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मुजफ्फरनगर....70 साल से एसडी मार्किट का नहीं दिया किराया

दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन को 71 रुपये वार्षिक किराये की लीज पर दी गई थी भूमि। 70 सालों में पालिका ने कभी नहीं बढ़ाया किराया, न ही कभी एसोसिएशन ने जमा किया लीज शुल्क। हर साल मार्किट से कम से कम साढ़े 13 लाख रुपये किराया वसूल रही है एसोसिएशन।

मुजफ्फरनगर....70 साल से एसडी मार्किट का नहीं दिया किराया
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मुजफ्फरनगर। शहर के बीच स्थित एसडी मार्किट को लेकर जिलाधिकारी का जौहर कई लोगों का नया साल बदहाल करने जा रहा है। इस मार्किट के लिए दी गई पालिका की भूमि के लिए तय लीज करीब 40 साल पहले खत्म होने के बावजूद भी सरकारी भूमि पर कब्जा और अनुबंध की नियमों के विपरीत व्यावसायिक बिल्डिंग बना देने का मामला तो चर्चाओं में है ही, साथ ही भूमि देने वाली नगरपालिका की भी बड़ी चूक और लापरवाही के साथ पूर्व के अफसरों की साठगांठ सामने आ रही है। करीब 70 साल पहले लीज के लिए दी गयी भूमि के अनुबंध में पट्टाधारक से 71 रुपये वार्षिक किराया तय किया गया था, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इन 70 सालों में एक भी बार पट्टाधारक दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन ने यह वार्षिक किराया पालिका को नहीं दिया है, इस पर गजब यह कि पालिका प्रशासन ने भी यह किराया जमा कराने के लिए कोई कदम नहीं उठाया और सेटिंग से ही सारा खेल चलता रहा है। एसोसिएशन की ओर से साल का यह 71 रुपये किराया आज तक तब जमा नहीं किया गया, जबकि वर्तमान में कम से कम साढ़े 13 लाख रुपये वार्षिक किराया इस भूमि पर बनी मार्किट से वसूला जा रहा है।


शहर के हृदय स्थल पर वेस्ट यूपी की सबसे बड़ी कपड़ा मार्किट के रूप में अपनी पहचान रखने वाली एसडी कॉलेज मार्किट कॉलेज के खेल के मैदान से कब और कैसे व्यावसायिक कॉम्पलैक्स में बदल गई, इसको लेकर कई सवाल सर्द रातों में सज रही चौपालों पर चास की चुस्कियों और मूंगफली के छिलकों के साथ चल रही चर्चाओं में उधेड़ी जा रही है। इतना बड़ा घोटाला इसमें परत दर परत सामने आ रहा है, जो चौंकाने वाला है। करीब चार दशक पूर्व लीज खत्म होने के बाद भी किसी ने इस भूमि पर बनी मार्किट के वजूद से छेड़छाड़ की जुर्रत नहीं की, लेकिन जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने चार दशकों से दबे इस मामले को उधेड़कर रख दिया तो कई सफेदपोश पर सवाल उठने लगे हैं। जिले की सबसे बेशकीमती जमीन होने के कारण इसको लेकर सामने आ रहे तथ्यों में अब बड़े बड़े घोटाले भी उजागर होने की दहलीज पर पहुंचने लगे हैं। इसमें चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई है कि नगरपालिका से अनुबंध के तहत शिक्षण कार्यों के उपयोग के लिए लीज पर ली गयी इस भूमि का वार्षिक किराया भी कभी जमा नहीं कराया गया।


नगरपालिका परिषद् के अधिशासी अधिकारी हेमराज सिंह की ओर से 27 दिसम्बर को दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन को नोटिस संख्या 325 जारी किया गया। इसमें ईओ ने बताया कि 12 मई 1952 को नगरपालिका परिषद् ने नजूल की भूमि, जिसका क्षेत्रफल 0.5730 हैक्टेयर है को 30 वर्ष के लिए शैक्षणिक कार्यों के लिए पट्टे (लीज) पर दी गई थी। इसमें लीज के लिए एसोसिशन को वार्षिक किराया तय किया गया था, जोकि 71 रुपये सालाना था। नोटिस के अनुसार वार्षिक किराया का भुगतान प्रत्येक वर्ष 15 अपै्रल तक अग्रिम रूप से जमा कराये जाने की शर्त अनुबंध में शामिल की गयी थी। इस अनुबंध को स्वीकार का एसोसिएशन ने उक्त भूमि का पट्टा तो प्राप्त कर लिया था, लेकिन किराया आज तक भी जमा नहीं कराया गया। सूत्रों के अनुसार 1952 में पट्टा स्वीकृति के बाद से दिसम्बर 2022 तक पालिका द्वारा लीज पर दी गई भूमि का तय 71 रुपये वार्षिक किराया एसोसिएशन की ओर से पालिका में जमा ही नहीं कराया गया है। इसमें पालिका सूत्रों का कहना है कि इस किराये के लिए डिमांड तो की गई, लेकिन वसूली का प्रयास किसी भी स्तर से नहीं किया गया है। अब नोटिस में भूमि के व्यावसायिक उपयोग के लिए जो क्षतिपूर्ति का आकलन कर पालिका ईओ हेमराज सिंह ने एक अरब 89 करोड़ 79 लाख 80 हजार 390 रुपये एक सप्ताह के अंदर पालिका में जमा कराने के लिए प्रतिपूर्ति तय की है, उसमें लीज से आज तक के लिए 70 साल का वार्षिक किराया भी शामिल है।

18 प्रतिशत जीएसटी के साथ एसोसिएश वसूल रही किराया

दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन ने पालिका से लीज पर मिली भूमि पर करीब 4-5 मार्किट बनाई हैं। इनमें एसडी कॉलेज मार्किट ;पुरानी और नईद्ध, झांसी रानी मार्किट, नेहरू मार्किट, सनातन धर्म सभा भवन के सामने मार्किट, किताबों वाली मार्किट आदि शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार टाउनहाल मैदान के गेट से लेकर कोतवाली के सामने ब्रज टाकीज तक बनी मार्किट की दुकाने इसी भूमि पर निर्मित हैं, जिनके दुकानदार एसोसिएशन में ही किराया जमा करते रहे हैं। मार्किट एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नामदेव के अनुसार इसमें करीब 1100 दुकानें हैं, जिनमें 100 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक का किराया व्यापारी एसोसिएशन में इनवाइस वायचर के माध्यम से नियमित रूप से जमा कर रहे हैं। ऐसे में देखा जाये तो यदि एक दुकान का किराया 100 रुपये भी माना जाये तो मासिक किराये के रूप में इन मार्किट से एसोसिएशन को 1.10 लाख और वार्षिक किराये के रूप में 13.20 लाख रुपये प्राप्त हो रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इस किराये के साथ एसोसिएशन दुकानदारों से 18 प्रतिशत जीएसटी के अलावा पालिका के निर्धारित वाटर टैक्स और हाउस टैक्स को भी वसूल कर रही है। सवाल यही है कि कम से कम करीब साढ़े 13 लाख रुपये का वार्षिक किराया वसूलने के बाद भी आज तक एसोसिएशन 71 रुपये वार्षिक लीज शुल्क का भुगतान पालिका को क्यों नहीं कर पाई है।

लीज अनुबंध की दो शर्तों 01 व 04 के उल्लंघन का आरोप

पालिका ईओ द्वारा दिये गये नोटिस के अनुसार 1952 में जिन शर्तों के अधीन दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन को यह भूमि लीज पर दी गई थी। उस अनुबंध की दो शर्तों का पालन नहीं किया गया है। नोटिस के अनुसार शर्त नम्बर 01 और 04 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। इसमें शर्त 01 में स्पष्ट किया गया है कि लीज पर दी गई भूमि का उपयोग पूर्ण रूप से और विशेष रूप से शैक्षिक उद्देश्य से ही किया जायेगा, पट्टेदार इस भूमि पर किसी को भी व्यापार या व्यवसाय करने की अनुमति नहीं देगा और पट्टे में मिली भूमि बंधक बिक्री पट्टे के रूप में किसी को सौंपेगा या स्थानांतरित करेगा। शर्त नम्बर 04 में वार्षिक किराया जमा कराने की समय सीमा के साथ ही भूमि सरकार द्वारा अधिग्रहित करने पर पट्टा निरस्त होना शामिल रहा है। इसमें किराया जमा कराने और भूमि का केवल शैक्षिक उद्देश्य से उपयोग करने की शर्तों का पालन नहीं किया गया है।

जांच आख्या के एक महीने बाद हुई नोटिस की कार्यवाही

जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह के आदेश पर इस मामले में एडीएम प्रशासन नरेन्द्र बहादुर सिंह के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। इसमें टीम में शामिल अधिकारियों ने अवैध अध्यासन व अनाधिकृत निर्माण व अवैध गतिविधियों के आरोपों को लेकर जांच की। जांच समिति ने अपनी आख्या 29 नवम्बर 2022 को एडीएम को सौंपी और वहां से डीएम को प्रेषित कर दी गयी। इसमें जांच समिति ने भूमि पर दुकान बनाकर व्यावसायिक प्रयोजन के लिए प्रयोग करना उल्लेखित करते हुए कार्यवाही की संस्तुति की है। सवाल यही है कि 29 नवम्बर को रिपोर्ट मिलने के बाद पालिका प्रशासन की ओर से 27 दिसम्बर को यानि करीब एक माह बाद नोटिस जारी क्यों किया गया है?

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