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नगरपालिका मुजफ्फरनगर पर 30 लाख का जुर्माना

मुजफ्फरनगर शहर से निकल रहे थे नालो का दूषित जल सीधे काली नदी में छोड़े जाने को लेकर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ ने नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी को भेजा नोटिस

नगरपालिका मुजफ्फरनगर पर 30 लाख का जुर्माना
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मुजफ्फरनगर। प्रदूषण नियंत्रण के मामले में एनजीटी के आदेशों का लगातार उल्लंघन करने का खामियाजा नगर पालिका परिषद को भुगतना पड़ा है। शहर के 6 प्रमुख नालों से दूषित जल सीधे काली नदी में छोड़े जाने के मामले को लेकर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ द्वारा नगर पालिका परिषद मुजफ्फरनगर के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पालिका प्रशासन पर पर्यावरण को क्षति पहुंचाने के आरोप का दोषी पाते हुए 30 लाख रुपए का अर्थदंड लगाया है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरणीय अभियंता ने नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी को नोटिस भेज कर अर्थदंड की राशि जमा कराने के आदेश दिए हैं। इससे पालिका प्रशासन में हड़कंप की स्थिति है।

शहर में न्याजूपुरा ड्रेन, शामली रोड ड्रेन, खादरवाला ड्रेन, कृष्णापुरी ड्रेन, सुजडू ड्रेन और नई बस्ती खालापार ड्रेन से पूरे शहर का गंदा पानी निकलता है। इन नालों के गंदे पानी को एसटीपी प्लांट के माध्यम से साफ कर काली नदी में डालने के आदेश एनजीटी ने बार-बार नगर पालिका को दिए है, लेकिन नगर पालिका ने एनजीटी के इन आदेशों का पालन नहीं किया है। नालों का गंदा पानी काली नदी में डाला जा रहा है। जिसे लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कड़ा रुख अपनाया है। प्रत्येक ड्रेन पर 5 लाख रुपए/प्रतिमाह पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में अर्थदंड लगाया गया है। छह नालों पर 30 लाख रुपये जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना 1 जुलाई 2020 से देय होगा। पर्यावरण अभियंता ने नगर पालिका ईओ को पत्र भेजते हुए 15 दिन के अंदर उक्त धनराशि जमा कराने के निर्देश दिए हैं। अर्थदंड किए धनराशि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के गोमती नगर लखनऊ स्थित यूनियन बैंक के खाते में जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं।

बता दें कि शहरी नालों से निकल रहे दूषित जल के शुद्धिकरण के लिए काली नदी के पास सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित है। इस एसटीपी के माध्यम से ही शहर के सभी नालों से निकल रहा दूषित जल ट्रीटमेंट के बाद काली नदी में छोड़ा जाता है, लेकिन समय-समय पर यह है एसटीपी भी विवादों में रहा है। हालांकि लगातार जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे और नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष अंजू अग्रवाल एसटीपी का निरीक्षण करते हुए सीवरेज ट्रीटमेंट की स्थिति की निगरानी करती रही है, लेकिन नगर पालिका परिषद के अवसरों की धींगा मस्ती के कारण एसटीपी पुरा नहीं चल पाता है। जिस कारण काली नदी दूषित हो रही है जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे द्वारा काली नदी को प्रदूषण से मुक्त बनाने के लिए बड़ा अभियान चलाया हुआ है। इस अभियान के लिए सेल्वा कुमारी जे को हाल ही में राष्ट्रीय अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।

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