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मुजफ्फरनगर...आज 17 नये गांवों तक पहुंचा लम्पी वायरस

मुजफ्फरनगर जनपद में लम्पी स्किन डिजीज घातक और प्रभावी हो रहा है। अभी तक जनपद में करीब दो दर्जन ग्रसित पशुओं की मौत हो चुकी है, आज भी 4 पशुओं को यह वायरस लील गया, जबकि 127 नए पशुओं को इसने अपनी चपेट में लिया है।

मुजफ्फरनगर...आज 17 नये गांवों तक पहुंचा लम्पी वायरस
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मुजफ्फरनगर। जनपद मुजफ्फरनगर में अब गौवंशीय पशुओं के बीच फैल रहे लम्पी वायरस ने अपनी रफ्तार तेज कर दी है। इस सप्ताह लगातार पशुओं की मौत सामने आ रही है और यहां पर लम्पी स्किन डिजीज ;एलएसडीद्ध वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। तीन दिनों से दर्जनों गांव इसकी चपेट में आ रहे हैं। कल जहां 16 नए गांवों में इस लम्पी वायरस की मौजूदी पाई गयी थी, तो वहीं आज 17 नए गांवों तक यह वायरस पहुंचा और 127 नए पशुओं को इस वायरस ने अपनी चपेट में लिया है। आज भी जनपद में लम्पी वायरस से ग्रसित 04 गोवंशीय पशुओं की मौत हुई है। अब तक करीब 25 पशुओं की मौत इस वायरस के प्रभाव के कारण हो चुकी है।

प्रभारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. दिनेश कुमार ने शुक्रवार को जनपद में लम्पी स्किन डिजीज के प्रभाव के आंकड़े जारी करते हुए बताया कि जनपद के 21 नये ग्रामों में शुक्रवार को एलएसडी बीमारी से ग्रसित 127 नये पशु चिन्हित किये गये। पूर्व से ग्रसित पशुओं में से 566 पशु उपचार के बाद स्वस्थ हो गये हैं तथा आज ग्रसित 4 गोवंशीय पशुओं की मृत्यु की सूचना प्राप्त हुई है। अब जनपद में 2133 गोवंश एलएसडी से ग्रसित हैं। यह बीमारी एक संक्रामक रोग विषाणुजनित बीमारी है, अधिकाशतः यह बीमारी गोवंशीय पशुओं में पायी जाती है, रोग का संचरण/फैलाव/प्रसार पशुओं में मक्खी, चीचडी एवं मच्छरों के काटने से होता है। इस बीमारी से प्रभावित पशुओं को बुखार होना, पूरे शरीर में जगह-जगह नोड्यूल/गांठों का उभरा हुआ दिखाई देना है। बीमारी से ग्रसित पशुओं मृत्यु दर अनुमानित 1 से 5 प्रतिशत है।

बीमारी की रोकथाम हेतु आवश्यक है कि बीमारी से ग्रसित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना, पशुओं में बीमारी को फैलाने वाले घटकों की संख्या को रोकना अर्थात् पशुओं को मक्खी, चीचडी, मच्छरों के काटने से बचाना, पशुशाला की साफ-सफाई दैनिक रूप से करना तथा डिस्इंफेक्शन जैसे-चूना आदि को स्प्रे करना, मृत पशुओं केे शव को 5-6 फीट गहरे गड्ढे में दबाया जाना आवश्यक है। उन्होंने पशु पालको से अनुरोध करते हुए कहा कि वह अपने बीमारी से ग्रसित पशुओं को स्वस्थ पशु से अलग बांधे। पशुपालकों को बीमारी के प्रति जागरूक करने हेतु जनपद के समस्त उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी व पशु चिकित्सों द्वारा ग्रामों में भ्रमण कर ग्राम प्रधानों के माध्यम से पशुपालकों को बीमारी के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी जा रही है।

लम्पी जूनोटिक नहीं, मनुष्य में नहीं फैलेगा रोग

पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है कि बीमार पशु के दूध को उबालकर पीने या बीमार पशु के सम्पर्क में आने से मनुष्य में रोग फैलने की कोई आशंका नहीं है। यह रोग जूनोटिक नहीं है, अतः यह रोग पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलता है। यह मनुष्यों का रोग नहीं है। अवांछित अफवाहों से खुद को बचायंे। जनपद के किसी भी क्षेत्र से ऐसी कोई भ्रामक सूचना प्राप्त नही हुई है कि जिसके अनुसार मनुष्यों द्वारा ग्रसित गोवंश का दूध का प्रयोग करना बन्द कर दिया गया हो। पशुपालकों तथा जनपद की समस्त जनता से अपील की जाती है कि एलएसडी बीमारी ग्रसित गोवंश के दूध उबलने के उपरान्त पूर्ण रूप से पीने योग्य शुद्ध है। इसलिए किसी भी प्रकार की भ्रामकता न फैलायी जाये।

137 गांवों और गौशालाओं में कराया डिस्इन्फैक्शन स्प्रे

समस्त उप जिलाधिकारी एवं खण्ड विकास अधिकारियों/पशु चिकित्साधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में गोआश्रय स्थलों में नियमित भ्रमण कर संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखने के निर्देश दिये गये। पशु पालक रोग के प्रकोप होने पर निकटतम सरकारी पशु चिकित्साधिकारी को सूचित करे तथा उन्ही से अपने पशुओ का उपचार कराये। जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा जनपद की समस्त गौशालओं तथा 137 ग्राम सभाओं में डिस्इन्फैक्शन स्प्रे कराया गया है। उक्त बीमारी के सम्बन्ध में सूचना आदान-प्रदान करने तथा बीमारी की सूचना उपलब्ध कराने के लिये जनपद स्तर पर कलेक्ट्रेट में स्थापित कन्ट्रोल रूम नं-9897715888, 9897749888 पर सूचित कर सकते हैं।

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