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मुजफ्फरनगर...महिला अस्पताल में 'मौत की आफत' से छाई दहशत

मुजफ्फरनगर के जिला महिला चिकित्सालय में 18 अगस्त को अचानक ही एक अंजानी आफत ने दस्तक दी और सारी व्यवस्था छिन्न भिन्न होकर रह गयी। 12 घंटे में 6 गर्भवती महिलाओं को अस्पताल से अचानक ही गंभीर अवस्था में रैफर करना पड़ा, इनमें से कई महिलाओं की मौत हो जाने से परिवारों में कोहराम है तो इस अस्तपाल में ऑपरेशन बंद कर दिये गये और अब दहशत के कारण कोई ऑपरेशन के लिए यहां पर नहीं पहंुच रहा है।

मुजफ्फरनगर...महिला अस्पताल में मौत की आफत से छाई दहशत
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मुजफ्फरनगर। जनपद के जिला महिला चिकित्सालय ने काम के बल पर यूपी में अव्वल रहने का रुतबा हासिल कर एक नई परम्परा को आगे बढ़ाया था, लेकिन आज सेवा के सहारे शिखर छूने वाला यही अस्पताल एक अंजाने 'मौत के साये' के कारण दहशत की आफत से घिरा नजर आ रहा है। जिला महिला चिकित्सालय में 18 अगस्त को अचानक ही एक अंजानी आफत ने दस्तक दी और सारी व्यवस्था छिन्न भिन्न होकर रह गयी। 12 घंटे में 6 गर्भवती महिलाओं को अस्पताल से अचानक ही गंभीर अवस्था में रैफर करना पड़ा, इनमें से कई महिलाओं की मौत हो जाने से परिवारों में कोहराम है तो इस अस्तपाल में ऑपरेशन बंद कर दिये गये और अब दहशत के कारण कोई ऑपरेशन के लिए यहां पर नहीं पहंुच रहा है।

इस अंजान आफत से महिला चिकित्सालय के चिकित्सक और स्वास्थ्य विभाग भी आश्चर्यचकित है। चार दिनों तक ऑपरेशन थियेटर को सील कर दिया गया और अस्पताल में उपचार के लिए दी जाने वाली दवाईयों को का वितरण भी रोका गया है। अस्पताल की सीएमएस व्यवस्था ठीक होने का दावा कर रही हैं, लेकिन कहीं न कहीं उनमें भी एक अजीब से आफत को लेकर एक डर बना नजर आ रहा है। उनका कहना है कि अस्पताल में किसी भी महिला की मौत नहीं हुई, हां! सीरियस कंडीशन में 6 महिलाओं को रैफर किया गया था।

सेवा और सुविधा के नाम पर कायाकल्प अवार्ड में यूपी में पहला नम्बर हासिल कर चुके जिला महिला चिकित्सालय में पिछले काफी दिनों से सेवा की व्यवस्था बदहाल नजर आ रही है। यहां पर चिकित्सकों की कमी होने के कारण पहले ही मरीजों को पूरी सेवा का लाभ पाने से वंचित रहना पड़ा है। कई वर्षों से अस्पताल में रात्रि में सिजेरियन डिलीवरी बंद है। अब यहां पर अंजान आफत ने दस्तक दी, जिसको लेकर आम लोगों के साथ ही चिकित्सकों में कहीं न कहीं एक डर नजर आ रहा है। दरअसल 18 अगस्त को यहां पर कुछ गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के लिए उनके परिजनों ने भर्ती कराया था। इनमें से कई महिलाओं की हालात अचानक बिगड़ती चली गयी और उनको अस्पताल से आनन फानन में रैफर कर दिया गया। परिजन इन महिलाओं को दूसरे अस्पतालों में लेकर गये, लेकिन वहां पर इनमें से कुछ महिलाओं ने गंभीर अवस्था के कारण दम तोड़ दिया। इसका पता चलने पर परिजन अस्पताल में आये और चिकित्सकों से मिलकर लापरवाही को लेकर रोष जताया। अचानक ही कई महिलाओं की मौत होने पर अस्पताल में भी हड़कम्प मच गया और तत्काल ही यहां पर ओटी ;ऑपरेशन थियेटरद्ध को सील करा दिया गया। आज नौ दिन बीतने पर भी अस्पताल में कोई भी सिजेरियन डिलीवरी नहीं की गयी है।


इस मामले को लेकर महिला अस्पताल की सीएमएस डा. आभा आत्रेय ने बताया कि 18 अगस्त को कुछ महिलाओं की सिजेरियन डिलीवरी होनी थी। उसी रात इनमें से तीन महिलाओं की हालत ज्यादा खराब हो गयी तो उनको रात्रि में ही रैफर कर दिया गया। इसके बाद 19 अगस्त की सुबह भी तीन महिलाओं की गंभीर अवस्था के कारण अस्पताल से रैफर किया गया। उनके अस्पताल में किसी भी महिला की मौत नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि इन महिलाओं ने भर्ती के दौरान जो जांच रिपोर्ट चिकित्सक को उपलब्ध कराई थी और जो ब्लड रिपोर्ट अस्पताल में चिकित्सक की सलाह पर कराई, उसमें काफी अंतर था। हालत ज्यादा गंभीर होने के कारण उनको रैफर किया गया।

सीएमएस का कहना है कि इसके बाद दवाईयों और ओटी में इंफेक्शन पर संदेह गया तो 19 को ओटी को सील कराकर बंद कर दिया गया और ओटी से कल्चर के सैम्पल लेकर मुजफ्फरनगर में ही प्राइवेट लैब्स को भिजवाये गये। 23 अगस्त को कल्चर जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई, जो सही पाई गयी। इसी दिन चिकित्सकों के साथ मीटिंग करते हुए ओटी को सिजेरियन डिलीवरी के लिए खोल दिया गया। उन्होंने बताया कि जिला महिला अस्पताल में उपलब्ध दवाईयों की भी सैम्पलिंग कराई गयी है। उसकी जांच रिपोर्ट का इंतजार है। सीएमएस डा. आभा ने बताया कि इस घटना के चार दिन ही ओटी खोल दी गयी है, लेकिन आज तक भी लोग ऑपरेशन के लिए यहां पर नहीं आ पा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने कहा कि हो सकता है कि लोगों में कोई अंजाना भय बना हुआ हो, हम लोगों में हर प्रकार के भ्रम और डर को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। अस्पताल की ओटी पूरी तरह से सुरक्षित है।

हिंदू महासभा ने किया सीएमओ का घेराव, जांच की मांग

मुजफ्फरनगर के जिला महिला चिकित्सालय में बड़ी लापरवाही की बात उठाते हुए अखिल भार हिंदू महासभा के प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एमएस फौजदार से उनके कार्यालय में जाकर मुलाकात की। महासभा ने आरोप लगाया कि महिला अस्पताल के चिकित्सकों की गंभीर लापरवाही के कारण एक ही दिन में प्रसव के दौरान कई महिलाओं की मौत हुई है।


हिंदू महासभा के पदाधिकारियों ने सीएमओ को बताया कि 18 अगस्त को महिला अस्पताल में 5-6 गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन ऑपरेशन के लिए चयन किया गया था। इसके बाद अचानक ही अस्पताल की चिकित्सकों ने इन सभी महिलाओं को गंभीर अवस्था की बात बताते हुए अन्य हॉस्पिटलों के लिए रेफर कर दिया गया। महासभा का आरोप है कि अस्पताल से रैफर की गयी चार-पांच महिलाओं की मृत्यु हो चुकी है। इनमें से एक पीड़ित व्यक्ति ने हिंदू महासभा के पदाधिकारियों को इसकी जानकारी दी। महासभा के जिलाध्यक्ष लोकेश सैनी ने बताया कि उनके साथ जाकर इस पीड़ित ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बताया की उसकी पत्नी सुहानी गर्भवती थी, उसको डिलीवरी के लिए महिला अस्पताल में 18 अगस्त को भर्ती कराया गया था। शाम हो जाने तक उसकी हालत सही बताई गई थी, लेकिन सुबह हालत नाजुक बताकर अस्पताल से रैफर कर दिया गया। इस पीड़ित ने बताया कि अन्य हॉस्पिटल जाने पर उसकी पत्नी की मौत हो गयी।

ऐसा ही कुछ अन्य लोगों के साथ भी हुआ है। आरोप है कि महिला अस्पताल के चिकित्सीय स्टाफ की लापरवाही के कारण ही इन महिलाओं की मौत हुई है। आरोप लगाया कि ये पीड़ित अपनी महिलाओं को जिस हॉस्पिटल में लेकर गए थे, वहां के डाक्टरों ने बताया कि जहां से आप रैफर होकर आए हैं वहां पर डॉक्टरों की लापरवाही के कारण ही हालत नाजुक हो गई है। लोकेश सैनी ने बताया कि इतने बड़े मामले की मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जानकारी ना होने की बात कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया, जिसको लेकर सीएमओ से महासभा के नेताओं की बहस भी हुई। महासभा ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराये जाने की मांग की है। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष योगेंद्र वर्मा, प्रदेश अध्यक्ष अरुण चौधरी, प्रदेश महासचिव राजेश कश्यप, मंडल अध्यक्ष देवेंद्र चौहान, जिला प्रभारी मनोज चौहान, जिला अध्यक्ष लोकेश सैनी, कार्यालय प्रभारी सचिन कपूर जोगी, अमित कुमार, भारत कुमार आदि मौजूद रहे।

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