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मुजफ्फरनगर चेयरपर्सन को नोटिस भेजने वाले अफसर का तबादला

24 घंटे से पहले ही नगर विकास विभाग के विशेष सचिव ए. दिनेश कुमार की कुर्सी बदली, 4 जुलाई को चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल के खिलाफ जारी किया था कारण बताओ नोटिस, चार प्रकरणों पर तीन दिन में मांगा था स्पष्टीकरण।

मुजफ्फरनगर चेयरपर्सन को नोटिस भेजने वाले अफसर का तबादला
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मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में टिपर वाहन खरीद मामले के साथ ही चार प्रकरणांे में जिला प्रशासन की जांच में दोषी होने का आरोप पालिका चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल पर लगा है। इस मामले में शासन को रिपोर्ट भेजी गयी और नगर विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव के द्वारा पिछले दिनों चेयरपर्सन को कारण बताओ नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया। चेयरपर्सन ने अपना जवाब साक्ष्यों के साथ ही शासन को भिजवाने का दावा किया, तो इसके बाद इस कार्यवाही में ठहराव दिखाई दिया, लेकिन अब फिर से शह और मात की हलचल दिखाई देने लगी है। नगर विकास विभाग के विशेष सचिव ने एक दिन पहले ही चेयरपर्सन के स्पष्टीकरण को अस्वीकार करते हुए उनको नया कारण बताओ नोटिस भेजकर तीन दिन में दोबारा स्पष्टीकरण मांगने के साथ ही अधिकार सीज करने की चेतावनी दी। इससे पालिका में हलचल मची, लेकिन लोग इस खबर का पूरी तरह से पढ़ भी नहीं सके थे कि लखनऊ के गलियारों से एक और खबर ने सभी को चौंका दिया, कि चेयरपर्सन को नोटिस भेजने वाले आईएएस अधिकारी का शासन ने नगर विकास विभाग से हटाकर दूसरे विभाग में तबादला कर दिया है। आज पालिका में इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर रही।

बता दें कि नगरपालिका परिषद् में विपक्षी खेमे के सभासद मनोज वर्मा और राजीव शर्मा ने अपनी ही पार्टी के चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल के खिलाफ कई शिकायतें की। इनमें जिला प्रशासन ने भी जांच कराई और टिपर वाहन खरीद, मोबाइल काम्पेक्टर सहित चार मामलों में चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल को दोषी बताते हुए शासन को रिपोर्ट प्रेषित कर दी। यूपी में हाल ही में हुए चुनाव के बाद अचानक ही नगर विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दूबे ने 28 मार्च 2022 को चेयरपर्सन के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया और 7 दिनों में उनसे आरोपों के सन्दर्भ में साक्ष्यों के साथ स्पष्टीकरण मांगा। चेयरपर्सन के अनुसार उन्होंने पूरे साक्ष्यों सहित अपना स्पष्टीकरण शासन को भिजवा दिया। उनका कहना है कि जिन मामलों में उनको वित्तीय अनियमितता और अन्य आरोपों में दोषी ठहराया गया है, उनमें कोई भी अनियमितता नहीं बरती गयी है। इसी को लेकर उन्होंने शासन को जवाब दिया है। इसके बाद यह प्रकरण अचानक ही ठण्डे बस्ते में जाता नजर आया।


परन्तु अचानक ही मंगलवार को चेयरपर्सन के खिलाफ फिर कार्यवाही का शोर मचा और विपक्षी खेमे में हलचल दिखाई दी थी। इसका कारण था नगर विकास विभाग के विशेष सचिव ए. दिनेश कुमार द्वारा 4 जुलाई को चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल को चारों मामलों को लेकर जारी किया गया कारण बताओ नोटिस, इसमें उन्होंने 28 मार्च के नोटिस के आधार पर चेयरपर्सन द्वारा भेजे गये जवाब को आंशिक स्पष्टीकरण बताते हुए अस्वीकार कर दिया और तीन दिनों में युक्तियुक्त स्पष्टीकरण मांगने के साथ ही वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार सीज कर पदच्युक्त करने की चेतावनी दी है। हालांकि अभी चेयरपर्सन का कहना है कि उनको नोटिस की कॉपी रिसीव नहीं हुई है। इस मामले को लेकर लोगों के बीच चर्चा बनी ही थी कि इसी बीच लखनऊ से एक बड़ी खबर और आ गयी। जिस आईएएस अधिकारी ने चेयरपर्सन को दूसरा नोटिस भेजा है, उसको सरकार ने कुर्सी से हटा दिया।


इस खबर ने विपक्ष को कुछ विचलित करने का काम किया है। सूत्रों के अनुसार प्रदेश शासन ने मंगलवार की रात 4 आईएएस और 3 पीसीएस अफसरों का तबादला दिया। इनमें नगर विकास विभाग के विशेष सचिव ए. दिनेश कुमार का नाम भी शामिल है। उनको नगर विकास से हटाकर प्राविधिक शिक्षा विभाग का विशेष सचिव बनाया गया है, जबकि प्राविधिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव सुनील कुमार चौधरी को उनके स्थान पर नगर विकास विभाग में भेजा गया है। इसको लेकर पालिका में चर्चा का दौर चल रहा है। लोगों का कहना है कि चेयरपर्सन को नोटिस भेजने के 24 घंटे के भीतर ही अधिकारी का तबादला हो जाना चौंकाने वाली बात है। अब देखना यह होगा कि आगे इस खेल में क्या क्या मोड़ आते हैं। विपक्ष तो कार्यकाल पूरा नहीं होने देने का दावा कर रहा है, लेकिन लगता है कि चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल की किस्मत विपक्ष के सभी दांव पेंच पर भारी पड़ रही है। ऐसा ही रहा तो वह कार्यकाल पूरा करने का रिकार्ड भी कायम कर सकती है।

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