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Muzaffarnagar....यूको बैंक संग धोखा, 24 लाख की चपत

मुजफ्फरनगर में फर्जी बैनामे के आधार पर बैंक से प्राप्त किया 24 लाख का कर्ज, मैनेजर ने दर्ज कराया केस, डिफाल्टर प्राॅपर्टी की नीलामी शुरू कराने पर खुला राज, चार आरोपियों के खिलाफ मुकदमा, प्राॅपर्टी की नीलामी के बाद बैनामा कराने के दौरान उजागर हुआ फर्जीवाडे का खेल।

Muzaffarnagar....यूको बैंक संग धोखा, 24 लाख की चपत
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मुजफ्फरनगर। धोखाधड़ी और फर्जीवाडे के खिलाफ अपने अपने उपभोक्ताओं को सचेत करने के लिए बैंकों के द्वारा अपने अपने स्तर से अनेक जागरुकता कार्यक्रम और प्रचार प्रसार किये जाते रहते हैं, लेकिन लोगों को ऐसे फर्जीवाडों के खिलाफ धोखेबाजों से सचेत करने वाले बैंक के साथ ही खुद बड़ी धोखाधड़ी कर ली गई है। बैंक को मकान गारंटी के तौर पर देने के बाद 24 लाख का कर्ज उठा लिया गया ओर कर्ज लेने वालों ने बैंक को एक रुपया भी वापस नहीं किया। बैंक ने जब अपनी रकम प्राप्त करने के लिए बंधक प्राॅपर्टी की नीलामी कराने के लिए कदम उठाया तो उसको इस धोखाधड़ी की जानकारी मिली। यह फर्जीवाडा यूको बैंक के साथ हुआ है। इसमें मकान का फर्जी बैनामा बैंक में रखकर मकान की गारंटी पर 24 लाख का लोन ले लिया गया। बैंक ने इस एनपीए खाते में गई रकम वापस पाने के लिए मकान की नीलामी शुरू की तो दो व्यक्तियों ने आकर असली बैनामा दिखा नीलामी रुकवा दी। धोखाधड़ी की जानकारी होने पर बैंक शाखा प्रबंधक ने कोर्ट का सहारा लेकर 4 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

प्राप्त समाचार के अनुसार यूको बैंक की प्रकाश चैक शाखा के प्रबंधक शिव अग्रवाल ने सीजेएम के आदेश पर थाना सिविल लाइन में पति-पत्नी और मां-बेटा सहित चार लोगों के विरु( धोखाधड़ी और दूसरे संगीन आरोप में मुकदमा दर्ज कराया है। बैंक के सीनियर मैनेजर शिव अग्रवाल का आरोप है कि दक्षिण सिविल लाइन निवासी प्रतीक राज अरोरा ने 2017 में एक मकान मार्गेज कर 24 लाख रुपए का लोन लिया था। उन्होंने बताया कि लोन की किस्त अदा नहीं की गई, जिसके चलते 2019 में खाता एनपीए कर दिया गया।

बैंक मैनेजर शिव अग्रवाल ने बताया कि लोन पर दिया गया रुपया ब्याज सहित अदा न करने पर 2022 में ई आॅक्शन के माध्यम से मकान की नीलामी निकाली गई थी। मकान नीलाम कर जब उसका बैनामा नीलामी छोड़ने वालों के नाम किया जाने लगा तो 2 लोगों ने आकर मकान का एग्रीमेंट अपने नाम होने की बात कही और असली बैनामा दिखाया। सत्यता की जांच करने पर पता चला कि जो बैनामा बैंक के पास रखा गया था वह फर्जी था। इसके बाद बैंक मैनेजर को समझ में आया कि फर्जी बैनामा गारंटी के तौर पर रखकर बैंक को 24 लाख रुपये की चपत लगा दी गयी है। इस फर्जीवाडे का खुलासा होने पर हड़कम्प मच गया। बैंक मैनेजर की गुहार पर सीजेएम कोर्ट ने थाना सिविल लाइन पुलिस को प्रतीक राज अरोड़ा, उसकी माता अनीता राज अरोरा निवासी दक्षिणी सिविल लाइन और सुधीर कुमार तथा उसकी पत्नी उर्मी भगत निवासीगण केशवपुरी के विरु( धोखाधड़ी और अन्य संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था, जिसके बाद थाना सिविल लाइन पुलिस ने चारों के विरु( मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। सिविल लाइन थाना प्रभारी अजय श्रोतिया का कहना है कि कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराया गया है। मामले की जांच कराई जा रही है। इस सम्बंध में बैंक से भी आरोपियों के खिलाफ दस्तावेज मांगे गये हैं।

बैनामा रुकवाने वालों पर भी मुकदमा दर्ज

मुजफ्फरनगर। यूकों बैंक के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक शिव अग्रवाल पुत्र मदन मोहन अग्रवाल निवासी शिव सदर गोविन्द गढ़ रोड उत्तराखंड द्वारा थाने में दर्ज कराई गई शिकायत में बताया गया कि मकान की नीलामी के बाद जब बैंक प्रतिनिधि तहसील में सब रजिस्ट्रार के यहां बीडर के पक्ष में बैनामा कराने गये तो वहां पहुंचे सुधीर कुमार पुत्र पे्रमचन्द व उनकी पत्नी उर्मी भगत निवासी दक्षिणी सिविल लाइन केशवपुरी ने बैंक प्रतिनिधि से मिलकर दावा किया कि सम्पत्ति का असली बैनामा उनके पास है। उनके द्वारा एक इकरारनामा भी दिखाया। जिसमें बताया गया कि मकान की मालिक अनीताराज अरोरा ने 28 अगस्त 2018 को मकान बेचने का इकरार उनके पक्ष में किया है। इस एग्रीमेंट को 2018 से 2021 तक तीन बार बढ़ाया गया है। इसके बाद बैनामा रोक दिया गया। शिव अग्रवाल ने बताया कि प्रतीक अरोरा ने अपनी माता के नाम मकान के अभिलेख और बैनामा असली बताकर बंधक रखकर 24 लाख का लोन लिया गया। पहले कुछ किश्तें दी गयी, लेकिन बाद में पैसा नहीं लौटाया गया तो दिसम्बर 2019 में ई आॅक्शन कराकर जुलाई 2022 को बीडर के पक्ष में विक्रय पत्र जारी किया गया। खुलासा होने पर बैंक ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से बैनामे की सत्यता की जांच कराई गयी तो वह फर्जी पाया गया। बैंक ने इस साजिश में सुधीर कुमार और उर्मी भगत को भी आरोपी बताते हुए मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस को नवम्बर 2022 को शिकायत दी गई थी, लेकिन कार्यवाही नहीं होने पर कोर्ट का सहारा लेकर अब आईपीसी की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गयी है। इसमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि बैंक लोन देने के लिए बंधक सम्पत्ति के बैनामे की कई तरह से जांच पहले ही कराता है, खुद पार्टी से 12 साला भी मांगा जाता है, ऐसे में बैंक के अधिकारियों ने जांच में यह सतर्कता क्यों नहीं बरती। ऐसे में बैंक भी संदिग्ध नजर आता है। इस पर शिव अग्रवाल का कहना है कि बैंक स्तर से भी जांच की जा रही है।

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