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Muzaffarnagar.....एडीएम वित्त ने ईओ से पूछे सात सवाल

एसडी मार्केट प्रकरण में पालिका प्रशासन की भूमिका को लेकर शुरू हुई जांच में पालिका ईओ को नोटिस, जांच टीम ने ईओ से मांगी 70 साल पुरानी लीज डीड की प्रति, एडीएम ने पूछा-कितनी शासकीय भूमि दी और कितनी पर संस्था का है अब अवैध कब्जा? 40 साल पहले लीज खत्म होने पर भी पालिका प्रशासन ने कार्यवाही नहीं की, इसी को लेकर डीएम ने शुरू कराई है पालिका अफसरों व कर्मियों की साठगांठ की जांच।

Muzaffarnagar.....एडीएम वित्त ने ईओ से पूछे सात सवाल
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मुजफ्फरनगर। एसडी कॉलेज मार्किट प्रकरण में अभी तक दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन की ओर ही जिला प्रशासन के सारे कील-कांटे उठ रहे थे, लेकिन अब इस प्रकरण में नगरपालिका परिषद् के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की संभावनाओं को लेकर उठते सवालों का जवाब तलाशने के लिए भी जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह की पहल पर पालिका प्रशासन की भूमिका की जांच शुरू की जा चुकी है। डीएम द्वारा गठित तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति के अध्यक्ष होने के नाते एडीएम फाइनेंस ने पालिका के अधिशासी अधिकारी को नोटिस जारी करते हुए सात सवालों पर जवाब मांगा है। इसमें एडीएम फाइनेंस द्वारा मुख्य तौर पर करीब 70 साल पूर्व एसोसिएशन को लीज पर दी भूमि के लिए हुए अनुबंध की प्रति मांगी है। एडीएम के इस नोटिस के बाद पालिका में खासी हलचल है। इसमें पालिका के पूर्व अफसरों और कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत उजागर हो सकती है।

बता दें कि 12 मई 1952 को नगरपालिका परिषद् ;सिटी बोर्डद्ध के द्वारा दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन को शासकीय भूमि 30 वर्षों के लिए शैक्षिक कार्यों के उपयोग हेतु लीज पर दी थी। इसका वार्षिक किराया 71 रुपये तय किया गया था, जो एसोसिएशन को पालिका कोष में प्रत्येक वर्ष जमा कराया जाना था, लेकिन प्रशासनिक जांच में दिए गए तथ्यों के अनुसार न तो एसोसिएशन ने कभी यह वार्षिक लीज किराया ही पालिका में जमा कराया और न ही लीज डीड की शर्तों के अनुसार ही इस शासकीय भूमि का उपयोग शैक्षिक कार्यों के लिए किया गया है। बल्कि एसोसिएशन पर इस शासकीय भूमि पर व्यावसायिक गतिविधियां करते हुए अवैध रूप से आर्थिक लाभ प्राप्त करने और करीब 40 वर्ष पूर्व लीज खत्म होने के बावजूद शासकीय भूमि पर अपना अवैध कब्जा करने के आरोप हैं। इसमें डीएम चंद्रभूषण सिंह ने शिकायत मिलने के बाद जाच कराई तो सारे घपले की परत दर परत खुलती चली गयी। यहां इस शासकीय भूमि को लीज खत्म होने के बाद भी पालिका प्रशासन के द्वारा वापस नहीं लिये जाने को लेकर कोई भी कदम नहीं उठाया, जबकि इन चार दशकों में पालिका में कई चेयरमैन आये और चले गये तथा कई अधिकारियों का दौर चला। इसमें पालिका के इन अधिकारियों और कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत भी बनी रही है। इसी को लेकर जांच प्रारम्भ हुई है।

इसके लिए डीएम चंद्रभूषण सिंह ने प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इसमें एडीएम वित्त एवं राजस्व अरविन्द कुमार को अध्यक्ष तथा एसडीएम बुढ़ाना और वरिष्ठ कोषाधिकारी को सचिव नामित किया है। जांच समिति के अध्यक्ष एडीएम वित्त अरिवन्द कुमार मिश्रा ने मामले में जांच के लिए पालिका के अधिशासी अधिकारी को नोटिस देकर जवाब मांगा है। इस नोटिस में उन्होंने सात सवालों का जवाब मांगा है। इसमें दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन एवं नगरपालिका परिषद् के मध्य 12 मई 1952 को सम्पादित की गयी लीज की प्रति, कितनी भूमि लीज पर दी गई और कितनी भूमि पर संस्था का अवैध कब्जा है? पर जवाब मांगा है। इसके साथ ही यह भी पूछा गया है कि पालिका के द्वारा किस अधिनयिम और शासनादेश की व्यवस्था का पालन करते हुए किस नियम से लीज डीड सम्पादित की गयी? लीज किस वर्ष और दिनांक को समाप्त हुई? किस अधिनियम में अग्रिम कार्यवाही की जानी चाहिए थी? इस सम्पत्ति पर शिक्षण संस्थान के स्थान पर मार्किट किस स्तर, आदेश से बनी और इस मार्किट में बनी दुकानों के किराये तथा विक्रय से एसोसिएशन द्वारा अब तक कितनी धनराशि प्राप्त की गई, ये धनराशि किस खाते में जमा की और इसका क्या हुआ? एडीएम ने अधिशासी अधिकारी से मार्किट के लिए दुकानवार विवरण भी तलब किया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि इस शासकीय भूमि को वापस लिये जाने की कार्यवाही किन कारणों से नहीं हो सकी और लीज की समाप्ति पर नियमानुसार कार्यवाही नहीं करने के लिए कौन अधिकारी और कर्मचारी उत्तरादायी हैं, और पालिका की कितनी देय धनराशि एसोसिएशन पर बकाया है? इन सभी सवालों के जवाब भी अधिशासी अधिकारी से मांगे गये हैं।

एडीएम फाइनेंस अरविन्द कुमार मिश्र ने जिलाधिकारी द्वारा 30 दिसम्बर 2022 को जारी आदेश के हवाले से बताया कि दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने पालिका से 1952 में लीज पर मिली भूमि का अनुबंध की शर्तों के विपरीत व्यावसायिक गतिविधियांे में प्रयोग करते हुए अवैध कब्जा किया और देय धनराशि भी अदा नहीं की। जबकि यह भूमि विशेष रूप शैक्षिक कार्यों के उपयोग के लिए दी गयी थी। शर्तों का उल्लंघन करते हुए एसोसिएशन के द्वारा किये गये अवैध कब्जे और कार्य से नगरपालिका परिषद् को आर्थिक क्षति हुई है। इसमें पालिका के अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका के लिए जांच शुरू की गयी है, जिसमें ईओ को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा गया है। जवाब आने के बाद अगला कदम उठाया जायेगा।

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