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मुजफ्फरनगर...135 विकास पत्रावलियां प्रशासक ने की तलब

नगरपालिका परिषद् मुजफ्फरनगर में आचार संहिता से पहले बोर्ड बैठक आयोजित कराने की तैयारी, शिकायतकर्ता तीन लोगों को मिली सभासदों का बहुमत जुटाने की जिम्मेदारी, सभी सभासदों से मांगे जा रहे विकास प्रस्ताव, बैठक में बहुमत के लिए प्रशासक को चाहिए कम से कम 28 सभासदों का साथ, भाजपा के कोटे से पालिका में हैं 22 सभासद

मुजफ्फरनगर...135 विकास पत्रावलियां प्रशासक ने की तलब
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मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में तख्ता पलट हो जाने के बाद अब परिक्रमा की व्यवस्था और आस्था दोनों ही बदलती नजर आ रही हैं। पालिका में अपनी चलाने का खामियाजा पहले ही दिन प्रशासक को कड़ी नाराजगी के रूप में भुगतना पड़ा और सफाई कर्मचारियों हल्ला बोल में उनको अपना आदेश ही चंद घंटों में वापस लेने के लिए विवश होने पड़ गया। एक सफाई नायक को सस्पेंड करने के ऑर्डर देखकर वह पालिका की राजनीतिक खेला से भली भांति परिचित हो गये होंगे। चौक चौराहों पर लोगों के बीच यह चुगली हो रही है कि यही कारण है कि दो दिन सफाई निरीक्षण के बाद वह तीसरे दिन भ्रमण पर नहीं निकले। इसी में यह भी चर्चा हो रही है कि अब प्रशासक ने चुनावी पाबंदी लगने से पहले पहले पालिका की एक बोर्ड बैठक आयोजित कराने के प्रयास शुरू किये हैं, लेकिन उनके यह प्रयास भी कई चुनौतियों से घिरे नजर आ रहे हैं। पालिका में सभासदों से विकास प्रस्ताव मांगने और बैठक को सफल बनाने का काम उन तीन लोगों को सौंपा गया है, जिनको जनता शिकायतकर्ता के रूप में पहचान चुकी है। वहीं प्रशासक ने पूर्व की बोर्ड बैठक में शहर के विकास के लिए पारित 135 कार्यों की विकास पत्रावलियों को भी तलब कर लिया है। माना जा रहा है कि पटरी से उतरी विकास की गाड़ी इन पत्रावलियों की मंजूरी के साथ पटरी पर चढ़ाने का प्रयास किया जायेगा।

नगरपालिका परिषद् में विरोधियों से लड़ते हुए अंततः 10 अक्टूबर को शासन की कार्यवाही के कारण अंजू अग्रवाल को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। इसके बाद सिस्टम की बेशर्मी से हारीं अंजू अग्रवाल ने कुर्सी वापस पाने के प्रयास ही छोड़े दिये, क्योंकि वह भली प्रकार से यह जानती हैं कि उनको लड़ाई में कुछ हासिल नहीं होने वाला है और आगे चुनाव का समय भी सिर पर आ चुका है। ऐसे में सिटी मजिस्ट्रेट अनूप कुमार पालिका में प्रशासक के रूप में काबिज हुए और चार्ज संभाला। करीब तीन महीने से बेटपरी हुए विकास और विभागीय कामकाज को वह पटरी पर लाने के लिए भरसक प्रयास करते नजर आ रहे हैं, लेकिन पालिका के राजनीतिक खेला से अंजान सिटी मजिस्ट्रेट का पहला ही दंाव सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के शोर के कारण उलटा पड़ गया।

सूत्रों के अनुसार अब पालिका में चुनाव से पहले बोर्ड बैठक आयोजित कराने की तैयारी की सुगबुगाहट जोरों पर चल रही है। शोर अंदरूनी स्तर पर ही मच रहा है। इसमें पालिका में शिकायतकर्ता के रूप में पहचान रखने वाले तीन लोगों को इस बोर्ड बैठक को सफल बनाने का दायित्व दिया गया है। इनके जरिये सभी सभासदों से प्रशासक ने विकास प्रस्ताव मांगे हैं। सूत्रों का कहना है कि बोर्ड बैठक के लिए कुछ 'खास' प्रस्ताव पारित कराने की योजना बनाई जा रही है। दिवाली के बाद ही एजेण्डा जारी करने की तैयारी को लेकर विभागीय अफसरों और कर्मचारियों को ईओ हेमराज सिंह के द्वारा दिशा निर्देश देकर गया है। पालिका के सूत्रों का ही कहना है कि बोर्ड बैठक होना इतना आसान नहीं है। सबसे पहले पालिका सदन में प्रशासक को बहुमत जुटाना होगा। चुनावी दौर की बोर्ड बैठक में बहुमत जुटाना काफी रिस्की और महंगा खेल हो सकता है। सदन में भाजपा के पास 17 निर्वाचित और 5 नामित सदस्य हैं, ऐसे में यह संख्या बल 22 होता है, जबकि बहुमत के लिए कम से कम 28 सदस्यों का साथ होना जरूरी है। इसके लिए अब भाजपा के ही कुछ लोग किसी जमाने में अंजू अग्रवाल के बहुमत बोर्ड की शोभा बढ़ाने वाले निर्दलीय और मुस्लिम सभासदों के साथ सम्पर्क में है। बहुमत जुटा भी लिया गया तो और भी कई दूसरी चुनौती मुंह खोले खड़ी नजर आती हैं।

वहीं दूसरी ओर प्रशासक ने अब उन 135 विकास पत्रावलियों को तलब किया है, जो पूर्व की बोर्ड बैठक में पारित हो चुकी हैं और जिन पर कार्य शुरू नहीं होने को लेकर अंजू अग्रवाल ने भी विकास ठप करने के आरोप लगाये थे। इन पत्रावलियों में भी 'खास' काम को जल्द शुरू कराने के प्रयास हैं। इन पत्रावलियों में काम की मंजूरी के सहारे भी बोर्ड बैठक का बहुमत जुटाने का प्रयास किया जा सकता है। प्रशासक सिटी मजिस्ट्रेट से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हो पाया। वहीं चर्चा यह है कि बोर्ड की तैयारियों का पूरा प्रबंध केवल तीन लोगों के हाथों में दिया गया है। इसी को लेकर कुछ नाराजगी भी पनप रही है।

वार्ड परिसीमन से नाराज भाजपाई सभासद को मनाने चुनौती

नगरपालिका परिषद् के सीमा विस्तार के बाद वार्ड निर्धारण के लिए परिसीमन प्रस्ताव को लेकर भाजपा के ही सभासद नाराज बताये गये हैं। सूत्रों के अनुसार यदि चुनाव से पहले बोर्ड बैठक का आयोजन कराया जाता है तो इन सभासदों की नाराजगी भी इस प्रयास में रोडा टटकाने वाली साबित हो सकती है।

बोर्ड बैठक में परेशानी का सबब बना पालिका का 'लिफाफा' कल्चर

पालिका की बोर्ड बैठक के आयोजन में प्रशासक के लिए यह भी बड़ी परेशानी खड़ी है कि पालिका में पूर्व की व्यवस्थाओं से चलने वाले 'लिफाफा कल्चर' को लेकर आज भी तमाम प्रयास विफल होते दिखते हैं। चेयरमैन कोई भी रहा हो, लेकिन वह बिना 'लिफाफा कल्चर' को स्वीकार किये, एक प्रस्ताव भी पारित कराने में सफल नहीं रहा है। अब देखना यह है कि चुनावी संग्राम से पहले बोर्ड बैठक के लिए क्या जुगलबंदी बन पाती है, या नहीं?

पहली बार पालिका के बोर्ड फण्ड में करीब 700 लाख का खजाना!

मुजफ्फरनगर। इस समय पालिका पूरी तरह से मालामाल है। सूत्रों का दावा है कि पालिका के पास अपने बोर्ड फण्ड के रूप में करीब 700 लाख रुपये का बजट अभी शेष है। इसको विकास कार्यों पर खर्च करने के लिए चेयरपर्सन रहते हुए अंजू अग्रवाल ने जनहित में कई बड़े ड्रीम प्रोजेक्ट बनाये थे और बोर्ड में उनको पारित भी कराया, इनमें सिटी बसों का संचालन, अपना पैट्रोल पम्प, चार स्थानों पर लेबर सैंटरों का निर्माण, जनता के लिए एम्बुलेंस, अंतिम यात्रा के लिए शव वाहन, पालिका के श्मशान के लिए डीप फ्रिज आदि शामिल हैं। वहीं सूत्रों का कहना है कि चुनाव से पहले बोर्ड बैठक बुलाने का मकसद भी इस बोर्ड फण्ड से ज्यादा से ज्यादा विकास कार्य स्वीकृत कराने की है। बता दें कि पहली बार पालिका के पास अपना फण्ड इतना है कि उसको विकास के लिए किसी की ओर मुंह उठाकर देखने की जरूरत नहीं है। इसके लिए अंजू अग्रवाल की नीति और प्रयास की लोग सराहना आज भी करते हैं।

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