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MUZAFFRANAGAR---मुलायम के वफादार चितरंजन के परिवार का 23 साल बाद टूटा सपा से नाता

गौरव स्वरूप की खातिर भाजपा के भगवा ध्वज के नीचे एक हुआ पूरा स्वरूप परिवार, भाजपा जिलाध्यक्ष विजय श्ुाक्ला ने मंत्रियों के समक्ष सौरभ और विकास सहित परिवार के सदस्यों को ज्वाइन कराई पार्टी

MUZAFFRANAGAR---मुलायम के वफादार चितरंजन के परिवार का 23 साल बाद टूटा सपा से नाता
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मुजफ्फरनगर। शहरी सियासत के पुरोधा और सदर सीट से तीन बार विधायक रहे स्वर्गीय चितरंजन स्वरूप के परिवार का आज 23 साल बाद समाजवादी पार्टी से सियासी जुड़ाव का गठबंधन टूट गया। दो बार सपा के टिकट पर सदर विधानसभा से चुनाव लड़े उनके बड़े बेटे और राजनीतिक वारिस गौरव स्वरूप के सियासी त्याग के कारण परिवार में आये बिखराव के बाद आज भाजपा के भगवा ध्वज के नीचे पूरा परिवार सियासी बिसात पर एक साथ खड़ा नजर आया। विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा के कपिल देव अग्रवाल के खिलाफ सपा-रालोद गठबंधन से चुनाव लड़ चुके गौरव स्वरूप के छोटे भाई सौरभ स्वरूप और विकास स्वरूप के साथ ही उनके खानदान के सभी लोगों ने एकजुटता दिखाई और गौरव स्वरूप की पत्नी मीनाक्षी स्वरूप को नगरपालिका परिषद् के चेयरमैन पद पर भाजपा प्रत्याशी के रूप में मजबूती के साथ चुनाव लड़ाने का ऐलान किया। भाजपा कार्यालय पर चितरंजन स्वरूप के दोनों छोटे बेटे, भाई भतीजों को जिलाध्यक्ष विजय शुक्ला ने केन्द्र ओर यूपी सरकार के मंत्रियों की मौजूदगी में पार्टी ज्वाइन कराई।


बता दें कि शहरी सियासत में स्वरूप परिवार की हिस्सेदारी बेजोड़ रही है। इस परिवार के विष्णु स्वरूप ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और विधायक निर्वाचित हुए। विष्णु स्वरूप की राजनीतिक विरासत को उनके भतीजे चितरंजन स्वरूप ने आगे बढ़ाया और कांग्रेस के टिकट पर वो पहली बार साल 1974 में युवा विधायक चुने गये। इसके बाद चितरंजन स्वरूप कांग्रेस में रहकर ही राजनीति को आगे बढ़ाते रहे। स्वरूप परिवार ने भी चितरंजन स्वरूप को राजनीति में हमेशा आगे बढ़ाया, कई बार परिवार में राजनीतिक महत्वकांक्षा भी जाहिर हुई और विष्णु स्वरूप के परिवार से दावेदार सामने आने लगे, लेकिन परिवार चितरंजन स्वरूप के नाम पर सहमति बनाता रहा। चितरंजन स्वरूप ने साल 2000 में समाजवादी पार्टी ज्वाइन की और मुलायम सिंह, आजम खां तथा अखिलेश यादव के करीबी हो गये। सपा के टिकट पर वो दो बार 2002 और 2012 में विधायक निर्वाचित हुए।


साल 2015 में उनका निधन हो जाने के कारण फरवरी 2016 में सदर विधानसभा सीट पर सपा सरकार में ही उपचुनाव हुए तो उनके राजनीतिक वारिस के तौर पर उनके बड़े बेटे गौरव स्वरूप को सपा ने प्रत्याशी बनाया और पूरा स्वरूप परिवार गौरव के साथ खड़ा दिखाई दिया। गौरव का मुकाबला भाजपा के कपिल देव अग्रवाल से हुआ। इसमें कपिल देव ने करीब 10 वोटों के अंतर से गौरव को पराजित कर सपा से सीट छीनी। 2017 के चुनाव में भाजपा ने फिर से कपिल देव पर विश्वास जताया और गौरव को सपा ने दोबारा टिकट दिया। इस चुनाव में भी गौरव जीत नहीं पाये। साल 2022 में भी सपा से गौरव स्वरूप सदर सीट से प्रबल दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन इसी बीच उनके ही छोटे भाई और चितरंजन स्वरूप के मंझले बेटे सौरभ स्वरूप उर्फ बंटी ने भी सपा से ताल ठौंक दी। इसी को लेकर परिवार में बगावत होने ली। सपा से अखिलेश ने सौरभ पर भरोसा जताया और उन्होंने सपा का चेहरे होने के बावजूद गठबंधन में रालोद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, वहीं गौरव स्वरूप परिवार से बगावत करते हुए भाजपा में शामिल हो गये। उन्होंने अपने भाई के खिलाफ चुनाव प्रचार से साफ इंकार कर दिया। उसी बीच उनको निकाय चुनाव में भाजपा से दावेदार माना जाने लगा था, लेकिन परिवार में राजनीतिक बिखराव के कारण एक तनाव सा रहा।


इसके बाद गौरव स्वरूप को भाजपा से टिकट होने की उम्मीद में परिवार के लोगों ने एक साथ बैठकर आपसी नाराजगी दूर की और पूरा खानदान एक प्लेटफार्म पर आ गया। गौरव की पत्नी मीनाक्षी स्वरूप को टिकट मिलने पर चितरंजन स्वरूप और विष्णु स्वरूप का पूरा परिवार एक हो गया। सोमवार को सवेरे केन्द्रीय मंत्री डाॅ. संजीव बालियान और राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल चितरंजन स्वरूप के दोनों छोटे बेटों सौरभ स्वरूप और विकास स्वरूप के द्वारिकापुरी स्थित आवास पर पहुंचे। वहां दोनों भाईयों ने दिल खोलकर उनका स्वागत किया। परिवार के अन्य लोगों की मौजूदगी में चितरंजन स्वरूप के परिवार के भाजपा में आने की रूपरेखा तय हुई। इसके बाद गांधीनगर स्थित भाजपा कार्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में जिले के प्रभारी मंत्री सोमेन्द्र तोमर, मंत्री संजीव बालियान, मंत्री कपिल देव अग्रवाल, पूर्व सांसद भारतेन्दु सिंह सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों की मौजूदगी में भाजपा जिलाध्यक्ष विजय शुक्ला ने चिरंजन स्वरूप के दोनों छोटे पुत्रों सौरभ और विकास को पटका पहनाकर पार्टी में शामिल करने का ऐलान किया। इसके साथ ही चितरंजन स्वरूप के बड़े भाई पूर्व विधायक विष्णु स्वरूप के बेटे आशुतोष स्वरुप,आशु , शंकर स्वरुप बंसल, अजय स्वरूप अज्जू भी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये। स्वरूप परिवार के साथ 3 दिन पहले समाजवादी पार्टी से इस्तीफा देने वाले 128 सपा कार्यकर्ता भी आज ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर पूरी तरह से भगवा ध्वज थामकर मीनाक्षी स्वरूप को चुनाव लड़ाने में जुट गये।

सईद मुर्तजा को हराकर 28 साल की उम्र में विधायक बने थे चितरंजन

मुजफ्फरनगर सदर विधानसभा क्षेत्र में स्वरूप परिवार का दबदबा रहा है। इस परिवार ने इस सीट पर चार बार विधायक के रूप में जनता को प्रतिनिधित्व किया है। साल 1951 में इस सीट पर पहला विधानसभा चुनाव हुआ था। इसके बाद चैथी विधानसभा के लिए हुए चुनाव में स्वरूप परिवार के ‘शाह जी’ विष्णु स्वरूप बंसल ने सियासत में कदम आगे बढ़ाया। उन्होंने कांग्रेस से चुनाव लड़ने का प्रयास किया, लेकिन टिकट नहीं हुआ तो वो सीटिंग विधायक कांग्रेस नेता केशव गुप्ता के खिलाफ निर्दल प्रत्याशी के रूप में उठ खड़े हुए।


शहर में इस परिवार का जनता के बीच खासा असर था और मार्च 1967 में हुए चुनाव में जनता ने कांग्रेस के मजबूत दौर में सीटिंग विधायक केशव गुप्ता को दरकिनार करते हुए विष्णु स्वरूप को नया विधायक चुना। इस तरह से स्वरूप परिवार का राजनीतिक पदार्पण हुआ। फरवरी 1969 में हुए विधानसभा चुनाव में चै. चरण सिंह का असर रहा। इसके लिए सदर सीट पर भारतीय क्रांति दल के टिकट पर सईद मुर्तजा ने चुनाव लड़ा और विष्णु स्वरूप हार गये। अगला चुनाव आया तो स्वरूप परिवार से चितरंजन स्वरूप के सिर पर विष्णु स्वरूप के राजनीतिक वारिस की पगड़ी बांधकर पूरा खानदान उनको चुनाव लड़ाने में जुट गया। 1974 में हुई सदर सीट की इस सियासी जंग में 28 साल के चितरंजन स्वरूप ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और सईद मुर्तजा को पराजित कर विधायक बने। अगले चुनाव में जनता पार्टी की प्रत्याशी मालती शर्मा ने उनका हराया। इसके बाद से ही स्वरूप परिवार चितरंजन स्वरूप के साथ रहा और उनके बेटों को भी राजनीतिक बिसात पर आगे बढ़ाते रहे।

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