएसपी संजीव सुमन भी मौके पर पहुंचे और एसएसपी के ओजस्वी भाषण के बाद ग्रामीण बिना अनुमति के प्रतिमा लगवाने की अपनी गलती को मान गए और फोर्स की मौजूदगी में देर रात प्रतिमा को सरकारी स्कूल से हटवाकर रोनी हरजीपुर के प्रधान विनोद सिंह पुण्डीर के संरक्षण में रखवा दी गयी थी। करीब दस घंटे तक गांव में बड़ा हंगामा चला। सोशल मीडिया पर पोस्ट होने के कारण पूरे जिले और प्रदेश में खबर फैल गई थी। कानून व्यवस्था को गंभीर चुनौती पेश आने के कारण इस प्रकरण पर सरकार और शासन भी नजर रखे हुए था।

इतने गंभीर प्रकरण में जहां डीएम और एसएसपी जैसे अफसरों की नींद उड़ी हुई, वहीं क्षेत्रीय लेखपाल चैन की बंसी बजा रहा था, यह हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उनके खिलाफ हुई कार्यवाही में उनका आचरण ऐसा ही पाया गया है। रोनी हरजीपुर प्रकरण को ठण्डा करने के बाद अब जिला प्रशासन ऐसे प्रकरण की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सख्त नजरिया अपना रहा है। इसमें सबसे पहले क्षेत्रीय लेखपाल चै. मनीष कुमार पर कार्यवाही हुई है। एसडीए सदर परमानंद झा ने रोनी हरजीपुर के हल्का लेखपाल मनीष कुमार को गंभीर लापरवाही बरतने के आरोप में निलम्बित कर दिया है। इसके साथ ही एसडीएम सदर ने उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही भी सुनिश्चित करते हुए नायब तहसीलदार हरेन्द्र पाल सिंह को जांच सौंपते हुए आरोप पत्र देने के लिए निर्देशित किया गया है। निलम्बन अवधि में लेखपाल मनीष कुमार को राजस्व निरीक्षक कार्यालय से सम्ब( किया गया है। एसडीएम सदर ने बताया कि डीएम के निर्देश पर कार्यवाही की गई है। इसमें डीएम ने उच्च स्तरीय जांच समिति भी बनाई है।

तहसीलदार सदर ने नहीं दी रिपोर्ट, सीधे हुई कार्यवाही

मुजफ्फरनगर। रोनी हरजीपुर के प्रकरण में लेखपाल पर कार्यवाही को लेकर एसडीएम सदर परमानंद झा और तहसीलदार सदर अभिषेक शाही के बीच भी ठन गयी। प्रकरण में एसडीएम सदर को डीएम ने जांच कर लेखपाल के विरु( कार्यवाही करने के निर्देश दिये, तो इसको लेकर एसडीएम सदर ने तहसीलदार सदर को रिपोर्ट देने के लिए निर्देशित किया था, लेकिन गंभीर प्रकरण में तहसीलदार सदर पर रिपोर्ट नहीं देने का आरोप है। मामला यूं है कि जिस दिन मूर्ति लगाने की जानकारी पर जिला मुख्यालय से बड़े अधिकारी गांव पहुंचे तो उस दौरान क्षेत्रीय लेखपाल को मौके पर बुलाया गया। एसडीएम सदर ने भी कई फोन किये और अन्य अधिकारियों ने भी लेखपाल मनीष को तत्काल मौके पर पहुंचने के लिए कहा था, लेकिन रात को डीएम एसएसपी भी पहुंच चुके थे, पर मौके से लेखपाल मनीष नदारद थे। इसी के चलते उन पर आदेशों की अवहेलना के आरोप लगे हैं। उनको सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा कराने के मामले में दायित्वों का निर्वहन नहीं करने पर अनुशासनहीता और संवेदनहीनता का आरोपी बनाया गया है। इसके साथ ही उन पर आदेशों की अवहेलना करने का भी दोष है। सूत्रों का कहना है कि तहसीलदार सदर अभिषेक शाही ने लेखपाल को बचाने का प्रयास किया, यही कारण रहा कि उन्होंने रिपोर्ट नहीं दी। इसके बाद एसडीएम सदर ने सीधे ही लेखपाल को निलम्बित करने का आदेश जारी कर दिया।

बदजुबानी पर लेखपाल सोनिका, लापता लेखपाल भी सस्पेंड

मुजफ्फरनगर। जिले के एक मंत्री के गांव की निवासी महिला लेखपाल और ड्यूटी से लगातार नदारद चल रहे दूसरे लेखपाल को भी निलम्बित किया गया है। सूत्रों के अनुसार एसडीएम सदर ने गांव ढिंढावली की लेखपाल सोनिका कुमारी को गंभीर आरोप में निलम्बित किया है। सोनिका जिले के एक मंत्री के गांव की रहने वाली हैं। उनके खिलाफ आरोप है कि उनके स्थान पर उनके पिता को ड्यूटी करते हुए पकड़ा गया है। इसके साथ ही सोनिका पर अपने अधिकारियों के साथ गंभीर स्तर पर अभद्रता करने के भी आरोप हैं। वहीं दूसरी ओर करीब दो साल से ड्यूटी से बिना अनुमति के गायब रहने वाले लेखपाल गौरव कुमार को भी एसडीएम ने निलम्बित किया है। गौरव कुमार को ड्यूटी पर आने के लिए कई बार पत्राचार के माध्यम से अवगत कराया गया, लेकिन वो नहीं लौटे तो एसडीएम ने निलम्बन आदेश जारी कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि कई अन्य लेखपालों के खिलाफ भी एसडीएम द्वारा जांच कराई जा रही है। भविष्य में कुछ और लेखपालों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।

अब शासन से अनुमति लाने की तैयारी, मूर्ति जरूर लगेगी

मुजफ्फरनगर। गांव रोनी हरजीपुर में राजपूत समाज के लोग अब शासन से मूर्ति लगाने की अनुमति लाने के प्रयासों में जुटे हुए हैं। इसके लिए राज्य सरकार में राजपूत समाज के जनप्रतिनिधियों का भी समर्थन जुटाया जा रहा है। फिलहाल प्रतिमा गांव के प्रधान विनोद पुण्डीर के पास सुरक्षित रखी गयी है। राजपूत समाज ने अपनी निजी भूमि पर प्रतिमा लगाने का ऐलान किया है, लेकिन इसके लिए भी नियमानुसार अनुमति की आवश्यकता होगी। वहीं भाकियू के युवा मंडल अध्यक्ष व जिला पंचायत सदस्य पति विकास शर्मा ने कहा कि गांव में धीर सिंह पुण्डीर का स्मारक अवश्य बनेगा। उन्होंने कहा कि महापुरुषों की मूर्ति लगनी चाहिए। महापुरूषों को सम्मान मिलना चाहिए। नई पीढी को सीख देने के लिए स्मारक बनने आवश्यक हैं, वरना नई पीढ़ी अपना गौरवशाली इतिहास ही भूल जायेगी। महापुरूषों का जीवन और संघर्ष प्ररेणादायी है। उन्होंने कहा कि हम सरकार के नियमों के अनुसार ही मूर्ति लगाने के समर्थन में हैं और इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। वहीं एडीएम ने बताया कि सरकारी जमीन पर कोई ढ़ाचा खड़ा करने के लिए शासन का पूरी तरह प्रतिबंध है। यदि निजी जमीन पर प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव आएगा तो अनुमति के लिए पत्रावली शासन को भेज देंगे। शासन से अनुमति मिलने पर प्रतिमा लगाने में प्रशासन को कोई दिक्कत नहीं है। अभी तक इसके लिए कोई आवेदन नहीं आया है।

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