रात के अंधेरे में अंजू अग्रवाल के घर नोटिस चस्पा
कार्यकाल खत्म होने के बावजूद भी अंजू को घेरने में जुटा प्रशासन, डीएम ने की शासन को रिपोर्ट भेजने की तैयारी, हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में 595 पेज की जांच रिपोर्ट लेने से अंजू अग्रवाल ने किया था इंकार।
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मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् की चेयरपर्सन रहीं अंजू अग्रवाल का पांच साल का कार्यकाल अंतिम पांच महीनों में भारी रस्साकसी का इतिहास लिखकर पांच जनवरी को पूर्ण हो गया है। हाईकोर्ट के आदेश पर जिला प्रशासन ने उनको अंतिम घंटों में चार्ज भी ग्रहण कराया और वो कुर्सी से विदा हो गयी, लेकिन इस विदाई के बाद भी उनकी मुश्किल शायद कम नहीं हो पा रही हैं। उनको चार्ज देने में खेल करने वाला जिला प्रशासन अब उनको नये सिरे से घेरने की तैयारी में है। यही कारण है कि देर रात अंधेरे में ही तहसील सदर की टीम ने उनकी कोठी पर एक नया नोटिस चस्पा कर दिया। आरोप है कि कुछ दस्तावेजों को लेने से पूर्व हो चुकी चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने इंकार किया तो नोटिस आदेश उनके आवास पर चस्पा करने के लिए टीम को विवश होना पड़ा। इसके साथ ही डीएम ने इस मामले में शासन को रिपोर्ट भेजने की भी तैयारी कर ली है।
बता दें कि 35 गारबेज टिपर वाहनों की खरीद के साथ ही चार मामलों में भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोपों का सामना कर रही अंजू अग्रवाल ने चेयरपर्सन रहते हुए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। उनको 19 जुलाई को प्रदेश शासन ने इन आरोपों में जिला प्रशासन की जंाच रिपोर्ट के आधार पर दोषी तय करते हुए वित्तीय अधिकारी सीज किये थे और इसके बाद 10 अक्टूबर को उनको पद से बर्खास्त कर दिया। शासन की कार्यवाही के खिलाफ उनको हाईकोर्ट में दो बार जीत हासिल करने के बावजूद भी पांच जनवरी को कार्यकाल के अंतिम दिन मात्र चंद घंटे पहले ही चार्ज दिया गया। 24 नवम्बर को हाईकोर्ट के द्वारा अंजू अग्रवाल की याचिका संख्या 32992/2022 में दिये गये आदेश में उनके अधिकार बहाल करने के साथ ही शासन को उनके खिलाफ की गई कार्यवाही और उनके दिये गये जवाब की प्रति परीक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराने पर नाराजगी जताते हुए यह दस्तावेज उपलब्ध कराने के आदेश दिये गये थे। इसके साथ ही शासन को इस मामले में नियमानुसार कार्यवाही करने के लिए भी छूट मिली थी। जबकि अपने आदेश में हाईकोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी इससे पहले चेयरपर्सन रहते हुए अंजू अग्रवाल के अधिकारों में कोई हस्तक्षेप न किया जाये। हाईकोर्ट के आदेश पर चार्ज पाने के लिए अंजू अग्रवाल काफी प्रयासरत रहीं, लेकिन उनको शासन द्वारा चार्ज नहीं दिया गया और पांच जनवरी को 3 बजे के बाद शासन के आदेश पर उनको चार्ज सौंपा गया था, जोकि उनके कार्यकाल का अंतिम दिन था।
इसी दिन चार्ज आदेश ले जाने वाले कर्मचारी ने अंजू अग्रवाल को 24 नवम्बर के हाईकोर्ट के आदेश के तहत शासन द्वारा जारी पत्र संख्या 1625 दिनांक 03 जनवरी 2023 के तहत 595 पेज की पोथी थी उपलब्ध कराई थी। इसमें उनके खिलाफ शासन द्वार की गयी बर्खास्तगी की कार्यवाही के आदेश सहित उनके द्वारा दिये गये जवाबों का प्रति परीक्षण और फिर की गयी कार्यवाही के दस्तावेज शामिल थे, लेकिन उस दिन अंजू अग्रवाल ने इन दस्तावेज को लेने से इंकार कर दिया था और ये दस्तावेज वापस लाये गये थे। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार इसके बाद जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने एसडीएम सदर और तहसीलदार सदर को आदेश पत्र 16/21 दिनांक 07 जनवरी 2023 के तहत इन दस्तावेजों को तत्काल प्रभाव से अंजू अग्रवाल को तामील कराने के लिए आदेशित किया था। 07 जनवरी को नायब तहसीलदार सदर कूकड़ा राजकुमार को यह दस्तावेज अंजू अग्रवाल को तामील कराने के लिए उनकी कोठी मीका विहार भेजा गया। सूत्रों का कहना है कि इस बार भी अंजू अग्रवाल ने इनको रिसीव करने से इंकार कर दिया और नायब तहसीलदार को टीम सहित वापस लौटा दिया। तहसीदार सदर ने इसके सम्बंध में जिलाधिकारी को अवगत कराया। डीएम ने इस मामले में दस्तावेज रिसीव नहीं करने पर दस्तावेज उपलब्ध कराने का नोटिस उनके आवास पर चस्पा करने के निर्देश दिये। सूत्रों का कहना है कि 09 जनवरी की देर रात नायब तहसीलदार कूकड़ा राजकुमार ने टीम के साथ मीका विहार पहुंचकर डीएम का नोटिस अंजू अग्रवाल की कोठी के गेट पर चस्पा करा दिया है। इसके लिए फोटो सहित आख्या भी नायब तहसीलदार ने एसडीएम और तहसलीदार सदर के साथ ही जिलाधिकारी को भी उपलब्ध करा दी है और यह 595 पेज के दस्तावेज की पोथी भी वापस सौंप दी गयी है। इस मामले में नायब तहसीलदार राजकुमार ने बताया कि कार्यवाही उच्चाधिकारियों के आदेश पर हुई है, जवाह वो ही दे सकते हैं। तहसीलदार सदर ने खुद को हाईकोर्ट में होने की बात कहते हुए कुछ बताने से इंकार कर दिया। एसडीएम सदर परमानंद झा ने बताया कि डीएम के निर्देश पर दस्तावेज तामील कराने के लिए नायब तहसीलदार कूकड़ा राजकुमार को निर्देशित किया गया था। बीती रात उन्होंने नोटिस चस्पा कराया है। वहीं प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने अब इस मामले में अपनी रिपोर्ट शासन को भेजने की तैयारी की है। सूत्रों ने बताया कि इसके लिए रिपोर्ट नगर विकास विभाग को भेजी जा रही है।
सवेरे उठी अंजू अग्रवाल तो गेट से गायब मिला चस्पा नोटिस
पूर्व चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल का कहना है कि वो कार्यवाही के दौरान शासन से दस्तावेज मांगती रही, लेकिन उनको कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया। उनके जो जवाब दाखिल किये गये, उनको प्रति परीक्षण कराये बिना और उसकी रिपोर्ट दिये बिना ही उनके अधिकार सीज करने का एक तरफा फरमान शासन ने सुना दिया। दो बार वो हाईकोर्ट से जीतकर आई और उनको चार्ज नहीं दिया गया है। उनका कहना है कि उनके पास पांच जनवरी को यह दस्तावेज लेकर आये थे, उन्होंने वापस करा दिये थे। उसके बाद 07 जनवरी को उनके पास कोई नहीं आया है। उनको तो यह भी जानकारी नहीं है कि 09 जनवरी को उनके आवास पर नोटिस भी चस्पा करा दिया गया है। ये लोग रात के अंधेरे में चोरों की तरह आते हैं। उन्होंने बताया कि उनके आवास पर कोई भी नोटिस चस्पा ही नहीं मिला है। उनको इसकी कोई भी जानकारी नहीं है। जबकि प्रशासनिक सूत्रों का दावा है कि नोटिस चस्पा करते हुए नायब तहसीलदार कूकड़ा राजकुमार के द्वारा जिलाधिकारी को फोटो भी उपलब्ध कराये गये हैं।
निकायों में कमेटी गठन पर फंसा पेंच, शासन के नये आदेश का इंतजार
मुजफ्फरनगर जनपद में नगर निकायों में डीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी के गठन में पंेच फंस गया है। इसमें निकायों के संचालन के लिए वित्तीय अधिकार दिये जाने के स्पष्ट आदेश नहीं होने के कारण ही अभी तक जनपद में डीएम ने कमेटियों का गठन नहीं कराया है। 04 जनवरी को प्रमुख सचिव नगर विकास विभाग अमृत अभिजात ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश जारी करते हुए निर्देशित किया था कि हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा 27 दिसम्बर को पारित किये गये आदेशों के अनुपालन में निकायों में बोर्ड का कार्यकाल समाप्त होने पर डीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन कर निकायों का संचालन कराया जाना है। इसमें डीएम, ईओ और एक जिला स्तरीय अधिकारी जिसे डीएम नामित करने शामिल करने के आदेश थे। जनपद में दो पालिका और 8 नगर पंचायतों में बोर्ड का कार्यकाल 5 जनवरी को समाप्त हो चुका है। ऐसे में अभी तक भी कमेटियों का गठन नहीं किया गया है। प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि निकायों में वित्तीय अधिकार किससे पास रहेंगे और चैक पॉवर कौन संभालेगा, ऐसे ही कुछ सवालों को लेकर भ्रम बना रहने के कारण ही अभी कमेटियों का गठन नहीं किया गया है। इसके लिए शासन से नया आदेश जारी किया जाना है, इसी आदेश का इंतजार जिला प्रशासन को भी है। इस आदेश के एक दो दिनों में आने की संभावना है, इसके बाद ही निकायों के संचालन के लिए कमेटियों का गठन किया जायेगा।